कब्ज का उपचार
कब्ज से अभिप्राय —
यदि मलत्याग की क्रिया नियमानुसार न हो , तथा मलत्याग में कठिनाई हो , तो यह रोग कब्ज़ कहलाता है |
कब्ज़ के निम्न कारण हो सकते है
1 . आहार में रेशेदार भोजन का आभाव
2 . जल्दी जल्दी भोजन ग्रहण करने की आदत
3 . व्यायाम न करना
4 . पर्याप्त जल का सेवन न करना |
5 . भोजन के समय ठंडे पेय पदार्थों का सेवन |
6 . आवश्यक विश्राम का अभाव
7 . रात्रि में देर तक जागने की आदत
8 . मानसिक असंतुलन { भय , क्रोध , तनाव , चिंता }
9 . गलत आहार विहार , उठना ,बैठना , चलना एवं सोना
10 . तंग कपड़ों का प्रयोग
11 . शौच का वेग रोकने की आदत और जल्दवाजी
12 .खाद्य पदार्थों का गलत मेल
13 . आँतों की दुर्बलता
14 . रेचक औषधियों का प्रयोग
15 . अपर्याप्त निद्रा
16 . शौचालय में गन्दगी
17 . मादक द्रव्यों का सेवन
18 . पित्त दोष प्रकुपित होना
19 . ट्यूमर या कैंसर होना
20 . माँसाहार का प्रयोग
21 भोजन में अम्लीय पदार्थों का ज्यादा प्रयोग
1 . मल निष्कासन में कठिनाई
2 . त्वचा रोगों से परेशान
3. अनियमित मल त्याग
4 . हार्मोन्स का असंतुलन होना
5 . सिर दर्द रहना
6 . बेचैनी रहना
7 .भूख न लगना
8 . जी मचलाना
9.श्वास में दुर्गंध आना
10 . पेट भारी भारी रहना
11 . मुँह में छाले आना
12 . नींद में कमी आना
13 . व्यवहार में परिवर्तन { चिड़चिड़ापन }
14 . शरीर पर दाने निकलना
15 . पेट में गैस बनना
16 .मल प्रदेश में दर्द होना
17 . बबासीर होना
18 .बाउल मूवमेंट जो एक सप्ताह में 3 बार से कम है
19 . स्टूल के गुजरने की प्रक्रिया के दौरान पेरशानी
20 . पेट के निचले हिस्से में भूख के कारण दर्द और ऐंठन होना
21 . गांठदार, कठोर और छोटे छोटे मल आना
22 . पेट दर्द या पेट में सूजन होना
23 . पेट फूला हुआ महसूस होना
कोलोन या कोलोरेक्टल कैंसर को बड़ी आंत का कैंसर भी कहते हैं। दुनियाभर में कैंसर की तेजी से फैल रही यह तीसरी किस्म है। इस कैंसर की शुरुआत होने पर पेट से जुड़ी प्रॉब्लम्स जैसे इरीटेबल बाउल सिंड्रोम, बवासीर या कब्ज की प्रॉब्लम से होती है।
2 .
वैज्ञानिक प्रमाणों में शोधकर्ताओं ने पाया कि कब्ज़ अधिक गंभीर जटिलताओं जैसे कि बवासीर, गुदा उदर, कोलोनीक परिस्थितियों और मूत्र संबंधी विकारों के जोखिम को बढ़ावा दे सकता है। कुछ लोग कब्ज की गंभीरता को नकारते है लेकिन सामान्य शरीर में होने वाले समस्त रोगों की जड़ कब्ज होती है। हमारे शरीर में समय-समय पर होने वाली अधिकांश बीमारियों का कारण कब्ज होता है।
3 .
शरीर में बिग इंटेस्टाइन का प्रमुख कार्य भोजन से जल को अवशोषित कर उत्पन्न मल को स्टोर करना है। कब्ज़ कई रोगों को जन्म देता हैं जैसे अतिसार, बड़ी आंत में सूजन, गैस्ट्रिक समस्या आदि। कुछ लोगों को कब्ज़ होने के कारण कोलन या मूत्र पथ को प्रभावित करने वाली अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। बवासीर होने का एक महत्वपूर्ण कारण कब्ज़ है। कब्ज और मूत्र संबंधी विकारों के बीच भी संबंध होता है।
4 .
अल्सर यह आम तौर पर विचलित जीवनशैली के प्रभाव से होता है जिसमें तनावपूर्ण जीवन में रहने और दिनचर्या में कमी, ठंडे, सूखे और हल्के भोजन के कारण होते है जिसके परिणामस्वरूप कब्ज़ अलसर को जन्म देती है। बवासीर या हैमरॉइड एक ऐसी बीमारी है जो शरीर से मल निकालने के समय परेशानी बनती है। बवासीर मलाशय के आसपास की नसों में सूजन के कारण होता है। और शौच करते समय रुकावट पैदा होती है या खून आता है या अत्यधिक दर्द होता है।
5 .
ऐनल फिस्टुला गुदा क्षेत्र से शुरू होने वाली गुदा क्षेत्र की परतों के बीच असामान्य स्थिति को ऐनल फिस्टुला नाम से जाना जाता है। ऐनल फिस्टुला में ऐनल या मलाशय के अन्दर और ऐनल के आसपास की बाहरी त्वचा की सतह के बीच संचार के लिए एक जैसी एक असामान्य स्थिति पैदा हो जाती है जिससे मल त्यागने में परेशानी आती है। एनोरेक्सिया एनोरेक्सिया एक भोजन विकार है जिसके लक्षणों में भूख कम लगती है और भोजन को देखकर उलटी जैसा महसूस होता है।
6 .
ब्युलिमिया एक ऐसा विकार है जिसमें मल को बार-बार त्यागने की जरूरत होती है। पेट का कैंसर पेट का कैंसर एक ऐसी बीमारी है पैंक्रियास की अंदरूनी परत से उत्पन्न होता है।
7 .
आंतों में गैस – बैलिचिंग, ब्लोटिंग, फ़्लैटुलेंस आदि विकार का आंतो में होना। गुदा खुजली मलाशय करने के समय मल बाहर निकलने पर त्वचा पर जलन और खुजली होती है जो एक अजीब सी स्थिति पैदा करती है।
8 .
आईबीएस आंत्र सिंड्रोम – कुछ लोगों को आंत्र सिंड्रोम हो जाता है जिसमे उनके आंत्र में खुजली, जलन और चिड़चिड़ाहट होती रहती है। इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) से पीड़ित व्यक्तियों को अधिक कब्ज होती हैं। सिस्टिक फाइब्रोसिस सिस्टिक फाइब्रोसिस बलगम और पसीना ग्रंथियों में होने वाली एक बीमारी है। सिस्टिक फाइब्रोसिस से मुख्यतः फेफड़ों, पैंक्रियास, लिवर, आंतों, साइनस और प्रजनन अंग प्रभावित होते हैं।
9 .
मधुमेह (टाइप 1 और टाइप 2) – मधुमेह एक ऐसी पुरानी बीमारी है जिसमें असामान्य रूप से रक्त में शर्करा (ग्लूकोज) का उच्च स्तर हो जाता है। जब पैंक्रियास द्वारा उत्पादित इंसुलिन रक्त में ग्लूकोज को कम करता है तो इंसुलिन का शरीर में असंतुलन हो जाता है और शरीर इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता।
प्राण योग से कब्ज मुक्ति – तुरंत असरकारक
विधि –
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प्राण योग ध्यान को सुनना शुरू कीजिये ,सीधे आसमान की तरफ मुँह करके लेट जाएँ हथेलियां आसमान की तरफ अधखुली हो , शरीर को शिथिल छोड़ दीजिये , आँखे बंद कीजिये , अब दाएं हाथ के अंगूठे से अपनी दांयी नाक के नथुने को बंद कीजिये , और बाएं नथुने से साँस खींचते हुए यह कल्पना कीजिये की प्राण ऊर्जा आपके मणिपुर चक्र { नाभि } में आ रही है , जो आपकी कब्ज सहित समस्त समस्याओं को ठीक करने जा रही है , साँस को रोककर रखिये , जब तक घबराहट न होने लगे , साँस को रोके रखिये , फिर दाएं नथुने से बाहर निकल दीजिये | अब बाएं नथुने को अनामिका अंगुली से बंद कीजिये , दायें नथुने से साँस खींचिए , और रोक कर रखिये , जब तक आपको घबराहट न होने लगे , अब बाएं से छोड़िये , आपको जिस तरफ से साँस लेना है, उसके विपरीत तरफ से छोड़ना है , और जिस तरफ से आपने साँस छोड़ी है, उसी तरफ से आपको लेनी है | ऐसा 9 बार करें , हर बार ज्यादा देर तक साँस रोकने का अभ्यास करें , फिर शरीर को शिथिल छोड़ दें , कब्ज मुक्ति प्राण योग ध्यान मैडिटेशन की ध्वनि को आपने मणिपुर चक्र { नाभि } पर महसूस करे | अब आँखे खोल लीजिये , यह ध्यान सुबह के समय 5 बजे से 7 बजे तक करने से बहुत अच्छे परिणाम मिलते है |
और हा, अपनी प्रतिक्रिया , देना न भूलें , मुझे इंतजार रहेगा |
कब्ज का योग से उपचार
योगिक उपचार {योगिक क्योर}
[1] षट्कर्म
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{a} कुंजल {Volitional stomach wash}
{b} कपालभाति { Lungs and brain wash by breathing}
{c} नौलि { Massage to abdominal visceral organs}
{d} संख -प्रक्षालन{ Mouth to Anus gut wash}
2 योगासन
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{1} अर्ध मत्स्येन्द्रासन
{ 2} पश्चिमोत्तानासन
{3} वज्रासन
{ 4} सर्वांगासन
{ 5} त्रिकोणासन
{6} गोमुखासन
{7} नौकासन
{8 } मत्स्येन्द्रासन
{ 9} मयूरासन
{10}भुजंगासन
{11} पवन मुक्तासन
{ 12 } पद्मासन
{13} शलभासन
{14 } मत्स्यासन
[3]प्राणायाम {Body-mind energising breathing practices}
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{a} सूर्य भेदन{Right nostrilar pranayama}
{b}भस्त्रिका {Bellow pranayama}
{c} उज्जायी {Hissing pranayama}
{4} बंध
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{1} उड्डियान बंध { Abdominal Lock }
{2} मूल बंध { Anus Lock }
{5} मुद्रा
[1} तड़ागी मुद्रा { Pond }
कब्ज का इलाज { घरेलु इलाज एवं जीवन शैली में परिवर्तन }
1
सुबह उठने के बाद पानी में नींबू का रस और काला नमक मिलाकर पिएं। इससे पेट अच्छी तरह साफ होगा, और कब्ज की समस्या नहीं होगी।
2
कब्ज के लिए शहद बहुत फायदेमंद है। रात को सोने से पहले एक चम्मच शहद को एक गिलास पानी के साथ मिलाकर पिएं। इसके नियमित सेवन से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है।
3
भिगोई हुई अलसी का पानी पिएं और अलसी चबाकर खाएं।
4
– एक चम्मच ईसबगोल की भूसी दूध में या पानी में मिलाकर पिएं।
5
– थोड़ी सी किशमिश या मुनक्का पानी में भिगो दें। यह पानी पी लें और किशमिश/मुनक्का खाएं।
6
– दूध में 2-3 अंजीर उबाल लें। गुनगुना दूध पिएं और अंजीर खा लें।
7
– एक गिलास गुनगुने पानी में 2 चम्मच ऐलोवेरा जेल घोलकर पी लें।
जीवन शैली में बदलाव से कब्ज का इलाज
=================================
1
भोजन के बाद बैठे रहने और रात के खाने के बाद सीधे सो जाने जैसी आदतें कब्ज के लिए जिम्मेदार होती हैं।
2
डिनर में ज्यादा मैदा, जंक या प्रॉसेस्ड फूड न लें। इनमें फाइबर नहीं होता, जिससे कब्ज हो सकती है।
3
– देर रात तक शराब या सिगरेट पीने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है और कब्ज की समस्या होती है।
4
– आयरन और कैल्शियम सप्लिमेंट्स रात में न लें। इनके कारण भी ये समस्या हो सकती है।
5
– ज्यादा डेयरी प्रॉडक्ट्स न लें। इससे भी कई लोगों को कब्ज और गैस बनने की समस्या हो जाती है।
6
– देर रात चाय या कॉफी पीने से भी डाइजेशन खराब हो सकता है।
7
– सोने से पहले चाय और कॉफी पीने से बचना चाहिए। थोड़ा सा मक्का लेने से पेट साफ होता है और कब्ज की समस्या में आराम मिलता है।
8
मानसिक तनाव से , और कार्य में जल्दवाजी से कब्ज का खतरा रहता है, धयान और योग नियमित रूप से करें |
9
देर रात तक जागने से कब्ज की समस्या हो जाती है, इसलिए मध्य रात्रि में सोना अनिवार्य है |
कब्ज मुक्ति के सामान्य नियम
आयुर्वेद के अनुसार मलाभाबाद बलाभावो बलाभावाद सु छ्ह “
मल से बल की कमी होती है और बल की कमी होने से प्राण की कमी होती है हमारे शरीर में प्राणों के असंतुलित होने से व्यक्ति को अनेक प्रकार की बीमारियों घेर लेती है | अर्थात इसका तात्पर्य यह है कि प्राण ही सब कुछ है, | डॉक्टर को आपने कहते सुना ही होगा कि अब प्राण निकल गए , अब कुछ नहीं हो सकता है | कब्ज प्राण तत्व का सबसे बड़ा दुश्मन है , आज हम बताने जा रहे हैं आपको कब्ज दूर करने के सामान्य नियम
1
पित्त का अल्प मात्रा में बनना ही कब्ज का प्रमुख कारण है जितना अधिक परिश्रम होगा उतना अधिक पित्त का निर्माण होगा ,आंतों की सफाई में साबुन की तरह कार्य करता है अतः परिश्रम प्रतिदिन इतना होना चाहिए कि सांस तेज गति चलने लगे और पसीना आ जाए वृद्धावस्था में परिश्रम कम होने से कब्ज की शिकायत रहती है
2
दूसरा भोजन में सेंधा नमक ,मिर्च ,काली मिर्च ,अदरक, लहसुन ,पिंड खजूर जैसे आग्नेय पदार्थों को शामिल करना चाहिए ये शरीर में पित्त का निर्माण करते हैं अगर कब्ज से मुक्ति चाहते हैं तो रात्रि 11:00 बजे सोना अनिवार्य है हमारे लीवर में प्राण ऊर्जा का सर्वाधिक संचार रात्रि 11:00 बजे से लेकर रात्रि 3:00 बजे तक रहता है |लीवर हमारे पाचन तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण भाग है जो शरीर से विषैले पदार्थों को निकाल कर बाहर करता है यह तभी कार्य करता है जब हम नींद में होते हैं अगर हम रात्रि 12:00 बजे सोते हैं तो लीवर को कार्य करने के लिए 3 घंटे का समय मिलेगा अगर 2:00 बजे सोते हैं तो 1 घंटे का समय मिलेगा और यदि 3:00 बजे सोते हैं तो लीवर को कार्य करने का समय नहीं मिलता और हमारा शरीर विषैले पदार्थों से युक्त हो जाता है |
3
रात्रि में भोजन के बाद तुरंत सोना कब्ज को बढ़ावा देना है |
4 कब्ज दूर करने के लिए आवश्यक है कि पानी बैठकर घूंट घूंट ही पिए , साथ ही अगर आप कठिन परिश्रम नहीं करते तो ५- ६ घंटे बाद ही कुछ और चीज खाएं अगर
आप किसी बर्तन में दाल पकाने रखेंगे और थोड़ी थोड़ी देर में उसमे और दाल डालते रहेंगे तो दाल कभी नहीं पक पायेगी, ऐसी प्रकार पेट भी एक बर्तन है जिसमे बार बार चीजे डालने से पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं कर पाता |
5
तांबे के बर्तन में रखा पानी उषाकाल में पीने से कब्ज दूर होता है |
6
भूख जोर से लगने पर ही भोजन करना चाहिए और तृप्ति से पहले ही भोजन समाप्त कर देना चाहिए |
7
सोने से पूर्व गुनगुना पानी पीना चाहिए इससे कब्ज के साथ-साथ अनेक गंभीर बीमारियों का खतरा भी दूर हो जाता है |
8
ऋतु अनुसार साग साग सब्जियों का प्रयोग कब्ज दूर करता है |
9
घंटों तक लगातार बैठकर कार्य करने से कब्ज, बवासीर ,फिसर , भगंदर की समस्या पैदा हो जाती है | 1 घंटे बाद 5 मिनट घूमना मानसिक शक्ति को तो बढ़ाता ही है, अनेक बीमारियों को भी दूर रखता है |
कब्ज दूर करने के सामान्य नियम
=======================
1
कब्ज को दूर करने हेतु ऋतु अनुकूल भोजन करना चाहिए। ज्यादा पानी पीना चाहिए।
2
-गरिष्ठ भोजन का एकदम त्याग करना चाहिए।
3
-पेट को किसी भी तरह से साफ रखना चाहिए। तेज से, अच्छी तरह चाबाए बिना भोजन नहीं करना चाहिए।
4
-भारी व मसालेदार भोजन नहीं करना चाहिए। भोजन नियमित व भूख लगने पर करना चाहिए।
5
-तंबाकू, भांग, गुटखा आदि धूम्रपान का सदा त्याग करें।-सदा जरुरत से थोड़ा ही भोजन लें।
6
-खाते समय हो सके तो पानी न पीयें तथा खाने के बाद लगभग आधा घंटे तक पानी न पीयें।
7
-खाने में ज्यादा हरी सब्जियों व अनाज का सेवन करें।
8
-मौसमी फल का जूस मौसम में लेना चाहिए।
9
मन को नकारात्मक विचारों से सदा दूर रखें।
10
-कब्ज में सेवन योग्य सेव, नीबू, नारंगी, अंगूर, आँवला, अमरुद, पपीता, बील, फूलगोभी, पत्तागोभी, खरबूजा, तरबूज,लौकी, करेला, बथुआ, चौलाई, मटर,चावल, गेहूँ, मूँग, चना, मसूर की दाल, बाजरा, दूध, छाछ, घी, हींग, काली मिर्च, शहर आदि हैं जो कब्ज क लिए लाभप्रदक है। इसका उचित मात्रा में सेवन किया जा सकता है।
11
प्रातः नास्ते में अंकुरित चना, अंकुरित मूँग, अंकुरित गेहूँ, फुलाया हुआ बादाम, मूंगफली, मूली, टमाटर,गाजर, धनिया का पत्ता, हींग, काला या सेंधानमक, काली मिर्च तथा नींबू आदि मिलाकर स्वाद के साथ सेवन कर सकते है। इससे भी कब्ज नहीं होता तथा पुराना कब्ज भी धीरे-धीरे ठीक हो जाता है।
12
मुनक्का का सेवन कब्ज के लिए अति उत्तम है। 6-8 मुनक्का को खाकर ऊपर से गर्म दूध पी लें। इससे किसी भी तरह का कब्ज ठीक हो जाता है।लगभग सर्व रोगों का कारण मानसिक कमजोरी ही होता है।
13
इसलिए मानसिक तनाव से मुक्त रहना चाहिए |
इससे रोग भी ठीक होता है तथा हम मेधावान, बुद्धिवान, तेजवान भी बनते हैं।
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1
रात्रि में सोते समय 10-12 मुनक्के पानी में अच्छी तरह साफ करके बीज निकालने के बाद दूध में उबालकर खाएं और ऊपर से वही दूध पी ले सुबह पुराना से पुराना कब्ज 3 दिन में ठीक हो जाता है |
2
4 ग्राम त्रिफला चूर्ण 200 ग्राम हल्के गुनगुने दूध के साथ सोते समय लेने से कब्ज दूर होता है |
3 ईसबगोल की भूसी 6 घंटे पानी में भिगोकर रखे फिर उसमें दो चम्मच मिश्री मिलाकर रात में सोते समय लेने से कब्ज ठीक हो जाती है |
4
अरंडी का तेल अवस्था के अनुसार 5 चम्मच की मात्रा एक कप गर्म दूध के साथ पीने से कब्ज दूर होता है |
5
बिगड़े हुए कब्ज में दो संतरों का रस खाली पेट 8 दिन तक लेने से कब्ज पूरी तरह से ठीक हो जाता है |
6
हर्र को रेत में भूनकर ,बराबर मात्रा में सोना पत्ती को भी भूनकर चूर्ण बना लें और एक-एक चम्मच सुबह शाम गुनगुने पानी से लेने से 1 सप्ताह में कब्ज ठीक हो जाती है
7
बेल का गूदा 100 ग्राम, सौंफ 100 ग्राम,ईसबगोल की भूसी 100 ,ग्राम छोटी इलायची 10 ग्राम, इन चारों को पीसकर चूर्ण बना लें और इसमें 300 ग्राम देशी खांड या मिश्री का पाउडर मिलाकर 1 शीशी में रख लें और सुबह शाम एक एक चम्मच गुनगुने जल के साथ लेने से पुरानी से पुरानी कब्ज और आंतों की सूजन {कोलाइटिस } कुछ ही दिनों में जड़ से समाप्त हो जाती है |
1.
अदरक की चटनी में सेंधा नमक मिलाकर चाटने से गैस और कब्ज की बीमारी दूर होती है |
2
सौंठ काली मिर्च और पीपल को बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बना ले, सुबह शाम एक एक चम्मच गुनगुने पानी के साथ लेने से कब्ज ठीक होती है |
३
धनिया और अदरक में पानी मिलाकर मिक्सी में चला ले, इसमें काला नमक मिलाकर सुबह खाली पेट पीने से कब्ज और किडनी की समस्या ठीक होती है
४
पुदीने के रस में मिश्री या गुड़ मिलाकर पीने से बहुत लाभ होता है
5
सौंठ , बड़ी इलाइची , दाल चीनी को बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बना लें और सुबह शाम एक एक चम्मच गुनगुने पानी के साथ लें
6
गरम पानी में एक नीबू का रस मिलाकर सुबह लेने से कब्ज दूर होगी
7
कब्ज में चने बराबर हींग गुनगुने पानी से लेने और नाभि पर हींग का लेप लगाने से कब्ज दूर होती है
8
सौंठ , छोटी हरड़ और अजवाइन को पानी में उबालें , और सेंधा नमक डालकर सुबह पिए , इससे पेट साफ हो जायेगा
9
भुना जीरा , भुनी हींग , सौंठ और सेंधा नमक का पाउडर बना लें, और सुबह शाम एक एक चम्मच गुनगुने पानी के साथ ले
10
कच्चे प्याज को काळा नमक के साथ सेवन करने से पेट की सभी समस्याओं से निजात मिलती है
जो रोगी काफी कमजोर हो या बालक हो तो आंवला पीस कर नाभि के चारों और दीवाल सी बना दो, उसी के भीतर अदरक का रस भर दो, दो घंटे रोगी को लेटा रहने दीजिये , जुलाब के बगैर और बिना किसी तेज ज़हरीली दवाई के बिना ,ही महीनों पुराना सारा मल साफ हो जाता है।
2 .
भोजन में काला नमक, आधा नीबू, सिका हुआ जीरा, हींग, और मौसम के अनुसार उपलब्ध सलाद को शामिल करने से कब्ज और पेट की दूसरी तमाम समस्याओं से स्थाई रूप से छुटकारा मिल जाता है |
3 .
अलसी के बीजों को मिक्सी में डालकर पीस लें, करीब 20 ग्राम पाउडर को पानी में डालकर मिला लीजिये और तीन-चार घंटे बाद पानी को छानकर पिये।
जब भी कब्ज़ महसूस हो, इसका सेवन कर सकते हैं।
4 .
गुनगुने पानी में एक चाय की चम्मच बराबर बेकिंग सोडा मिलाएं और पियें ,
आप महसूस करेंगे कि इसे पीने के कुछ देर बाद ही प्रेशर बनने लगेगा और पेट साफ हो जाएगा।
5 .
सुबह एक कप गुनगुने पानी में आधा नीबू और शहद डालकर पीने से पेट जल्दी साफ होता है |
6 .
अमरूद में से बीज निकालकर उसे बारीक-बारीक काट लें।
अब इसे मिश्री के साथ धीमी आंच पर पकाकर चटनी बना लें।
इस चटनी का सेवन करने से कब्ज़ ठीक हो जाती है।
7 .
दो चम्मच एक्सट्रा वर्जिन ऑलिव आयल रात में संतरा या मिक्स फ्रूट जूस में मिलकर पीने से पेट साफ हो जाता है |
जब तक आपकी कब्ज़ की समस्या दूर न हो जाए, इसका सेवन करते रहें।
8 .
आलू बुखारे का एक गिलास जूस सुबह व एक गिलास रात को पिएं।
जूस पीने की जगह आप आलू बुखारे को खा भी सकते हैं। यह कब्ज़ के लिए रामबाण इलाज है | सिर्फ एक दिन ही इसका सेवन करने से आपको कब्ज़ से राहत मिल सकती है।
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