थायराइड तितली के आकार की ग्रंथि होती है। यह गर्दन के अंदर और कॉलरबोन के ठीक ऊपर स्थित होती है। थायराइड एक प्रकार की एंडोक्राइन ग्रंथि (नलिकाहीन ग्रन्थियां) है, जो हार्मोन बनाती है। थायराइड विकार एक आम समस्‍या है जो पुरुषों से ज्‍यादा महिलाओं को प्रभावित करती है। प्रमुख तौर पर थायराइड दो प्रकार का होता है –

हाइपरथायराइड और हाइपोथायराइड। हाइपरथायराइडिज्‍म में अत्‍यधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन बनने लगता है जबकि हाइपोथायराइडिजम में इस हार्मोन का उत्‍पादन कम होता है।.

थायराइड संबंधी समस्याएं के लक्षण –

1. हाइपरथायराइडिज्‍म के सबसे सामान्‍य लक्षण हैं: वजन कम होना घबराहट, चिंता, परेशानी और मूड बदलना थकान सांस फूलना दिल की धड़कन तेज होना गर्मी ज्‍यादा लगना कम नींद आना अधिक प्‍यास लगना आंखों में लालपन और सूखापन होना बाल झड़ना और बालों का पतला होना

2. हाइपोथायराइडिज्‍म 

हाइपोथायराइडिज्‍म के सबसे सामान्‍य लक्षण हैं: वजन बढ़ना थकान नाखूनों और बालों का कमजोर होना त्‍वचा का रूखा और पतला होना बालों का झड़ना सर्दी ज्‍यादा लगना अवसाद (डिप्रेशन) मांसपेशियों में अकड़न गला बैठना मानसिक तनाव.

थायरॉयड का उपचार-

किसी भी आसन में बैठ जाएँ , सम्पूर्ण शरीर को शिथिल छोड़ दे, अपनी आँखे बंद कीजिए | 9 बार लम्बी गहरी साँस लें |

शंख मुद्रा लगाए ,

शंख मुद्रा

 

फिर प्राण ऊर्जा ध्यान की ध्वनि को सुने , इसकी लिंक यहाँ दी गयी है |

प्राण ऊर्जा ध्यान

इस समय धीरे – धीरे , लम्बी गहरी साँस लेते रहे | ध्यान समाप्ति पर अपने दोनों हाथो को आपस में रगड़िये , और उत्पन्न हुयी प्राण ऊर्जा को अपने हाथों के स्पर्श से गर्दन में प्रवाहित होने दे , फिर धीरे धीरे अपनी आँखे खोलें |

ध्यान समय = न्यूनतम 30 मिनिट्स |

अन्य निर्देश=

1. समुद्री नमक के स्थान पर सेंधा नमक , का ही प्रयोग करें , आयोडीन युक्त नमक ही इस समस्या की जड़ है |

2 प्राण योग ध्यान के समय किसी भी नशीले पदार्थों , मांस , मिर्च मसालों का प्रयोग वर्जित है |

3 . शक्कर की जगह खांड शक्कर या गुड़ का प्रयोग करें |

4 .रिफाइन तेल के स्थान पर कच्ची घानी का तेल प्रयोग करें |

5 .पार्क या खेत में 30 मिनिट प्रतिदिन नंगे पैर भ्रमण करें | और दिन में दो बार प्याज के रस की गले पर मालिस करें |

6 .एक माह बाद , अपनी थाइरोइड की जाँच करवाएं , अब आप पूरी तरह से ठीक हो चुके होंगे |