पृथ्वी तत्त्व का संतुलन
पञ्च तत्वों का रहस्यमयी संसार
==================
महोदय / महोदया , आपका पृथ्वी तत्त्व असंतुलित होने के कारण आपको सम्बंधित समस्या / समस्यायें हो रही है | इसे ठीक करने के लिए कृपया आपको निम्न लिखित उपायों का पालन करना अनिवार्य है
1 . मध्यमा , { Middle Finger } में अँगूठे तरफ हरा रंग लगाये , दोनों हाथों की अँगुलियों , दोनों तरफ़ ,दिन में तीन बार रंग लगायें , रोग के पूरी तरह ठीक होने तक लगाते रहे, यह रंग आप स्केच पेन से लगा सकते है | { चित्र में दिए गये अनुसार }
2. प्रतिदिन कम से कम 30 मिनिट्स नंगे पैर जमीन या घास पर चलें |
3. पृथ्वी मुद्रा का अभ्यास करें |
4 . मणिपुर चक्र की साधना करें |
5 . पृथ्वी तत्त्व की साधना करें |
6 . समान नामक प्राण का ध्यान करें |
पृथ्वी तत्व के अंग – अमाशय , पेन्क्रियाज , स्पलीन
संवेदी अंग – मुँह , ओंठ , मसलस
मौसम – बरसात
दिन का समय – सुबह 7 बजे से 11 बजे तक { सुबह 4 घण्टे पृथ्वी तत्त्व चलता है }
महीने – जुलाई , अगस्त
रंग – पीला
स्वाद – मीठा
स्वभाव – सुस्ती , फैलाव , समझदारी
ध्वनि – सिंगिंग
आयु –36 से 48 वर्ष तक जीवन में पृथ्वी तत्त्व का समय होता है |
चक्र – मणिपुर चक्र
ऊर्जा – आद्रता
पृथ्वी तत्त्व के गुण
लोचकता प्रदान करना
खुरदरापन
भारीपन
कठोरता
थामने की शक्ति
सहनशीलता
आधार प्रदान करना
भरण पोषण करना
पृथ्वी तत्व की बीमारियाँ –
शारीरिक
शरीर में सूजन आना
मलेरिया
टॉन्सिस
मोटोर न्यूरॉन डिजीज
डायबिटीज
फ्रोज़ेन शोल्डर
लंबर कम्प्रेशन
भूख की कमी
कब्ज
जुकाम
फ़ूड पोइसीनिंग
जोड़ों में दर्द
मोटापा
एड़ी में दर्द
गैस्ट्रिक
उल्टियाँ
पेट दर्द
पैरों में कमजोरी
पैरों में सुन्नपन
शरीर के अंगो में प्राण शक्ति की कमी
एसिडिटी
ट्रीजमीनल न्यूरोग्लिआ
पिंपल्स
थकान लगना
शरीर का तापमान अधिक रहना
ओंठो का फटना
डायरिया
पाचन तंत्र की ख़राबी
गले में तकलीफ
म्यूकस मेम्ब्रेन में सूजन
मानसिक समस्याऐं
बात बात पर दुखी हो जाना
छोटी छोटी बात की चिंता करना
सोचने की काम शक्ति
योगी योगानंद { आध्यात्मिक गुरू , एवं प्राण योग के प्रणेता }