प्राण योग विज्ञानं के अनुसार विभिन्न चक्रों , पञ्च तत्त्व , पञ्च प्राण , और ऊर्जा के असंतुलन से विभिन्न प्रकार की व्याधियां उत्पन्न होती है , प्राण योग के द्वारा , प्राकृतिक तरीकों से शरीर में असंतुलित तत्वों , चक्रों, प्राणों को संतुलित किया जाता है | प्राण ऊर्जा चिकित्सा में एक निश्चित ध्वनि ,ऊर्जा , वाइब्रेशन पर शरीर के अंगों में सुधार की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है | इस प्राण योग ध्यान से आपको निम्न लिखित बीमारियों में लाभ मिलता है |

ऊर्जा प्रभाव निम्न लिखित में लाभकारी है 

लीवर की बीमारी,

किडनी की बीमारी

आँखों के दोष

कान सम्बन्धी समस्या ,

ह्रदय रोग ,

घुटनो की तकलीफ

पाचन तंत्र की बीमारी

रीढ़ की हड्ड़ी की समस्या ,

अस्थमा

टी बी रोग

कैंसर

जल जाना

गैस्ट्रिक

एसिडिटी

मायग्रेन

बालों की समस्या

एडी में दर्द चोट लगना ,

मोच आना घाव हो जाना ,

डायबिटीज

आभा मण्डल में वृद्धि

शरीर के चारों तरफ सुरक्षा कवच का निर्माण

ख़राब हो चुके अंगो में पुन : जीवनी शक्ति का उदय

रोग प्रतिरोधक शक्ति में वृद्धि

आदि में अत्यन्त उपयोगी |

विधि

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किसी एकांत स्थान पर पद्मासन , सुखासन , वज्रासन में या किसी भी आसन में बैठे , या फिर आसमान की तरफ सिर करके लेट जाये , हथेलियाँ आसमान की तरफ अधखुली रहें , फिर 15 बार लम्बी गहरी साँस लें , तत्पश्चात तकलीफ वाले स्थान या अपनी समस्या पर ध्वनि को महसूस करे तथा मन ही मन यह कल्पना करें कि आपकी तकलीफ या समस्या दूर हो रही है, और आपका जीवन उत्साह , ख़ुशी , समृद्धि और आनंद से परिपूर्ण हो रहा है | | 21 मिनिट बाद आपको दर्द से राहत महसूस होगी , श्रेष्ठ परिणाम के लिए 21 दिन तक प्रतिदिन कम से कम 21 मिनिट तक इस प्रक्रिया या ठीक होने तक दोहराएं | हैड फ़ोन का प्रयोग करने से ज्यादा अच्छे परिणाम मिलते है | प्रतिदिन सुबह – शाम 21 दिन तक कम से कम 21 मिनिट तक सुनने से बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होते है |

प्राण ऊर्जा विशेषज्ञ – योगी योगानंद

Energetic Effects

Aura Cleansing

Healer energy Chakra Alignment

Restructures damaged organs by sending message to tissues and bringing them to original form .

Influences the energy field around you .

Influenced the energy field around your home and office .

Rapid healing of Burns, fractures , Sprain, cuts, and other Injuries.

It enhance the immune system .

प्राण योग चिकित्सा की विशेषताएं

1 किसी भी आयु वर्ग का कोई भी व्यक्ति इससे लाभ ले सकता है | {एक दिन से लेकर 100 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्ति }

2 .बीमार , अपाहिज , अशक्त सभी के लिए यह समान रूप से उपयोगी है |

3 .इसे कभी भी , कही भी , किसी भी अवस्था में सोते , जागते , चलते , फिरते किया जा सकता है | इसमें किसी भी प्रकार का बंधन नहीं है |

4 . यह तुरंत असरकारक है , बिना दवा , बिना इंजेक्शन , बिना जाँच , बिना फीस , बिना दुष्प्रभाव , तुरंत आराम |

5 .यह प्राण सन्तुलन , चक्र संतुलन , पञ्च तत्त्व संतुलन , असंतुलित ऊर्जा को शरीर में संतुलित करता है, इसलिए बिना दुष्प्रभाव तुरंत असर दिखाता है |

6 . यह व्यक्ति के तीनो प्रकार के स्वास्थ शारीरिक , मानसिक , आध्यात्मिक में वृद्धि करता है |

7 . यह प्राण योग व्यक्ति के भूतकाल , वर्तमान और भविष्य से भी सम्बंधित है |

8 . यह व्यक्ति के शरीर की अवरूद्ध हो गयी ऊर्जाओं के पुन : संतुलन पर आधारित है |

9 . प्राण योग में प्रकृति प्रदत्त समस्त वस्तुओं का इलाज में प्रयोग किया जाता है |

10 .यह प्राण योग पद्धति हमारे ऋषि -मुनियों द्वारा दी गयी प्राचीन महान विद्या है, जो वर्तमान विज्ञानं से हजारों -हजार साल आगें है |