शारीरिक दर्द से मुक्ति पायें |

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वैज्ञानिक व्याख्या –

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मानव शरीर का प्रत्येक अंग एक निश्चित ऊर्जा पर कार्य करता है, यह ऊर्जा तरंगों , वाइब्रेशन के माध्यम से उत्पन्न होती है इस ऊर्जा के असंतुलन से अंग विशेष की कार्य प्रणाली में जब अवरोध आ जाता है, तब अवरोध को ही विकार या बीमारी कहा जाता है , , इसे योग विज्ञानं में चक्रों का असंतुलन , प्राण योग में प्राणों का असंतुलन , आयुर्वेद में पञ्च तत्व और त्रिदोषों का असंतुलन कहा गया है , जिसके असंतुलन से ही प्राण वायु के असंतुलन से शरीर में पीड़ा का अनुभव होता है , प्राण योग ध्यान विधि में प्राण , चक्र , पञ्च तत्त्व की फ्रीक्वेंसी के बराबर की ध्वनि को आपको सुनाया जाता है, जिसके फलस्वरूप शरीर की ऊर्जा प्रणाली फिर से सक्रिय रूप से कार्य करने लगती है, और व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है, यह प्राण योग धवनि एक्यूप्रेसर का कार्य करती है, और अवरोध हुयी ऊर्जा को ठीक करती है, | जैसे एक निश्चित आवर्ती की ध्वनि को आप नहीं सुन सकते , अगर आप सुनते है, तो मस्तिष्क की नसें फट जाती है, क्योकि वहाँ दवाव अधिक हो जाता है, वैसे ही ये ध्यान अंग विशेष पर दबाब बनाकर उसे स्वस्थ बनाने का कार्य करता है | फलस्वरूप शरीर स्वस्थ , विकार रहित हो जाता है |

विधि –

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किसी एकांत स्थान पर पद्मासन , सुखासन , वज्रासन में या किसी भी आसन में बैठे , या फिर आसमान की तरफ सिर करके लेट जाये , हथेलियाँ आसमान की तरफ अधखुली रहें , फिर 21 बार लम्बी गहरी साँस लें , तत्पश्चात तकलीफ वाले स्थान या अपनी समस्या पर ध्वनि को महसूस करे तथा मन ही मन यह कल्पना करें कि आपकी तकलीफ या समस्या दूर हो रही है, और आपका जीवन उत्साह , ख़ुशी , समृद्धि और आनंद से परिपूर्ण हो रहा है | | 21 मिनिट बाद आपको दर्द से राहत महसूस होगी , श्रेष्ठ परिणाम के लिए 21 दिन तक प्रतिदिन कम से कम 21 मिनिट तक इस प्रक्रिया या ठीक होने तक दोहराएं | हैड फ़ोन का प्रयोग करने से ज्यादा अच्छे परिणाम मिलते है | प्रतिदिन सुबह – शाम 21 दिन तक कम से कम 21 मिनिट तक सुनने से बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होते है |

प्राण ऊर्जा विशेषज्ञ – योगी योगानंद