अग्नि तत्त्व का संतुलन
पञ्च तत्वों का रहस्यमयी संसार
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महोदय / महोदया , आपका अग्नि तत्त्व असंतुलित होने के कारण आपको सम्बंधित समस्या / समस्यायें हो रही है | इसे ठीक करने के लिए कृपया आपको निम्न लिखित उपायों का पालन करना अनिवार्य है |
1. तर्जनी , { Index Finger } में छोटी अंगुली की तरफ नीला रंग लगाये , दोनों हाथों की अँगुलियों , दोनों तरफ़ ,दिन में तीन बार रंग लगायें , रोग के पूरी तरह ठीक होने तक लगायें | इसके लिए आप नीला पेन या स्केच पेन का प्रयोग कर सकते है { चित्र में दिए गये अनुसार }
2 . प्रतिदिन सूर्योदय से पहले सोकर उठ जाये, और नंगी आँखों से ऊगते हुए सूर्य को देखें |
3 . प्रतिदिन सुबह 7 बजे से 11 बजे तक भोजन अवश्य कर लें |
4 . प्रतिदिन कम से कम 21 मिनिट्स प्राण योग चक्र ध्यान जरूर करें |
5 .समय – समय पर अपने शूक्ष्म शरीर की सफ़ाई करते रहे | अर्थात आभा मंडल की सफाई और उसको बढ़ाने के प्रयास करें |
6. विशुद्धि चक्र को संतुलित करने हेतु प्राण योग ध्यान करें |
7 . अग्नि मुद्रा का अभ्यास करे, |
8 . अग्नि तत्त्व को बढ़ाने वाले पदार्थ जो आपको पसंद हो, जैसे लहसुन , अदरक , तेज पत्ता, जायफल , लौंग, काली मिर्च , मसालेदार खाना , आदि का प्रयोग कुछ समय तक बंद कर दें |
अग्नि तत्व के अंग – ह्रदय , छोटी आंत
संवेदी अंग – जीभ , रक्त वाहिनियां
मौसम – गर्मी
दिन का समय – सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक
महीने – मार्च , अप्रैल
रंग –लाल
स्वाद – कड़वा
स्वभाव – जोश , उत्तेजना , उमंग , मौज मस्ती
ध्वनि – तेज हंसी
आयु– 12 से 24 वर्ष
चक्र –विशुद्धि चक्र
ऊर्जा – गर्म
गुण – वृद्धि , विकास , जोशीला , क्रियाशील , जीवन में कुछ पाने की लालसा
अग्नि तत्व की बीमारियाँ –
शारीरिक बीमारियां
- कोलेस्ट्रॉल
- हीमोफीलिया
- ब्लड प्रेशर
- हृदय रोग
- सर्वाइकल
- स्पॉन्डिलाइसिस
- वेरिकोस वेन्स
- इंसोम्निया
- हाइपो थाइरोइड
- कब्ज़
- बबासीर
- कार्पल टर्नल सिंड्रोम
- कन्धा और ह्रदय में दर्द
- शरीर का तापमान घटना , बढ़ना वृद्धि में रूकावट
- रक्त संचरण सम्बन्धी समस्या
- मायग्रेन
- अलसर
- गर्दन में दर्द
- जबड़े में सूजन
- वज़न में कमी आना
- उल्टियाँ होना
- दस्त होना
- ठण्ड ज्यादा लगना
मानसिक बीमारियां
ईर्ष्यालु प्रवृत्ति
बेबाक बोलने की आदत
उचित -अनुचित का विचार किए बिना जबाब देना
बिना सोचे -बिचारे बोलना
हिस्टीरिया
अनियन्त्रित इच्छायें
नशे की प्रवृत्ति
योगी योगानंद { आध्यात्मिक गुरू , एवं प्राण योग के प्रणेता }