मणिपुर चक्र साधना विधि

हमारा शरीर अनेक रहस्यों से भरा पड़ा है | जिसमे 7 प्रमुख ऊर्जा स्रोत है , जिन्हे चक्र कहते है, वैज्ञानिक इन्हे अंत स्त्रावी ग्रंथिया कहते है जिनमे तीसरा मणिपुर चक्र है , जो पृथ्वी तत्त्व को समाहित किये हुए है मणिपुर चक्र के देवता रूद्र , और देवी राकिनी है, मणिपुर चक्र विभिन्न अवयवों , संस्थानों तथा जीवन की प्रक्रियाओं को नियमित करके सम्पूर्ण शरीर में प्राण ऊर्जा को बनाये रखता है, इस चक्र की ऊर्जा से व्यक्ति सक्रियता , शक्ति , इच्छा तथा उपलब्धियां प्राप्त करके अपने मन वांछित फल प्राप्त कर सकता है | मणिपुर चक्र : स्थिति यह शरीर का तीसरा चक्र है। मणिपुर चक्र नाभि के पीछे रीढ़ की हड्डी में स्थित है , 10 पंखुरियों वाला यह “पीले रंग ” का है। मणिपुर चक्र के जागरण से जो शक्ति मिलती है, उससे निर्माण और विनाश , आत्म सुरक्षा , गुप्त खजाने की प्राप्ति , अग्नि से भय का नाश , अपने भौतिक शरीर का पूर्ण ज्ञान , व्याधियों से मुक्ति , तथा प्राण ऊर्जा का असीम भंडार आदि अनेक सिद्धियां निहित है |

मंत्र : — “रं “

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वाधित या असंतुलन का परीक्षण

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आपका मणिपुर चक्र चक्र या पृथ्वी तत्त्व असंतुलित है, इसका पता आप इस परिक्षण से लगा सकते है –

1 . क्या आप निष्क्रिय और शक्तिहीन महसूस करते है |

2 . क्या आप कान की समस्या से परेशान है |

3 . क्या आपको मीठा स्वाद आकर्षित करता है |

4 . क्या आपका सबसे पसंदीदा रंग पीला है |

5 . क्या आप अवसाद, और उदर से सम्बंधित व्याधियों से पीड़ित है |

6. क्या आप निम्न लिखित किसी भी एक समस्या से पीड़ित है,

DNA Regeneration Abdominal cramps. Food Allergies, Bulimia, Diabetes, Digestive problems, Gall stones, Hepatitis, Liver Disease, Acidity, Pancreatitis, Peptic Ulcer, Stomach problems, Jaundice, Shingles, Gall bladder problems, Anemia, Heartburn, Gastritis, Lowered resistance to diseases, Chronic tiredness Gas, Spastic colon, अगर इनमे से किसी एक प्रश्न का उत्तर “हाँ ” में है, तो आपका मणिपुर चक्र वाधित है | इसे सक्रिय करने के लिए साधना और ध्यान की आवश्यकता है |

मणिपुर चक्र को संतुलित करने के उपाय

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अगर आप मणिपुर चक्र को संतुलित कर लेते है, तो अनेक समस्याओं का अपने आप समाधान हो जाता है , इसकी विधियाँ निम्न लिखित है |

1 . चक्र ध्यान

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सर्वप्रथम किसी भी आसन में बैठ जाये, या पीठ के बल लेट जाएँ , फिर नौ बार लम्बी गहरी साँस लें , फिर मणिपुर चक्र पर ध्यान लगाये और यूट्यूब पर मणिपुर चक्र ध्यान साधना की ध्वनि को चालू करके , उस ध्वनि को मणिपुर चक्र पर महसूस करें |

अवधि

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कम से कम 18 मिनिट ध्यान करें , इसके अलावा आप यह साधना 27 , 45 , 54 मिनिट्स भी कर सकते है | जितना ज्यादा ध्यान करेंगे उतना ज्यादा लाभ होगा |

2 . चक्र साधना –

मणिपुर चक्र को संतुलित करने का ध्यान और साधना अलग अलग है | ध्यान के आपको मणिपुर चक्र पर सिर्फ ध्यान लगाना है, और धवनि महसूस करनी है, वही साधना में आपको “”रं “” मंत्र के विडिओ को यूट्यूब पर चालू करके मंत्र को साथ -साथ आपको दोहराना है, और मणिपुर चक्र पर चोट करना है | { मणिपुर चक्र को खीचने और छोड़ने की क्रिया करें }

साधना समय

मणिपुर चक्र का समय सुबह 7 बजे से 11 बजे तक होता है, इस समय की गयी साधना विशेष फलदायी होती है |

अवधि – कम से कम 21 दिन और अधिकतम 3 माह तक इस साधना को करने से मनवांछित परिणाम मिलते है |

वैज्ञानिक विश्लेषण

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मणिपुर चक्र , पृथ्वी , समान प्राण तत्व , की फ्रीक्वेंसी के आधार पर यह प्राण ऊर्जा साधना और ध्यान बनाया गया है, इस वाइब्रेशन पर बहुत अद्भुत और चामत्कारिक परिणाम प्राप्त होते है |

मणिपुर चक्र के असन्तुलन की वजह से बीमारी से पीड़ित अनेक लोग , एक – दो दिन में ही ठीक होते देखे गये है |

मणिपुर चक्र का संतुलन निम्न लिखित में उपयोगी है

DNA Regeneration

Abdominal cramps.

Food Allergies,

Bulimia,

Diabetes,

Digestive problems,

Gall stones,

Hepatitis,

Liver Disease,

Acidity,

Pancreatitis,

Peptic Ulcer,

Stomach problems,

Jaundice, Shingles,

Gall bladder problems,

Anemia,

Heartburn,

Gastritis,

Lowered resistance to diseases,

Chronic tiredness Gas, Spastic colon,