विशुद्धि चक्र साधना – वाकसिद्धि प्राप्ति का साधन
हमारा शरीर अनेक रहस्यों से भरा पड़ा है | जिसमे 7 प्रमुख ऊर्जा स्रोत है , जिनमे पाँचवा विशुद्धि चक्र है , जो आकाश तत्त्व को समाहित किये हुए है विशुद्धि चक्र के देवी देवता देवता सृष्टिकर्ता, ब्रह्मा है, जो चेतना का प्रतीक है। विशुद्धि चक्र के प्रतीक चित्र में सोलह पंखुडिय़ों वाला एक कमल है। ये उन सोलह शक्तिशाली कलाओं (योग्यताओं) का प्रतीक है, जिनसे एक मानव विकास कर सकता है। चूंकि विशुद्धि चक्र ध्वनि का केन्द्र है, विशुद्धि चक्र ध्यान में जब व्यक्ति की चेतना आकाश में समाहित हो जाती है, हमें ज्ञान और बुद्धि प्राप्त होती है। विशुद्धि चक्र का प्रतीक पशु एक सफेद हाथी है। हमें इसके चित्र में एक चन्द्रमा की छवि भी दिखती है जो मन का प्रतीक है। यह चक्र प्रसन्नता की अनगिनत भावनाओं और स्वतंत्रता को दर्शाता है जो हमारी योग्यता और कुशलता को प्रफुल्लित करता है। विकास के इस स्तर के साथ, एक स्पष्ट वाणी, गायन और भाषण की प्रतिभा के साथ-साथ एक संतुलित और शांत विचार भी होते हैं। इस चक्र की साधना से व्यक्ति को वाक सिद्धी प्राप्त हो जाती है, अर्थात वह जो बोलता है, वह सब सही हो जाता है | इस चक्र के जागरण से व्यक्ति को अभूतपूर्व मानसिक शक्ति का एहसास होता है। ऐसे व्यक्तियों को भूत और भविष्य का ज्ञान भी होता है। इनके मन में शांति होती है और ये विचारों के जाल से पूर्णतया मुक्त रहते हैं। विशुद्धि चक्र के संतुलन से शरीर को विषैले तत्वों और वैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण से मुक्ति मिल जाती है | विशुद्धि चक्र : स्थिति यह ग्रेव नलिका के पास (गले के ठीक पीछे) स्थित होता है और इससे श्वास नली, आवाज, कंधे जुड़े होते हैं। स्वर ग्रंथि से यह सीधे जुड़ा होता है इसलिए सबसे ज्यादा इससे नासिका और स्वर ही प्रभावित होते हैं।
मंत्र : ” हं ”
वाधित या असंतुलन का परीक्षण
आपका विशुद्धि चक्र या आकाश तत्त्व असंतुलित है, इसका पता आप इस परिक्षण से लगा सकते है –
1 . क्या आप चिन्ता की भावनाएं, स्वतंत्रता का अभाव, बंधन, टेंटुए और कंठ की समस्याएं , शारीरिक कठिनाइयों, जैसे सूजन और वाणी में रुकावट आदि से प्रभावित है |
2 . क्या आप सलन बोलने में परेशानी, कंधे में दर्द, अस्थमा की परेशानियां या श्वास संबंधित समस्या से परेशान है |
3 . क्या आप गले में लगातार परेशानियां – आए दिन खराश उत्पन्न होना – लगातार सिर दर्द का होना – दातों की परेशानियां – मुंह का अल्सर या छाले – थाइरॉयड – गर्दन दर्द – टीएमडी (मुंह के जोड़ों में पैदा हुई परेशानी जिसमें मुंह खोलने में व्यक्ति को परेशानी होती है और वह कुछ भी खा नहीं पाता) है |
4 . क्या आप मन में अचानक पैदा हुए इन भावों के कारण व्यक्ति में क्रोध, अधीरता, तुनकमिजाजी, दूसरों पर हावी होने की प्रवृत्ति , कई बार रोना किसी भी एक समस्या से पीड़ित है | अगर इनमे से किसी एक प्रश्न का उत्तर “हाँ ” में है, तो आपका विशुद्धि चक्र वाधित है | इसे सक्रिय करने के लिए साधना और ध्यान की आवश्यकता है |
विशुद्धि चक्र को संतुलित करने के उपाय
अगर आप विशुद्धि चक्र को संतुलित कर लेते है, तो आपकी समस्या का अपने आप समाधान हो जाता है , इसकी विधियाँ निम्न लिखित है |
1 . चक्र ध्यान
सर्वप्रथम किसी भी आसन में बैठ जाये, या पीठ के बल लेट जाएँ , फिर बारह बार लम्बी गहरी साँस लें , फिर विशुद्धि चक्र पर ध्यान लगाये और यूट्यूब पर विशुद्धि चक्र ध्यान साधना की ध्वनि को चालू करके , उस ध्वनि को विशुद्धि चक्र पर महसूस करें | अवधि – ===== कम से कम 30 मिनिट ध्यान करें |
2 . चक्र साधना –
विशुद्धि चक्र को संतुलित करने का ध्यान और साधना अलग अलग है | ध्यान के आपको विशुद्धि चक्र पर सिर्फ ध्यान लगाना है, और धवनि महसूस करनी है,
साधना समय –
विशुद्धि चक्र का समय सुबह 3 बजे से 7 बजे तक होता है, इस समय की गयी साधना विशेष फलदायी होती है |
अवधि –
कम से कम 21 दिन और अधिकतम 3 माह तक इस साधना को करने से मनवांछित परिणाम मिलते है |
महान वैज्ञानिक निकोलो टेस्ला ने लिखा है “If you want to find the secrets of the universe, think in terms of energy, frequency and vibration.” ― Nikola Tesla Useful ====== Asthma, Bronchitis, Ear Infections, Hearing Problems, Lost Voice, Mouth Ulcers, Sore Throat, Safety from Virus and bacteria Teeth & Gums, Thyroid Problem, Tinnitus, Tonsillitis, Bursitis, Colds, Stiff neck, Pain in upper arm, Whooping cough, Laryngitis, Hoarseness, TMJ, Hay fever.