प्रबल इच्छाशक्ति से साधना करने पर सिद्धियाँ स्वयमेव आ जाती हैं। तप में मन की एकाग्रता को प्राप्त करने की अनेकानेक पद्धतियाँ प्राण योग में निहित हैं। इनमें ‘त्राटक’ उपासना सर्वोपरि है। त्राटक के द्वारा मन की एकाग्रता, वाणी का प्रभाव व दृष्टि मात्र से उपासक अपने संकल्प को पूर्ण कर लेता है।
साधना विधि
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यह सिद्धि रात्रि में अथवा किसी अँधेरे वाले स्थान पर करना चाहिए। प्रतिदिन लगभग एक निश्चित समय पर 18 मिनट तक करना चाहिए। स्थान शांत एकांत ही रहना चाहिए। साधना करते समय किसी प्रकार का व्यवधान नहीं आए, इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। शारीरिक शुद्धि व स्वच्छ ढीले कपड़े पहनकर किसी आसन पर बैठ जाइए। अपने आसन से लगभग तीन फुट की दूरी पर अपना मोबाइल को आप अपनी आँखों अथवा चेहरे की ऊँचाई पर रखिए। अर्थात एक समान दूरी पर, रखें प्राण योग त्राटक के ध्वनि को सुनना शुरू करे { हेड फ़ोन का प्रयोग जरुरी है } आगे एकाग्र मन से व स्थिर आँखों से मोबाइल पर जो चक्र चल रहा है, उस पर बिना पलक झपकाए , बीचों बीच देखना शुरू करें , जब तक आँखों में कोई अधिक कठिनाई नहीं हो तब तक पलक नहीं गिराएँ। यह क्रम प्रतिदिन जारी रखें। धीरे-धीरे आपको इस ऊर्जा का तेज बढ़ता हुआ दिखाई देगा। कुछ दिनों उपरांत आपको ज्योति के प्रकाश के अतिरिक्त कुछ नहीं दिखाई देगा। इस स्थिति के पश्चात इस ऊर्जा चक्र पर अपने संकल्प डालें , यह कल्पना करें की आपका विचार { जिसे आप पूरा करना चाहते है }ऊर्जा चक्र पर जाकर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में फैल रहा है, फिर आप देखेंगे कि संकल्पित व्यक्ति व कार्य भी प्रकाशवान होने लगा है , आपके विचार के अनुरूप ही घटनाएँ जीवन में घटित होने लगेंगी। इस अवस्था के साथ ही आपकी आँखों में एक विशिष्ट तरह का तेज आ जाएगा। जब आप किसी पर नजरें डालेंगे, तो वह आपके मनोनुकूल कार्य करने लगेगा।
परिणाम
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1. त्राटक के द्वारा मन की एकाग्रता, वाणी का प्रभाव व दृष्टि मात्र से उपासक अपने संकल्प को पूर्ण कर लेता है।
2. इससे विचारों का संप्रेषण होगा , अर्थात आप टेलीपेथी में पारंगत हो जायेगे |
3. त्राटक से दूसरे के मनोभावों को ज्ञात करने लगेंगे |
4. सम्मोहन, आकर्षण, अदृश्य वस्तु को देखना शुरू होगा |
5. दूरस्थ दृश्यों को देखा जा सकेगा | 6. यह साधना लगातार तीन महीने तक करने के बाद उसके प्रभावों का अनुभव साधक को मिलने लगता है। इस साधना में उपासक की असीम श्रद्धा, धैर्य के अतिरिक्त उसकी पवित्रता भी आवश्यक है।