पञ्च तत्वों का रहस्य
विशेष –वायु तत्त्व की रोग प्रतिरोधक शक्ति शून्य होती है, फलस्वरूप ऐसे व्यक्ति कोरोना के चपेट में जल्दी आ रहे है, और वायु तत्त्व का अंग लीवर है, लीवर के प्रभावित होने से शरीर से विषैले पदार्थों का निष्कासन नहीं हो पाता , फलस्वरूप व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक शक्ति समाप्त या कम हो जाती है और व्यक्ति आसानी से कोरोना वायरस का शिकार हो जाता है |
वायु तत्व के अंग – लीवर , गाल ब्लैडर
संवेदी अंग – आँख , मसल्स , जोड़ , साइनस , टेंडन
दिन का समय – रात्रि 11 बजे से सुबह 3 बजे तक |
महीने – जनवरी , फरवरी
रंग – हरा
स्वाद –खट्टा
स्वभाव – चंचलता
ध्वनि –चिल्लाना {Shouting}
गन्ध – {Rancid}
आयु – 0 से 12 वर्ष
चक्र – अनाहत चक्र
ऊर्जा –वायु { Air}
वायु तत्व की बीमारियाँ –
शारीरिक
1. कमजोरी
2 . शरीर में कड़ापन
3 . श्वेत प्रदर
4 . एलर्जी
5 . लीवर सोराइसिस
6 . हेपेटाइटिस
7 . भूख न लगना
8 . पीलिया
9 . हार्मोन्स की समस्या
10 . उल्टियाँ होना
11 . आँखों की समस्या ‘
12 . गठिया
13 . कफ
14 . खॉंसी
15 . कोलेस्ट्राल
16 . कम दिखाई देना
17 . आर्थराइटिस
18 . मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी
19 . सर दर्द
20 . पीठ दर्द
21 . पेशाब में तकलीफ
22 . मासिक धर्म की अनियमितता
23 . थकान
24 . एंजायटी
25 . कमर दर्द
26 . सर्वाइकल
27 . सायटिका
28 .माइग्रेन
29 . उच्च रक्तचाप
मानसिक समस्यायें
हमेशा आक्रामक रहना
निराशा की भावना
जल्दी गुस्सा हो जाना
संयम का अभाव
मूड स्विंग
एकाग्रता की कमी
भूलने की बीमारी
हमेशा शिकायत करना
हमेशा लड़ने की प्रवृति
जल्दी उत्तेजित हो जाना , और जल्दी शान्त भी हो जाना
वायु सन्तुलन से होने वाले लाभ
उद्देश्य की प्राप्ति
व्यवसाय में सफलता
कैरियर में सफलता
वायु तत्त्व के असंतुलित होने से विवाह सम्बन्ध में परेशानी आती है
लोगों से सम्पर्क की कुशलता उत्पन्न करता है |
परीक्षा में सफलता
प्रेम की भावना का विकास
स्वास्थ में वृद्धि
सम्मान दिलाता है ‘
ज्ञान में बृद्धि
भाग्य बहुत तेजी से बदलता है |
स्मरण शक्ति में वृद्धि
शान्ति का वातावरण निर्मित करता है |
सम्पत्ति में बहुत तेजी से वृद्धि होती है |
जनता को संबोधित करने की प्रवृति पैदा होती है |
मष्तिष्क को शान्त करता है |
बुरी आदतों में मुक्ति मिलती है |
वायु तत्त्व को सन्तुलित करने के उपाय
महोदय / महोदया , आपका वायु तत्त्व असंतुलित होने के कारण आपको सम्बंधित समस्या / समस्यायें हो रही है | इसे ठीक करने के लिए कृपया आपको निम्न लिखित उपायों का पालन करना अनिवार्य है |
- प्राण योग प्राणायाम करें |
- लीवर की जीवनी शक्ति बढ़ाने के लिए प्राण शक्ति का प्रयोग करें |
- सभी प्रकार के प्राणायाम जरूर करें |
- प्रतिदिन सूर्योदय से पहले सोकर उठ जाये, और 30 मिनिट्स तक तेज़ गति से टहलें | इस दौरान लम्बी गहरी साँस लें |
- प्रतिदिन सुबह 7 बजे से पहले अपने दैनिक क्रियाकलाप से मुक्त हो जायें |
- प्रतिदिन कम से कम 21 मिनिट्स प्राण योग प्राणायाम जरूर करें |
- समय पर अपने शूक्ष्म शरीर की सफ़ाई करते रहे |
8.आकाश और पृथ्वी तत्त्व की वृद्धि के प्रयास करें |
9 . वायु मुद्रा का अभ्यास जरूर करे, |
10. बीच की अँगुली , { Middle Finger } में बीच में कत्था रंग लगाये , दोनों हाथों की अँगुलियों , दोनों तरफ़ ,दिन में तीन बार रंग लगायें , रोग के पूरी तरह ठीक होने तक लगायें |
योगी योगानंद { आध्यात्मिक गुरू , एवं प्राण योग के प्रणेता }