शरीर में एसिड – अनेक बीमारियों की जड़
=======================
योगी योगानंद { अध्यात्म , योग गुरु , प्राकृतिक चिकित्सा एवं प्राण ऊर्जा विशेषज्ञ }

आज से 3000 साल पहले भारतीय चिकित्सा विज्ञानी ऋषि बाग्भट्ट जी ने अपने ग्रन्थ अष्टांग ह्रदय में बताया कि अनेक असाध्य बिमारियों का कारण शरीर में एसिड की मात्रा अधिक हो जाना है | इसी बात को जर्मनी के डॉक्टर ओट्टो वोनबर्ग ने बताया की कैंसर सहित सभी बीमारियां शरीर में एसिड के बढ़ने के कारण ही होती है | इन्हे 1931 में चिकित्सा का नोवेल पुरस्कार दिया गया |
Otto Heinrich Warburg,* नोबेल पुरस्कार विजेता, 1931.

“No Disease including cancer, can exist in an Alkaline envioronment” Dr. Otto Heinrich Warburg – Noble Prize Winner 1931
शरीर में दो प्रकार की स्थितियाँ होती है
1. अम्लीय {एसिडिक } 2 . छारीय { एल्केलाइन }
शरीर में एसिड की अधिकता है या छारीय की इसे मापने के लिए डेनमार्क के बायोकेमिस्ट एस.पी.एल. सोरेनसन (S.P.L Sorenson) ने 1909 में जलीय घोल के एच+ आयन की सांद्रता बताने वाले एक स्केल बनाया जिसे पीएच (pH) के रूप में जाना जाता है| किसी भी घोल का पीएच (pH) एक संख्या होता है जो उस घोल की अम्लता या क्षारता के बारे में बताता है | PH का full form Potential of Hydrogen है। हिंदी में पीएच का फुल फॉर्म हाइड्रोजन की क्षमता होता है। यह हाइड्रोनियम आयनों (H3O) से हाइड्रॉक्साइड आयनों (OH) के अनुपात का प्रतिनिधित्व करता है।
PH पैमाने में PH 1 से 14 तक होती है, 7 PH न्यूट्रल मानी जाती है, यानी ना एसिडिक और ना ही एल्कलाइन। 7 से 1 की तरफ ये जाती है तो समझो Acidic बढ़ रही है, और 7 से 14 की तरफ जाएगी तो Alkalinity बढ़ रही है।

अगर हम अपने शरीर के अन्दर पाए जाने वाले विभिन्न द्रव्यों की PH को Alkaline की तरफ लेकर जाते हैं। तो हम बहुत सारी बीमारियों के मूल कारण को हटा सकते हैं, और उनको हमेशा के लिए निरोग बना सकते हैं।

अब तक सभी लोग समझ गए होंगे कि शरीर में एसिड की अधिकता मतलब कैंसर सहित सभी बिमारियों को आमंत्रण देना है |

क्यों बढ़ता है शरीर में अम्ल का स्तर
========================
1- वातावरण में ऑक्सीजन का स्तर कम होना और कार्बन डाई ऑक्साइड का स्तर बढ़ना बड़ा कारण है। सांस लेने पर यह बढ़ी हुई कार्बन डाइ ऑक्साइड रक्त के पीएच को कम कर देती है। शरीर से एसिड के उत्सर्जन का कार्य मुख्य रूप से फेफड़ों और किडनी का है, यदि यह दो अंग ठीक से काम नहीं करते हैं तो भी शरीर में एसिड का स्तर बढ़ जाता है। इसलिए मेटाबॉलिक एसिडोसिस के उपचार के समय इन दोनों अंगों का खास ख्याल रखना चाहिए।

2- भोजन में सब्ज़ियों, फ्रूट्स व मेवों की कमी और इसकी जगह नॉनवेज, शुगर, अल्कोहल, चाय, कॉफ़ी, रिफाइंड तेल और आटे का ज्यादा प्रयोग – यह सभी मिलकर शरीर में एसिड की बढ़ोतरी करते हैं।

अम्ल की बृद्धि से होने वाली बीमारियां —
=========================
मेटाबॉलिक एसिड कई तरह की समस्याओं का कारण बनता है |
1 . हाई ब्लड प्रेशर :
=============
एसिड अधिक होने से अल्कलाइन मेटल्स जैसे पोटैशियम और मैग्नीशियम का स्तर खून में कम होना ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है।
2 किडनी स्टोन :
==========
एसिडिक वातावरण किडनी में स्टोन का निर्माण करता है, क्योंकि बढ़े हुए एसिड को कम करने के लिए उसे हड्डियों से कैल्शियम निकालना पड़ता है और यह कैल्शियम किडनी में जाकर जमा हो जाता है और पथरी या स्टोन्स बनाता है।
3 ऑस्टियोपोरोसिस:
===============
हड्डियों से कैल्शियम के निकलने से वे कमज़ोर होकर कमजोर हो जाती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस हो जाता है।
4. दांत और मसूड़ों की समस्या :
======================
एसिड दांत, मसूड़ों की तकलीफ भी बढ़ाते हैं, जिससे वे जल्दी खराब होने लगते हैं।
दिमाग की एक्टिविटी डिस्टर्ब होना : एसिड बढ़ने से आरबीसी की ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता में कमी आ जाती है और कम ऑक्सीजन मिलने से दिमाग अपने कार्यों को करने में दिन-ब-दिन कमजोर होता चला जाता है।
5 . ब्लॉकेज बनना :
============
एसिड बढ़ने से रक्त में थक्के बनने लगते हैं, जिससे ब्लॉकेज बनने लगते हैं और हार्ट अटैक लकवा जैसी घातक समस्या होने की आशंका बढ़ जाती है।
6. मतली आना
7 . दौरे पड़ना
8. साँस लेने में तकलीफ
9 . मांसपेशियों में कमजोरी ‘
10 . ह्रदय की धड़कन का अनियमित होना
11 . अनिद्रा
12 . सिरदर्द
13 . डायरिया
14 . पेट में जलन
15 . गले में जलन व बेचैनी
16 तेज आवाज के साथ डकार आना
17 . उल्टी जैसा महसूस होना और खट्टी डकारें आना
18 अत्यधिक गैस पास होना
19. गैस जमा होने से पेट फूल जाना
20 जीभ पर सफेद परत जमा हो जाना
21 सांस में बदबू आना
22 मल में से तेज बदबू आना
23 दस्त लगना और कब्ज होना
24 . थाइरॉइड
25 . कैंसर
26. जोड़ों की समस्या
27. गठिया
28. जोड़ों का फ्लूइड खत्म हो जाना
29. घुटनों की हड्डियां घिस जाना
30. बालों का गिरना