जोड़ों की समस्या का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार {प्रथम भाग- मिटटी से उपचार }
–योगी योगानंद
{ अध्यात्म ,योग गुरु एवं प्राकृतिक चिकित्सक }
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प्रकृति ने हमारे उपचार की वस्तुएं हमारे आस पास ही उपलब्ध कराई हुयी है | आज हम आपको जोड़ों के उपचार की प्राकृतिक विधियां बताने जा रहे है, जो इतनी कारगर है कि जहाँ सारी चिकित्सा पद्धतियां असफल हो जाती है, वहाँ प्राकृतिक चिकित्सा शरीर को शुद्ध करके जीवन भर के लिए निरोग बना देती है, मेने प्राकृतिक चिकित्सा की पढाई के दौरान एडवर्ड जस्ट की पुस्तक ” Return to Nature “{ जो आपको भेजी जा चुकी है } तथा गाँधी जी की पुस्तक कुदरती उपचार { जो आपको भेजी जा रही है } पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | एडवर्ड जस्ट की पुस्तक को पढ़कर गाँधी जी ने चार साल पुरानी कब्ज की बीमारी पेट पर मिटटी रखकर एक दिन में ठीक कर ली, जबकि गाँधी जी, कब्ज की बीमारी के लिए चार साल से दवाये ले रहे थे |
मैंने प्राकृतिक चिकित्सा की पढाई के दौरान ही हजारों जोड़ों के मरीजों को मिटटी की पट्टी रखकर ही 10 – 15 दिन में ठीक किया है | अधिकांश मामलों, में तीन दिन में ही मरीज को दर्द से 50 प्रतिशत तक मुक्ति मिल गयी | परन्तु याद रखे इस चिकित्सा में शुरू में मरीज़ को पहले से अधिक तकलीफ हो सकती है | ऐसा शरीर से विजातीय तत्वों के निष्कासन और सुधार की प्रक्रिया शुरू होने के कारण होता है | अगर आप
जोड़ो के निम्न लिखित विकारों से पीड़ित है, और नीचे लिखे लक्षण दिखाई देते है, तो मिटटी चिकित्सा आपकी सारी समस्याओ का समाधान है |
जोड़ों के वे विकार जिनमें मिटटी चिकित्सा अत्यंत कारगर है —-
Arthritis जोड़ों में दर्द व सूजन।
Osteoarthritisऑस्टियोआर्थराइटिस-जोड़ों व कार्टिलेज का घिस जाना ।
Gout गठिया जोड़ों में गाँठ बन जाना।।
Rheumatoid Arthritis (RA)रुमेटाइड आर्थराइटिस- हड्डियां घिसना या जोड़ों में विकृति,ऑटोइम्यून बीमारी।
Bursitis बरसाइटिस – जोड़ों की जलन होना ।
Ankle pain and Tendinitis टेंडिनाइटिस- टेंडोन के घिसने से दर्द।
ऑस्टियोमाइलाइटिस Osteomyelitis- हड्डियों का संक्रमण।
कोनड्रोमालाशिया पेटेलै Chondromalacia patellae- घुटनों के भीतर स्थित कार्टिलेज का घिसना।
स्पोंडिलोसिस Spondylosis- रीढ की हड्डी में घिसावट।
Osteoporosis ओस्टिओपोरेसिस- हड्डियों का घनत्व व वजन कम होना व कमजोर होना |
इन बीमारियों में आपको नीचे लिखे लक्षण देखने को मिलेंगे |
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सुबह उठते ही ऐड़ी में दर्द, चलना मुश्किल ।
कमर, कंधे व पूरे शरीर में जकड़न।
कलाई में जकड़न।
विभिन्न जोड़ों में दर्द।
रात में सोते समय पैरों में दर्द की लहर चलना।
जीना चढते समय, भारी काम करते समय जोड़ों में कट-कट की आवाज।
हाथों को कंधों से ऊपर करने में या कमर से नीचे झुकने में दर्द,।
जोड़ों में लालिमा व सूजन आना।
हाथ पैरों के रूप में टेढापन या विकृति।
जोड़ों की गतिशीलता में कमी।
चलने में दर्द होना।
हड्डियाँ कमजोर होना, हलकी से चोट से हड्डी फ़्रैक्चर होना।
फ़्रैक्चर हड्डियों को जुड़ने व ठीक होने में अधिक समय लगना।
एक जगह पर लंबे समय बैठने या लेटने से हड्डियों में जकड़न।
उंगलियों, पैर, कोहनी, एडी और कलाई के पास गांठ बनना।
रीढ की हड्डी में दर्द व जकड़न, गर्दन में दर्द व जकड़न।
टांग, बाजू, पैर और हाथ में सुन्नता, झुनझुनी आना |
आज हम बताने जा रहे है, चमत्कारी मिटटी के अद्भुत प्रयोग | मिट्टी का अर्थ है, मिटाना , अर्थात सारे रोगों को जड़ से मिटा देना , इसलिए इसे सर्वरोगहारी भी कहते है , भागवत पुराण के अनुसार राजा पृथु ने पृथ्वी को समतल करके उससे सब प्रकार की औषधियों का दोहन किया था | मानव शरीर और पृथ्वी में अद्भुत समानता है, शरीर में 70 प्रतिशत पानी है, पृथ्वी में भी 70 प्रतिशत पानी है, इसलिए पृथ्वी को रसा भी कहते है, शरीर पञ्च तत्त्व से निर्मित है, पृथ्वी भी पञ्च तत्त्व से बनी है, इसलिए ऐसे धरा कहते है, वैज्ञानिक दृष्टि से शरीर में 24 खनिज तत्व पाए जाते है, यही सब तत्व पृथ्वी में भी समाहित है, इसलिए पृथ्वी को रत्नगर्भा कहते है, मानव शरीर , और पृथ्वी ही नहीं वल्कि ब्रम्हाण्ड भी समान पदार्थों से बना हुआ है, इसलिए वेदों में कहा गया है, “”यथा पिण्डे तथा ब्रम्हांडे | “” ब्रम्हवैवर्त पुराण के अनुसार “” सर्वाधारे सर्व बीजे सर्व शक्ति समन्विते |
सर्व काम प्रदे देवि सर्वेष्ट देहिमे धरे ||
अर्थात मिटटी सबका आधार ,सबका बीज़ ,सब प्रकार की शक्तिवाली तथा सारी इच्छाओ को पूरा करने वाली है | पृथ्वी तीन प्रकार से व्यक्ति का इलाज करती है
1. शरीर से विजातीय { विषैले } पदार्थों को बाहर निकलना |
2 . शरीर में उन पदार्थों की पूर्ति करना जिनकी कमी से कोई कमज़ोरी या रोग उत्पन्न हुआ है |
3 .शरीर में प्राण शक्ति { जीवनी शक्ति } की पूर्ति करना |
मिट्टी के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है , मानव को भोजन , पानी , ऑक्सीजन , आवास , वस्त्र सब कुछ पृथ्वी से ही हमें प्राप्त होता है, अर्थात पृथ्वी हमारी माँ है, जिससे हमने दूरी बना ली है , हम कभी मिट्टी पर नहीं लेटते , कभी नंगे पैर जमीन पर नहीं चलते और न ही उसका शरीर से स्पर्श होने देते है, आज का सभ्य कहा जाने वाला मानव , अज्ञानी ,निरा मूर्ख और अनेक बीमारियों से पीड़ित होकर अपने आप को अस्त व्यस्त और त्रस्त महसूस कर रहा है, जितना इलाज किया जा रहा है, समस्या और अधिक उतनी बढ़ती जा रही है, और मानव अपने को बिमारियों के सामने पूर्णता असहाय महसूस कर रहा है, जबकि सामान्य बुद्धि के जीव जन्तु पृथ्वी के संपर्क में रहते हुए , बिना दवा , अस्पताल और डॉक्टर्स के हमसे ज्यादा स्वस्थ, दीर्घजीवी ,सुखी और निरोग है | जिन्हे हम जानवर कहते है, वे कभी बीमार नहीं पड़ते , और अगर पड़ते है, तो पृथ्वी पर लेटकर अपनी बीमारी तुरंत ठीक कर लेते है | सबसे शक्तिशाली घोड़ा है, इसलिए उसी के नाम पर ऊर्जा को हॉर्स पावर में मापते है, |
जबकि गेंडा और हाथी सबसे ज्यादा बलशाली होते है | जिसे हम गधा कहते है, वह भी अपनी थकान और तनाव को तुरंत ठीक करने का तरीका जानता है , जब गधे को दिनभर काम कराने के बाद छोड़ते है, तो वह 3 – 4 जमीन में लोट लगाता है, जिसे गधालोट कहते है, इससे उसको थकान और तनाव से तुरन्त मुक्ति मिल जाती है | आज का सभ्य कहा जाने वाला मानव प्रकृति का स्वामी बनने की चेष्टा कर रहा है , जिस प्रकार मृग अपनी नाभि में बहुमूल्य कस्तूरी रखते हुए , उसकी खोज में इधर -उधर भटकता है, और दुःखी होकर अंत में मर जाता है, उसी तरह अपने मद में चूर मानव मिट्टी जैसी निशुल्क सर्व सुलभ , और चमत्कारिक निशुल्क औषधी के होते हुए महँगी ,दुर्लभ ,विषैली हानिकारक औषधियों के पीछे भेड़चाल चलता हुआ , नागपाश में फसता चला जा रहा है |
मिट्टी के चमत्कारिक गुण =
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1. रोगनाशक शक्ति –
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मिटटी में अद्भुत रोगनाशक शक्ति होती है, जैसा हम सब जानते है, हमारा शरीर पञ्च तत्वों से मिलकर बना है, जिसमें पृथ्वी तत्त्व सबसे ज्यादा है, इसी तत्त्व से हमारी हड्डियां , बाल, नाख़ून , त्वचा आदि का निर्माण हुआ है, इसीलिए जोड़ों में आया गेप , कार्टिलेज का ख़राब हुआ, लिगामेंट का टूटना , हड्डियां में कैल्शियम की कमी होना, जैसी बीमारियां मिटटी से तुरंत ठीक होने लगती है, | गाँधी जी कहा करते थे, मिटटी के पुतले को मिटटी से ही ठीक किया जाना चाहिए | किसी भी अंग के क्षतिग्रस्त होने पर मिटटी रूपी संजीविनी से ही फिर से निरोग किया जा सकता है |
2. त्रिदोष नाशक –
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हमारी महान परंपरा आयुर्वेद के अनुसार सभी बीमारियों का कारण त्रिदोषों का असंतुलन है , जिसमें जोड़ों की 90 प्रतिशत समस्याएं वातदोष के प्रकुपित होने के कारण होती है | मिटटी से बने मकान भयंकर आँधियों में भी नहीं गिरते , जैसे मिटटी वायु के भयंकर झंझावातों को सहन कर लेती है, उसी प्रकार मिटटी शरीर में उत्पन्न हुए सभी वायु विकारों को शांत करके शरीर को निरोग बनाती है |
3. दर्द नाशक गुण –
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मिटटी शरीर में स्थित किसी भी प्रकार के दर्द को समाप्त करके निरोग प्रदान करती है , डॉ. लिंडलहार के अनुसार “मिटटी त्वचा के रोम कूपों को खोलती है, रक्त संचार को संतुलित करती है, अंदर के दर्द और रक्त संचय को दूर करती है, और विजातीय द्रव्य को बाहर निकालती है |” डॉ. जे. एच. केलांग ने सन्धिवात जैसे जटिल रोग में मिटटी के प्रयोग की जोरदार सिफारिश की है |
4. विष अवशोषण का गुण –
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मिटटी में विषैले पदार्थों को अवशोषित करने का अनोखा गुण विद्यमान है, जोड़ों में एकत्रित हुए यूरिक एसिड और अन्य जहरीले पदार्थों को मिटटी खींच कर बाहर निकाल देती है, महात्मा गाँधी ने कहा था, — मिटटी के अंदर जहर खींच लेने की अद्भुत शक्ति है | ”’ कुछ समय पहले की बात है, मेरे विश्वविद्यालय अटल बिहारी बाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल में एक गार्ड {जिनका नाम मुझे याद नहीं } मेरे पास आये और बोला कि गुरूजी मेरी माताजी की दोनों किडनी ख़राब हो गयी है, और अभी एक डॉयलेसिस भी हो गयी है, आप कोई उपाय बताये, जिनसे मेरी माताजी जी ठीक हो जाएँ, मेरी आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है, कि में उनका लम्बे समय तक इलाज करवा सकूँ | मैंने कहा कि आप उनको कहे कि हर दिन 30 मिनिट नंगे पैर मिटटी में चलें , तब वह बोला कि गुरु जी यह तो आपने बहुत सस्ता , सर्व सुलभ निशुल्क उपचार बता दिया , मैंने हाँ में सिर हिलाया और वहां से चला गया , एक माह बाद गार्ड मेरे पास दौड़ता हुआ आया और बोला गुरु जी, चमत्कार हो गया , मेरी माँ सिर्फ मिटटी में सुबह शाम नंगे पैर चलने से पूरी तरह स्वस्थ हो गयी और अब डॉयलेसिस की जरुरत भी नहीं, और सारी रिपोर्ट्स नार्मल आ गयी है |
5. ऊष्मा अवशोषण गुण –
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मिटटी में ऊष्मा अवशोषण का गुण पाया जाता है , जिनको जोड़ों में जलन पड़ती है , वे मिटटी की पट्टी रखने से ठीक हो जाते है |
6. चुंबकीय गुण –
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पृथ्वी मेग्नेट थेरेपी का भी काम करती है, मिटटी चिकित्सा से रक्त संचार में सुधार होता है, जिससे ऑक्सीजन शरीर के हर अंग तक पहुँचता है, और विकार दूर होकर शरीर स्वस्थ होता है |
निम्न लिखित विधियों के माध्यम से आप जोड़ों की तकलीफ को पूर्णत ; ठीक कर सकते है |
1. मिटटी के बिस्तर पर सोना — मिटटी के बिस्तर पर सोने से शरीर में पञ्च तत्वों की पूर्ति हो जाती है, शरीर में प्राण ऊर्जा का प्रवाह बढ़ने से शरीर के समस्त रोग समाप्त हो जाते है |
2 . सर्वांग मिटटी लेप – किसी अच्छे स्थान की कंकड़ रहित मिटटी लेकर उसे कूटकर छानकर बारह घण्टे तक पानी में भिगोकर , मक्ख़न की तरह शरीर पर आधा इंच मोटी परत चढ़ा लें, फिर एक घंटे धूप में बैठे , फिर रगड़ रगड़ पर स्नान कर लें |
3. किसी जंगल या नदी के किनारे की चार फ़ीट नीचे की मिटटी निकाल लें, उसे कूट पीसकर छान लें, फिर दो दिन मिट्टी को धूप में सुखा कर , लेप तैयार करके प्रभावित अंग पर लगायें , एक घण्टे बाद धो लें, अगर ज्यादा तकलीफ है, तो बार बार 1 -1 घंटे के अन्तराल से यह प्रक्रिया दोहराएं |
4 . मिट्टी पर नंगे पैर चलना — सुबह- शाम जमीन पर लगभग 30 मिनिट तक नंगे पैर चलने से भूमि से शरीर को पञ्च तत्व मिलते है, शरीर को जो खनिज पदार्थ की जरुरत होती है, वह शरीर खुद ले लेता है |शरीर में प्राण ऊर्जा का संचार तेज होने लगता है, प्राण शक्ति सारी व्याधियाँ ठीक कर देती है , शरीर से विषैले पदार्थ मिट्टी खींच लेती है फलस्वरूप शरीर शुद्ध होने से स्वत ; ठीक हो जाता है |