आपकी समस्याओं का कारण — कही ये तो नहीं ? पृथ्वी की नकारात्मक ऊर्जा |
पृथ्वी लगातार हमें अपनी चुंबकीय शक्ति , पञ्च तत्त्व की पूर्ति से अनेक तरह तरह के तरीकों से निरोग बनाने का कार्य करती है, परन्तु कही कही इसका नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलता है , वैज्ञानिक इसे जियोपैथिक स्ट्रेस कहते है, यह क्या होता है, इसके प्रभाव क्या होते है, इसको कैसे पहचाने, इसे दूर करने के क्या उपाय है |
जियोपैथिक स्ट्रेस
जियो का अर्थ होता है – पृथ्वी और पैथिक के दो अर्थ होते है – पहला रोग और दूसरा अर्थ रोग का निवारण | जियोपैथिक स्ट्रेस की प्रचलित परिभाषा के अनुसार इसका मतलब होता है ऐसी पीड़ा या परेशानी जो की पृथ्वी के प्रभाव का कारण होती है | जर्मन शोधकर्ता Baron Gustav Frei Herr Von Pohl ने जियोपैथिक ज़ोन शब्द का इजात किया था | geopathic stress zone and vastuउन्होंने अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा जियोपैथिक स्ट्रेस जोन पर शोध करने में बिताया और इस नतीजे पर पहुंचे की लगभग प्रत्येक बीमारी का कुछ न कुछ सम्बन्ध जियोपैथिक स्ट्रेस से पाया जा सकता है | इस शब्द का उपयोग उस अवस्था के लिए किया जाता है जब प्राकृतिक या मानव निर्मित कारणों से पृथ्वी से निकलने वाली उर्जा मनुष्य के ऊपर नकारात्मक प्रभाव डालती है | यानि की पृथ्वी से उत्पन्न नुकसानदायक तरंगो के मनुष्य पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव को जियोपैथिक स्ट्रेस कहा जाता है | यह भी एक तरह का वास्तु दोष है क्योंकि इसमें भी घर के अन्दर अशुभ उर्जा का प्रवाह होता है |
जियोपैथिक स्ट्रेस जोन आखिर होता क्या है ?
पृथ्वी पर उर्जा का प्रवाह उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम की ओर विशाल ग्रिड लाइन्स के रूप में होता है | इसके परिणामस्वरूप एक विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र का निर्माण होता है | इन ग्रिड लाइन्स को हर्टमैन ग्रिड और करी ग्रिड लाइन्स के रूप में जाना जाता है |
जियोपैथिक स्ट्रेस जोन से उत्पन्न समस्याएं –
जयोपैथिक स्ट्रेस के अंतर्गत निकलने वाली उर्जायें एक सामान्य मनुष्य के उर्जा के स्तर से कई गुना ज्यादा शक्तिशाली होती है | इसीलिए अगर आप ऐसे स्ट्रेस जोन में सोते है या ज्यादा वक्त बिताते है जो की किसी Magnetic Grid Line या underground water system से उत्पन्न होने वाली तरंगो से प्रभावित है तो इसका आप पर बुरा असर पड़ सकता है | जियोपैथिक स्ट्रेस कई तरह की बीमारियों का कारण बनता है | इससे होने वाली बिमारियों में कैंसर सबसे घातक है, यहाँ तक की टयुमर्स तो तकरीबन हमेशा बिलकुल उस स्थान पर विकसित होते है जहाँ पर दो या अधिक जियोपैथिक स्ट्रेस लाइन्स किसी आदमी के शरीर से होकर गुजरती है जहाँ पर वो सोता है | डॉ. मैनफेड ने अपने अध्ययन में पाया कि प्राकृतिक विद्युत् रेखाओं का एक जाल पृथ्वी को घेरे हुए है | ये रेखाएं ईशान (North-East) से नैऋत्य (South-West) की ओर व आग्नेय (South-East) से वायव्य (North-West) की ओर प्रवाहमान रहती है | उर्जा रेखाओं के इस प्रवाह को करी ग्रिड (Currie Grid) के नाम से जाना जाता है | इन रेखाओं के मिलन बिन्दुओं पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव दोगुना हो जाता है | ये जियोपैथिक स्ट्रेस के सम्बन्ध में हुए शोध ये बताते है की ऐसे 85% मरीज जो कैंसर से मर जाते है ऐसा उनके जियोपैथिक स्ट्रेस जोन में ज्यादा संपर्क में रहने के कारण हुआ | दुनिया के प्रसिद्ध कैंसर विशेषज्ञ और जर्मन डॉक्टर Hans Nieper ने बताया है की उनके 92% कैंसर के मरीज जियोपैथिक स्ट्रेस से प्रभावित थे | इसी क्षेत्र में शोध करने वाले एक एक प्रमुख शख्सियत Von Pohl जिन्होंने जियोपैथिक ज़ोन शब्द का इजाद किया, उन्होंने Central Committee for Cancer Research, Berlin, Germany, के सामने ये साबित किया की किसी व्यक्ति को कैंसर की सम्भावनाये बहुत कम हो जाती है अगर उसने अपना समय जियोपैथिक स्ट्रेस जोन में ना बिताया हो, विशेष तौर पर सोते वक्त क्योंकि सामान्यतया जहाँ हम सोते है वहाँ GS जोन का असर ज्यादा होता है क्यूंकि उस वक्त हम स्थिर और ज्यादा ग्राह्य होते है | कैंसर पर जियोपैथिक स्ट्रेस जोन के असर को लेकर हुआ शोध और भी पुख्ता हो जाता है जब हम इस मसले पर अन्य शोधकर्ताओं के रिसर्च को देखते है | जैसे की डॉक्टर Ernst Hartmann, MD ने भी जियोपैथिक स्ट्रेस को कैंसर Dr. Ernst hartmann grid and Geopathic stress के सबसे मुख्य कारणों में से एक माना है | उन्होंने कहा है की हम सभी कैंसर के लिए जिम्मेदार सेल्स पैदा करते है, लेकिन वो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि की इम्यून सिस्टम के कारण साथ के साथ नष्ट भी कर दिए जाते है | लेकिन जब आप GS जोन के प्रभाव में आते है तो वो सीधे तौर पर आपको कैंसर तो नहीं देता है लेकिन कैंसर सेल्स को नष्ट करने के लिए जरुरी इम्यून सिस्टम को ही वो कमजोर कर देता है जिससे आपके कैंसर सेल्स नष्ट होने बंद हो जाते है और फिर वो ही कैंसर का कारण बनता है | सिर्फ कैंसर ही नहीं बल्कि गंभीर दीर्घकालीन बीमारियों और मनोरोगों की स्थिति में भी जियोपैथिक स्ट्रेस एक बड़े कारण के रूप में सामने आया है | इसके कारण नींद ना आने की समस्या, सिरदर्द, बैचेनी, और बच्चों का चिडचिडा व्यवहार जैसी समस्याएँ भी आती है |
लक्षण
लक्षण जिनसे आप जियोपैथिक स्ट्रेस जोन का पता लगा सकते है,
जैसे कि – घर में अशांति का वातावरण होना
डिप्रेशन
बार बार बीमार होना
पेड़ का टेढ़ा मेढ़ा होना
सिरदर्द
दवाइयों का असर न करना
बच्चों को सोने में परेशानी होना
विधुत सम्बन्धी उपकरणों के प्रति संवेदनशीलता
बगीचे में किसी स्थान पर घास का ना उगना
दीवारों में दरारों का आना
पैरासाइट्स, बैक्टीरिया, वायरस की मौजूदगी
मधुमक्खियों का छत्ता
घर में सोने पर डरावने सपने आना
सड़क हादसों की अधिकता वाले स्थान
नींद ना आने की समस्या
बैचेनी
बच्चों का चिडचिडा व्यवहार