पञ्च तत्वों का रहस्यमयी संसार
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विशेष – आकाश तत्त्व की रोग प्रतिरोधक शक्ति शून्य होती है, फलस्वरूप ऐसे व्यक्ति कोरोना के चपेट में जल्दी आ रहे है, और आकाशतत्त्व का अंग फेफड़े है, इसलिए फेफड़ों के क्षतिग्रस्त {Damaged } होने की संभावना सर्वाधिक होती है |
आकाश तत्व के अंग – फेफड़े और बड़ी आँत
संवेदी अंग – सुगंध { नाक } , स्पर्श { त्वचा }
मौसम – शरद , पतझड़
दिन का समय – सुबह 3 बजे से सुबह 7 बजे तक |
महीने – सितम्बर , अक्टूबर
रंग – सफ़ेद , कत्था रंग , सिलेटी
स्वाद – कसैला { सेम , अनार } कड़वा
स्वभाव – उदासीन , रूखापन , शोक , चिड़चिड़ापन |
ध्वनि – रोने की आवाज { Weeping }
गन्ध – सड़ी वस्तुओं की तरह { Rotten }
आयु – 48 से 60 वर्ष
चक्र – स्वाधिष्ठान चक्र
ऊर्जा – शुष्क {ड्राई }
आकाश तत्व की बीमारियाँ –
शारीरिक
- वायरस से संक्रमण
- गंजापन { बालों का गिरना , टूटना , झड़ना }
- . त्वचा रोग { एक्जिमा , सोराइसिस , फोड़े , फुंसिया , रूखापन , त्वचा का फटना }
- . नासिका रोग { साइनस , सर्दी , नाक से खून आना , एलर्जी ,
- सर्वाइकल
- लिगामेन्ट का टूटना
- न्यूरॉन समस्या
- ऑस्टिओ आर्थराइटिस
- डिस्क प्रोब्लेम
- श्वसन सम्बन्धी रोग
- शरीर का तापमान अधिक होना
- कफ बनना
- अस्थमा
- पीठ और कंधा दर्द
- सीने में दर्द
- कब्ज
- अपेन्डिक्स
- कोलाइटिस
- बबासीर
- पायरिया
- मसूढ़ों की समस्या
- सर दर्द
- पेट दर्द
- अँगुलियों में दर्द
- कमजोरी महसूस होना
- पैरों में कमजोरी महसूस होना
मानसिक समस्याऐं
- जीवन से मोह भंग होना
2 . अवसाद का शिकार
3 . टालने की प्रवृति
4 . आलस्य
5 . थकान
6 .जल्दी भयभीत हो जाना
आकाश तत्त्व के गुण
शीतप्रधान
प्रतिरोधी शक्ति का अभाव { जल्दी संक्रमण का ख़तरा }
घेरने का गुण
हल्कापन
चिकनापन
मुलायम
सुगंध का अभाव
शरीर में फेफड़े , बडी आँत , त्वचा , बाल के रूप में उपस्थिति
आकाश तत्त्व का संतुलन –
महोदय / महोदया , आपका आकाश तत्त्व असंतुलित होने के कारण आपको सम्बंधित समस्या / समस्यायें हो रही है | इसे ठीक करने के लिए कृपया आपको निम्न लिखित उपायों का पालन करना अनिवार्य है |
1.प्राण योग प्राणायाम करें |
2.फेफड़ों की जीवनी शक्ति बढ़ाने के लिए प्राण शक्ति का प्रयोग करें |
3.सभी प्रकार के प्राणायाम करें |
4.प्रतिदिन सूर्योदय से पहले सोकर उठ जाये, और नंगी आँखों से ऊगते हुए सूर्य को देखें |
5 . प्रतिदिन सुबह 7 बजे से पहले अपने दैनिक क्रियाकलाप से मुक्त हो जायें |
6 . प्रतिदिन कम से कम 21 मिनिट्स प्राण योग ध्यान जरूर करें |
7.समय पर अपने शूक्ष्म शरीर की सफ़ाई करते रहे |
8. वायु और अग्नि तत्त्व की वृद्धि के प्रयास करें |
9 . आकाश मुद्रा का अभ्यास करे, |
7 . तर्जनी , { Index Finger } में अँगूठे की तरफ लाल रंग लगाये , दोनों हाथों की अँगुलियों , दोनों तरफ़ ,दिन में तीन बार रंग लगायें , रोग के पूरी तरह ठीक होने तक लगायें | { चित्र में दिए गये अनुसार }

योगी योगानंद { आध्यात्मिक गुरू , एवं प्राण योग के प्रणेता }