साधना विधि
– हमारा शरीर अनेक रहस्यों से भरा पड़ा है | जिसमे 7 प्रमुख ऊर्जा स्रोत है , जिनमे द्वितीय स्वाधिष्ठान चक्र है , स्वाधिष्ठान चक्र के देवी देवता विष्णु जी ,और राकिनी है, इसका प्राण व्यान और तत्त्व आकाश है , { जबकि योग विज्ञानं इसका तत्त्व जल को मानता है |
स्वाधिष्ठान चक्र : स्थिति यह शरीर का दूसरा चक्र है। रीढ़ की अस्थि के काकिसकस के स्तर पर स्थित है , प्रजनन अंगों की ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है।
मंत्र : “वं ”
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परीक्षण
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क्या आपका स्वाधिष्ठान चक्र असंतुलित है ?????
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आपका स्वाधिष्ठान चक्र और आकाश तत्त्व असंतुलित है, इसका पता आप इस परिक्षण से लगा सकते है –
1 . क्या आप प्रजनन अंग, त्वचा , गला, नासिका की किसी भी समस्या से ग्रसित है |
2 . क्या आप प्रजनन अंगों की किसी भी की समस्या से परेशान है |
3 . क्या आपका पसंदीदा स्वाद चटपटा ,तीखा ,और कसेला {जैसे अनार , सेम } है |
4 . क्या आपका पसंदीदा रंग सफ़ेद , भूरा , स्लेटी या ब्राउन है |
5 . क्या आप नपुंसकता , शीघ्र पतन , मांसपेशियों में दर्द , स्वेत प्रदर , अनियमित मासिक स्त्राव , पीठ दर्द किसी भी एक समस्या से पीड़ित है |
स्वाधिष्ठान चक्र को संतुलित करने के उपाय
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अगर आप स्वाधिष्ठान चक्र को संतुलित कर लेते है, तो आपकी समस्या का अपने आप समाधान हो जाता है , इसकी विधियाँ निम्न लिखित है |
1 . चक्र ध्यान
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सर्वप्रथम किसी भी आसन में बैठ जाये, या पीठ के बल लेट जाएँ , फिर नौ बार लम्बी गहरी साँस लें , फिर स्वाधिष्ठान चक्र पर ध्यान लगाये और यूट्यूब पर स्वाधिष्ठान चक्र ध्यान साधना की ध्वनि को चालू करके , उस ध्वनि को स्वाधिष्ठान चक्र पर महसूस करें |
अवधि –
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कम से कम 18 मिनिट ध्यान करें , इसके अलावा आप यह साधना 27 , 45 , 54 मिनिट्स भी कर सकते है | जितना ज्यादा ध्यान करेंगे उतना ज्यादा लाभ होगा |
2 . चक्र साधना –
स्वाधिष्ठान चक्र को संतुलित करने का ध्यान और साधना अलग अलग है | ध्यान के आपको स्वाधिष्ठान चक्र पर सिर्फ ध्यान लगाना है, और धवनि महसूस करनी है, वही साधना में आपको “” “” मंत्र के विडिओ को यूट्यूब पर चालू करके मंत्र को साथ -साथ आपको दोहराना है, और स्वाधिष्ठान चक्र पर चोट करना है | { स्वाधिष्ठान चक्र को खीचने और छोड़ने की क्रिया करें } चक्र ध्यान से चक्र संतुलित होता है, जिससे आपको चक्र संतुलन से संबंधित समस्त बीमारियों से मुक्ति मिलती है | जबकि चक्र साधना से आपको चक्र से सम्बंधित सिद्धियां प्राप्त होती है | साधना समय – स्वाधिष्ठान चक्र का समय सुबह 3 बजे से 7 बजे { AM } तक होता है, इस समय की गयी साधना विशेष फलदायी होती है |
अवधि –
कम से कम 21 दिन और अधिकतम 3 माह तक इस साधना को करने से मनवांछित परिणाम मिलते है |
वैज्ञानिक विश्लेषण –
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स्वाधिष्ठान चक्र , आकाश तत्व , शुक्र ग्रह और व्यान प्राण तत्व की फ्रीक्वेंसी के आधार पर यह प्राण ऊर्जा साधना और ध्यान बनाया गया है, इस वाइब्रेशन पर बहुत अद्भुत और चामत्कारिक परिणाम प्राप्त होते है | स्वाधिष्ठान चक्र , आकाश तत्व , शुक्र ग्रह और व्यान प्राण तत्व के असन्तुलन की वजह से बीमारी से पीड़ित अनेक लोग , एक – दो दिन में ही ठीक होते देखे गये है |