सहस्रार चक्र : सम्पूर्ण विश्लेषण
हमारा शरीर अनेक रहस्यों से भरा पड़ा है | जिसमे 7 प्रमुख ऊर्जा स्रोत है , जिनमे सातवां सहस्रार चक्र है , जो आकाश तत्त्व को समाहित किये हुए है सहस्रार चक्र है, जो चेतना का प्रतीक है। सहस्रार चक्र के प्रतीक चित्र में असंख्य पंखुडिय़ों वाला एक कमल है। ध्यान में जब व्यक्ति की चेतना आकाश में समाहित हो जाती है, हमें ज्ञान और बुद्धि प्राप्त होती है। सहस्रार चक्र : स्थिति यह सर के सबसे ऊँचे भाग पर स्थित होता है और इससे मस्तिष्क का सम्पूर्ण भाग जुड़ा होता है | सहस्रार चक्र मस्तिष्क के ऊपर ब्रह्मरंध में अपस्थित 6 सेंटीमीटर व्यास के एक अध खुले हुए कमल के फूल के समान होता है। ऊपर से देखने पर इसमें कुल 972 पंखुड़ियां दिखाई देता है। इसमें नीचे 960 छोटी-छोटी पंखुड़ियां और उनके ऊपर मध्य में 12 सुनहरी पंखुड़ियां सुशोभित रहती हैं। इसे हजार पंखुड़ियों वाला कमल कहते हैं।
☘️ इसका चिन्ह खुला हुआ कमल का फूल है जो असीम आनन्द के केन्द्र होता है। इसमें इंद्रधनुष के सारे रंग दिखाई देते हैं लेकिन प्रमुख रंग बैंगनी होता है। इस चक्र में “अ ” से ” क्ष ” तक की सभी स्वर और वर्ण ध्वनि उत्पन्न होती है।
🔘पिट्यूट्री और पिनियल ग्रंथि का आंशिक भाग इससे सम्बंधित है। यह मस्तिष्क का ऊपरी हिस्सा और दाई आंख को नियंत्रित करता है। यह आत्मज्ञान, आत्मदर्शन, एकीकरण, स्वर्गीय अनुभूति के विकास का मनोवैज्ञानिक केन्द्र है।
🔘यह आत्मा का उच्चतम स्थान है। इस चक्र को देख कर व्यक्ति के स्वभाव और चरित्र का अनुमान लगाया जा सकता है। इसका विस्तार, रंग, गति, आभा और बनावट देख कर व्यक्ति की चैतन्यता, आध्यात्मिक योग्यता और अन्य चक्रों से समन्वय का अनुमान लगाया जा सकता है।
🔘अच्छा योगाभ्यास करने वाले साधक का चक्र ओजस्वी और चमकदार होता है। सच्चे स्वप्न देखने की क्षमता विकसित हो जाती है। यदि इस चक्र में लचीलापन है तो इसका मतलब है कि व्यक्ति आसानी से अपनी आत्मा को शरीर से निकाल कर कहीं अन्यत्र ले जा सकता है।
✡️🏴 नीचे के बाकी 6 चक्रों से बिलकुल अलग यह एक अति विशिष्ट और उन्नत चक्र है। यह ईश्वरधाम और मोक्ष का द्वार है। जब यह चक्र अच्छी स्थिति में है तो अन्य चक्र स्वतः जागृत हो जाते हैं। जो साधक अपनी कुण्डलिनी जाग्रत कर लेते हैं तो कुण्डलिनी बाल रूप बाला त्रिपुरा सुन्दरी के रूप में ऊपर उठती है। थोड़ा और ऊपर पहुंचने पर वह यौवन को प्राप्त कर राजराजेश्वरी का रूप धरती है और सहस्रार चक्र तक वह संपूर्ण स्त्री ललिताम्बिका का रूप धर लेती है।
🏴 जो साधक कुण्डलिनी को सहस्रार तक ले कर आते हैं, वे परमानन्द को प्राप्त करते हैं, जिसकी सर्वोच्च अवस्था समाधि है। कुण्डलिनी के इस जागरण को शिव और शक्ति का मिलन कहते हैं। इस मिलन से आत्मा का अस्तित्व खत्म हो जाता है और वह परमात्मा में लीन हो जाती है। इस चक्र पर ध्यान करने से संसार में किये गये बुरे कर्मों का भी नाश होता है। ऐसे साधक अच्छे कर्म करने और बुरे कर्मों का नाश करने में सफल हो जाते हैं।
🏴 आज्ञा चक्र को सम्प्रज्ञात समाधि में जीवात्मा का स्थान कहा जाता है, क्योंकि यही दिव्य दृष्टि का स्थान है। उसे शिव की तीसरी आंख भी कहते हैं। मूलाधार से लेकर आज्ञा चक्र तक सभी चक्रों के जागरण की कुंजी सहस्रार चक्र के पास ही है। यही सारे चक्रों का मास्टर स्विच है।
✡️यह वास्तव में चक्र नहीं है बल्कि साक्षात तथा सम्पूर्ण परमात्मा और आत्मा है। जो व्यक्ति सहस्रार चक्र का जागरण करने में सफल हो जाते हैं, वे जीवन मृत्यु पर नियंत्रण कर लेते हैं। सभी लोगों में अंतिम दो चक्र सोई हुई अवस्था में रहते हैं। अतः इस चक्र का जागरण सभी के वश में नहीं होता है। इसके लिए कठिन साधना व लम्बे समय तक अभ्यास की आवश्यकता होती है।
मंत्र : ” ॐ ”
वाधित या असंतुलन का परिणाम
इसका संतुलन बिगड़ने पर अनिद्रा , तनाव , अवसाद , सिरदर्द, मानसिक रोग, नाड़ीशूल, मिर्गी, मस्तिष्क रोग, एल्झाइमर, त्वचा में चकत्ते आदि रोग होते हैं। सहस्रार चक्र को संतुलित करने के उपायअगर आप सहस्रार चक्र को संतुलित कर लेते है, तो आपकी समस्या का अपने आप समाधान हो जाता है , इसकी विधियाँ निम्न लिखित है |
1 . चक्र ध्यान
सर्वप्रथम किसी भी आसन में बैठ जाये, या पीठ के बल लेट जाएँ , फिर बारह बार लम्बी गहरी साँस लें , फिर सहस्रार चक्र पर ध्यान लगाये और यूट्यूब पर सहस्रार चक्र ध्यान साधना की ध्वनि को चालू करके , उस ध्वनि को सहस्रार चक्र पर महसूस करें |
अवधि
कम से कम 15 मिनिट ध्यान करें |
2 . चक्र साधना – सहस्रार चक्र को संतुलित करने का ध्यान और साधना अलग अलग है | ध्यान के आपको सहस्रार चक्र सिर्फ ध्यान लगाना है, और धवनि महसूस करनी है,
साधना समय – सहस्रार चक्र का समय सुबह 3 बजे से 7 बजे तक होता है, इस समय की गयी साधना विशेष फलदायी होती है |
अवधि – कम से कम 21 दिन और अधिकतम 3 माह तक इस साधना को करने से मनवांछित परिणाम मिलते है |
महान वैज्ञानिक निकोलो टेस्ला ने लिखा है “If you want to find the secrets of the universe, think in terms of energy, frequency and vibration.” ― Nikola Tesla