जोड़ों की समस्या – जल चिकित्सा द्वारा उपचार Cure joints problem through Water Therapy – Yogi Yoganand
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योगी योगानंद { अध्यात्म ,योग गुरु एवं प्राकृतिक चिकित्सक }

संसार में जितनी भी चिकित्सा पद्धतियां हैं उनमें जल चिकित्सा सबसे प्राचीन है। प्राकृतिक, आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों में इसका काफी महत्ता बताई गई है। अब तो इसे एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में भी अपनाया जा रहा है। जापान में तो जल चिकित्सा पद्धति काफी लोकप्रिय है। तथा अनेक रोगों का उपचार इससे किया जा रहा है। यह किसी औषधि से कम नहीं है।जल प्रकृति का अनुपम और अनमोल उपहार है। यदि धरती पर जल नहीं होता तो आज जीवन संभव नहीं होता। जल केवल प्यास बुझाने की वस्तु मात्र नहीं है। अपितु यह जीवनदाता है यानि इंसान की मूल जरूरत है। इसके बगैर एक सप्ताह भी जिंदा रहना मुश्किल है। हमारे शरीर में 70 प्रतिशत जल का भाग है। यही कारण है कि इसकी कमी जहां अनेक रोगों का कारण बनती है, वहीं इसकी समुचित मात्रा रोगों से निजात दिलाती है।
संसार में जितनी भी चिकित्सा पद्धतियां हैं उनमें जल चिकित्सा सबसे प्राचीन है। प्राकृतिक, आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों में इसका काफी महत्ता बताई गई है। अब तो इसे एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में भी अपनाया जा रहा है। जापान में तो जल चिकित्सा पद्धति काफी लोकप्रिय है। तथा जोड़ों की समस्या का उपचार इससे किया जा रहा है। यह किसी औषधि से कम नहीं है।

जल को आप साधारण वस्तु न समझें। क्या आप जानते हैं कि यह हमारे शरीर को किस तरह से स्वस्थ और निरोगी रखकर दीर्घायु बनाता है।

1. बच्चों के सूखा रोग में प्रतिदिन ठंडे जल से स्नान कराने से लाभ होता है।

2. जल हमारे शरीर शुद्धिकरण के लिए आवश्यक है। इसके अभाव में विजातीय तत्व शरीर से बाहर नहीं निकल पाते। पसीना और मूत्र तभी बनेगा जब आप पानी पिएंगे।
3. पानी का समुचित मात्रा में सेवन करने से खाए गए पोषक तत्वों का अवशोषण होता है।

4. मोटापे से परेशान हो तो पानी डटकर पिएं। इससे पेट भरा-भरा लगता है और शरीर को खाद्य सामग्री की जरूरत कम पड़ती है।
5. गठिया रोग में भी जल का सेवन बहुत लाभदायक है। इससे रक्त में व्याप्त अशुद्धियां बाहर निकल जाती हैं।

6. तांबे के बर्तन में रात भर रखा पानी सुबह पीने से पेट संबंधी रोगों का नाश होता है।
7. रक्त को तरल व गतिशील बनाए रखने में जल विशेष उपयोगी है।
8. पर्याप्त मात्रा में जल पीने से ही शरीर की हड्डियां और जोड़ क्रियाशील रहते हैं।

9. शरीर को जल की आवश्यकता प्राकृतिक बात है। यदि आप पानी नहीं पिएंगे तो जल की पूर्ति आपके रक्त, मांसपेशियों और विभिन्न कोशिकाओं से होती हैं। इससे अन्य शारीरिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
10. जल में प्राकृतिक रूप से रोगों से लड़ने की शक्ति होती है। जो लोग समुचित मात्रा में जल का सेवन करते हैं वे रोगाणुओं के हमले से बचे रहते हैं।
11. जल के सेवन से शरीर की नाड़ियां उत्तेजित होती हैं तथा मांसपेशियां संकुचित।
12. जल की कमी से जोड़ों को आधार प्रदान करने वाली गद्दियों (CARTILAGE)में लचीलापन समाप्त हो जाता है थथा वे सिकुड़ जाती हैं।
13. जल का सेवन नए ऊतकों के निर्माण में सहायक होता है तथा उन्हें सुरक्षात्मक कुशन प्रदान करता है।
14. शरीर में लगातार मेटाबोलिक क्रिया चलती रहती है जिसमें पानी की लगातार जरूरत होती है। इन्हीं क्रियाओं के फलस्वरूप हमें एनर्जी मिलती है। प्रातःकाल पिया गया पानी उषापान कहलाता है। इससे मनुष्य के यौवन और आयु में वृद्धि होती है।
15. जो लोग पानी कम पीते हैं उनकी
हड्डियां कमजोर होती है।
16. घूंट घूंट पानी पीने से मुंह में लार और थूक बनता है। लार पाचन क्रिया में महत्वपूर्ण योगदान देती है।

17. यदि पैरों में सूजन आ गई हो तो गर्म पानी में थोड़ा सा एप्सम साल्ट डालकर उसमें पैर डुबोकर रखें l
18. यदि कमर या पीठ दर्द सताए तो गर्म पानी की थैली से सिकाई करने से लाभ होता है।
19. एप्सम साल्ट पानी से नहाने से गठिया के दर्द में राहत मिल सकती है।हाल में हुए शोध से पता चलता है कि उच्च सांद्रता वाले नमक के घोल के सूजन के कारण फैली कोशिकाओं को राहत मिलती है और इससे किसी तरह का साइड इफेक्ट भी नहीं होता है।

20. यदि दर्द की शिकायत हो तो रात को सोते समय तथा सुबह उठने के बाद गर्म जल का सेवन करना चाहिए।
21. जोड़ों की समस्या की शिकायत हो तो सूर्य तापित जल का सेवन करना चाहिए।