Jai Ho Vijay Ho
Spiritual & PranYog Healing Centre Bhopal {MP} 462042
09 Nov 2020

गले की खराश, साइनस , सर्दी, खासी — प्राणयोग द्वारा तुरंत आराम |

प्राण साधना विधि –
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यह साधना तीन चरणों में है |
प्रथम चरण

सीधे पीठ के बल लेट जाएँ , नाभि से खींचते हुए , 12 बार लम्बी गहरी साँसे ले, 30 सेकण्ड से 1 मिनिट तक , साँस को रोककर रखें |

द्वितीय चरण

किसी भी आसन में बैठ जाएँ , गर्दन और रीढ़ की हड्डी को सीधी रखें , बायीं नासिका को बंद करें , दाहिनी नासिका से साँस खींचें और बाई नासिका से छोड़ें | हर बार ऐसा ही करें ऐसा 11 बार से 21 बार तक अपनी क्षमता के अनुसार करें |

तीसरा चरण

सीधे आसमान की तरफ मुँह करले लेट जाएँ , हथेलियां आसमान की तरफ अधखुली हो , शरीर को शिथिल छोड़कर , साइनस , सर्दी, खासी , बुखार , गले की तकलीफ विकारों से मुक्ति साधना { मेडिटेशन } को सुने , इस समय लम्बी गहरी साँसे लेते रहे |

साधना समय – प्रतिदिन 18 मिनिट्स सुबह या शाम |
अवधि – न्यूनतम 21 दिन से लेकर 3 माह तक करें , यह साधना तुरंत आराम देती हैं |

सावधानियाँ – उच्च रक्तचाप के मरीज , गर्भवती माताएँ यह ध्यान साधना न करें |

05 Nov 2020

कब्ज का उपचार

कब्ज का उपचार

कब्ज को समस्त रोगों की जड़ माना गया है, इसलिए सबसे पहले हम विभिन्न तरीकों से कब्ज को ठीक करने के तरीके बतायेंगे |
कब्ज से अभिप्राय —

यदि मलत्याग की क्रिया नियमानुसार न हो , तथा मलत्याग में कठिनाई हो , तो यह रोग कब्ज़ कहलाता है |

कब्ज के कारण  –

कब्ज़ के निम्न कारण हो सकते है
1 . आहार में रेशेदार भोजन का आभाव
2 . जल्दी जल्दी भोजन ग्रहण करने की आदत
3 . व्यायाम न करना
4 . पर्याप्त जल का सेवन न करना |
5 . भोजन के समय ठंडे पेय पदार्थों का सेवन |
6 . आवश्यक विश्राम का अभाव
7 . रात्रि में देर तक जागने की आदत
8 . मानसिक असंतुलन { भय , क्रोध , तनाव , चिंता }
9 . गलत आहार विहार , उठना ,बैठना , चलना एवं सोना
10 . तंग कपड़ों का प्रयोग
11 . शौच का वेग रोकने की आदत और जल्दवाजी
12 .खाद्य पदार्थों का गलत मेल
13 . आँतों की दुर्बलता
14 . रेचक औषधियों का प्रयोग
15 . अपर्याप्त निद्रा
16 . शौचालय में गन्दगी
17 . मादक द्रव्यों का सेवन
18 . पित्त दोष प्रकुपित होना
19 . ट्यूमर या कैंसर होना
20 . माँसाहार का प्रयोग
21 भोजन में अम्लीय पदार्थों का ज्यादा प्रयोग

कब्ज़ के लक्षण
1 . मल निष्कासन में कठिनाई
2 . त्वचा रोगों से परेशान
3. अनियमित मल त्याग
4 . हार्मोन्स का असंतुलन होना
5 . सिर दर्द रहना
6 . बेचैनी रहना
7 .भूख न लगना
8 . जी मचलाना
9.श्वास में दुर्गंध आना
10 . पेट भारी भारी रहना
11 . मुँह में छाले आना
12 . नींद में कमी आना
13 . व्यवहार में परिवर्तन { चिड़चिड़ापन }
14 . शरीर पर दाने निकलना
15 . पेट में गैस बनना
16 .मल प्रदेश में दर्द होना
17 . बबासीर होना
18 .बाउल मूवमेंट जो एक सप्ताह में 3 बार से कम है
19 . स्टूल के गुजरने की प्रक्रिया के दौरान पेरशानी
20 . पेट के निचले हिस्से में भूख के कारण दर्द और ऐंठन होना
21 . गांठदार, कठोर और छोटे छोटे मल आना
22 . पेट दर्द या पेट में सूजन होना
23 .  पेट फूला हुआ महसूस होना
कब्ज का अंत  कब्ज को अनदेखा किया जाये तो डायबिटीज सहित बड़ी आँत का कैंसर भी हो सकता है, इसलिए कब्ज को अनदेखा न करें |  योग , प्राकृतिक चिकित्सा , आयुर्वेद , स्वर चिकित्सा , सहित अनेक तरीकों से खुद अपनी और समाज के अन्य लोगों की चिकित्सा करें ,और जहरीली दवाओं से मुक्ति पाएं |1 .
कोलोन या कोलोरेक्टल कैंसर को बड़ी आंत का कैंसर भी कहते हैं। दुनियाभर में कैंसर की तेजी से फैल रही यह तीसरी किस्म है। इस कैंसर की शुरुआत  होने पर पेट से जुड़ी प्रॉब्लम्स जैसे इरीटेबल बाउल सिंड्रोम, बवासीर या कब्ज की प्रॉब्लम  से होती है।

2 .
वैज्ञानिक प्रमाणों में शोधकर्ताओं ने पाया कि कब्ज़ अधिक गंभीर जटिलताओं जैसे कि बवासीर, गुदा उदर, कोलोनीक परिस्थितियों और मूत्र संबंधी विकारों के जोखिम को बढ़ावा दे सकता है। कुछ लोग कब्ज की गंभीरता को नकारते है लेकिन सामान्य शरीर में होने वाले समस्त रोगों की जड़ कब्ज होती है। हमारे शरीर में समय-समय पर होने वाली अधिकांश बीमारियों का कारण कब्ज होता है।

3 .
शरीर में बिग इंटेस्टाइन का प्रमुख कार्य भोजन से जल को अवशोषित कर उत्पन्न मल को स्टोर करना है। कब्ज़ कई  रोगों को जन्म देता हैं जैसे अतिसार, बड़ी आंत में सूजन, गैस्ट्रिक समस्या आदि। कुछ लोगों को कब्ज़ होने के कारण  कोलन या मूत्र पथ को प्रभावित करने वाली अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। बवासीर होने का एक महत्वपूर्ण कारण कब्ज़ है। कब्ज और मूत्र संबंधी विकारों के बीच भी संबंध होता है।

4 .
अल्सर यह आम तौर पर विचलित जीवनशैली के प्रभाव से होता है जिसमें तनावपूर्ण जीवन में रहने और दिनचर्या में कमी, ठंडे, सूखे और हल्के भोजन के कारण होते है जिसके परिणामस्वरूप कब्ज़ अलसर को जन्म देती है। बवासीर या हैमरॉइड एक ऐसी बीमारी है जो शरीर से मल निकालने के समय परेशानी बनती है। बवासीर मलाशय के आसपास की नसों में सूजन के कारण होता है। और शौच करते समय रुकावट पैदा होती है या खून आता है या अत्यधिक दर्द होता है।
5 .
ऐनल फिस्टुला गुदा क्षेत्र से शुरू होने वाली गुदा क्षेत्र की परतों के बीच असामान्य स्थिति को ऐनल फिस्टुला नाम से जाना जाता है। ऐनल फिस्टुला में ऐनल या मलाशय के अन्दर और ऐनल के आसपास की बाहरी त्वचा की सतह के बीच संचार के लिए एक जैसी एक असामान्य स्थिति पैदा हो जाती है जिससे मल त्यागने में परेशानी आती है। एनोरेक्सिया एनोरेक्सिया एक भोजन विकार है जिसके लक्षणों में भूख कम लगती है और भोजन को देखकर उलटी जैसा महसूस होता है।
6 .
ब्युलिमिया एक ऐसा विकार है जिसमें मल को बार-बार त्यागने की जरूरत होती है। पेट का कैंसर पेट का कैंसर एक ऐसी बीमारी है पैंक्रियास की अंदरूनी परत से उत्पन्न होता है।
7 .
आंतों में गैस – बैलिचिंग, ब्लोटिंग, फ़्लैटुलेंस आदि विकार का आंतो में होना। गुदा खुजली मलाशय करने के समय मल बाहर निकलने पर त्वचा पर जलन और खुजली होती है जो एक अजीब सी स्थिति पैदा करती है।
8 .
आईबीएस आंत्र सिंड्रोम – कुछ लोगों को आंत्र सिंड्रोम हो जाता है जिसमे उनके आंत्र में खुजली, जलन और चिड़चिड़ाहट होती रहती है। इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) से पीड़ित व्यक्तियों को अधिक कब्ज होती हैं। सिस्टिक फाइब्रोसिस सिस्टिक फाइब्रोसिस बलगम और पसीना ग्रंथियों में होने वाली एक बीमारी है। सिस्टिक फाइब्रोसिस से मुख्यतः फेफड़ों, पैंक्रियास, लिवर, आंतों, साइनस और  प्रजनन अंग प्रभावित होते हैं।
9 .
मधुमेह (टाइप 1 और टाइप 2) – मधुमेह एक ऐसी पुरानी बीमारी है जिसमें असामान्य रूप से रक्त में शर्करा (ग्लूकोज) का उच्च स्तर हो जाता है। जब पैंक्रियास द्वारा उत्पादित इंसुलिन रक्त में ग्लूकोज को कम करता है तो इंसुलिन का शरीर में असंतुलन हो जाता है और शरीर इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता।

प्राण योग से कब्ज मुक्ति – तुरंत असरकारक
विधि –
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प्राण योग ध्यान को सुनना शुरू कीजिये ,सीधे आसमान की तरफ मुँह करके लेट जाएँ हथेलियां आसमान की तरफ अधखुली हो , शरीर को शिथिल छोड़ दीजिये , आँखे बंद कीजिये , अब दाएं हाथ के अंगूठे से अपनी दांयी नाक के नथुने को बंद कीजिये , और बाएं नथुने से साँस खींचते हुए यह कल्पना कीजिये की प्राण ऊर्जा आपके मणिपुर चक्र { नाभि } में आ रही है , जो आपकी कब्ज सहित समस्त समस्याओं को ठीक करने जा रही है , साँस को रोककर रखिये , जब तक घबराहट न होने लगे , साँस को रोके रखिये , फिर दाएं नथुने से बाहर निकल दीजिये | अब बाएं नथुने को अनामिका अंगुली से बंद कीजिये , दायें नथुने से साँस खींचिए , और रोक कर रखिये , जब तक आपको घबराहट न होने लगे , अब बाएं से छोड़िये , आपको जिस तरफ से साँस लेना है, उसके विपरीत तरफ से छोड़ना है , और जिस तरफ से आपने साँस छोड़ी है, उसी तरफ से आपको लेनी है | ऐसा 9 बार करें , हर बार ज्यादा देर तक साँस रोकने का अभ्यास करें , फिर शरीर को शिथिल छोड़ दें , कब्ज मुक्ति प्राण योग ध्यान मैडिटेशन की ध्वनि को आपने मणिपुर चक्र { नाभि } पर महसूस करे | अब आँखे खोल लीजिये , यह ध्यान सुबह के समय 5 बजे से 7 बजे तक करने से बहुत अच्छे परिणाम मिलते है |
और हा, अपनी प्रतिक्रिया , देना न भूलें , मुझे इंतजार रहेगा |

कब्ज का योग से उपचार

योगिक उपचार {योगिक  क्योर}

[1] षट्कर्म
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{a} कुंजल {Volitional stomach wash}
{b} कपालभाति { Lungs and brain wash by breathing}
{c} नौलि  { Massage to abdominal visceral organs}
{d} संख -प्रक्षालन{ Mouth to Anus gut wash}

2 योगासन
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{1} अर्ध मत्स्येन्द्रासन
{ 2} पश्चिमोत्तानासन
{3} वज्रासन
{ 4}  सर्वांगासन
{ 5} त्रिकोणासन
{6} गोमुखासन
{7} नौकासन
{8 } मत्स्येन्द्रासन
{ 9} मयूरासन
{10}भुजंगासन
{11}  पवन मुक्तासन
{ 12 } पद्मासन
{13} शलभासन
{14 } मत्स्यासन

[3]प्राणायाम  {Body-mind energising breathing practices}
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{a} सूर्य भेदन{Right nostrilar pranayama}
{b}भस्त्रिका  {Bellow pranayama}
{c}  उज्जायी  {Hissing pranayama}

{4} बंध
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{1} उड्डियान बंध { Abdominal Lock }
{2} मूल बंध  { Anus Lock }

{5} मुद्रा
[1} तड़ागी मुद्रा  { Pond }

कब्ज  का इलाज { घरेलु इलाज एवं जीवन शैली में परिवर्तन }

1
सुबह उठने के बाद पानी में नींबू का रस और काला नमक मिलाकर पिएं। इससे पेट अच्छी तरह साफ होगा, और कब्ज की समस्या नहीं होगी।
2
कब्ज के लिए शहद बहुत फायदेमंद है। रात को सोने से पहले एक चम्मच शहद को एक गिलास पानी के साथ मिलाकर पिएं। इसके नियमित सेवन से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है।
3
भिगोई हुई अलसी का पानी पिएं और अलसी चबाकर खाएं।
4
– एक चम्मच ईसबगोल की भूसी दूध में या पानी में मिलाकर पिएं।
5
– थोड़ी सी किशमिश या मुनक्का पानी में भिगो दें। यह पानी पी लें और किशमिश/मुनक्का खाएं।
6
– दूध में 2-3 अंजीर उबाल लें। गुनगुना दूध पिएं और अंजीर खा लें।
7
– एक गिलास गुनगुने पानी में 2 चम्मच ऐलोवेरा जेल घोलकर पी लें।

जीवन शैली में बदलाव से कब्ज का इलाज
=================================
1
भोजन के बाद बैठे रहने और रात के खाने के बाद सीधे सो जाने जैसी आदतें कब्ज के लिए जिम्मेदार होती हैं।
2
डिनर में ज्यादा मैदा, जंक या प्रॉसेस्ड फूड न लें। इनमें फाइबर नहीं होता, जिससे कब्ज हो सकती है।
3
– देर रात तक शराब या सिगरेट पीने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है और कब्ज की समस्या होती है।
4
– आयरन और कैल्शियम सप्लिमेंट्स रात में न लें। इनके कारण भी ये समस्या हो सकती है।
5
– ज्यादा डेयरी प्रॉडक्ट्स न लें। इससे भी कई लोगों को कब्ज और गैस बनने की समस्या हो जाती है।
6
– देर रात चाय या कॉफी पीने से भी डाइजेशन खराब हो सकता है।
7
– सोने से पहले चाय और कॉफी पीने से बचना चाहिए। थोड़ा सा मक्का लेने से पेट साफ होता है और कब्ज की समस्या में आराम मिलता है।
8
मानसिक तनाव से , और कार्य में जल्दवाजी से कब्ज का खतरा रहता है, धयान और योग नियमित रूप से करें |
9
देर रात तक जागने से कब्ज की समस्या हो जाती है, इसलिए मध्य रात्रि में सोना अनिवार्य है |

कब्ज मुक्ति के सामान्य नियम

आयुर्वेद के अनुसार मलाभाबाद बलाभावो बलाभावाद सु छ्ह “
मल से बल की कमी होती है और बल की कमी होने से प्राण की कमी होती है हमारे शरीर में प्राणों के असंतुलित होने से व्यक्ति को अनेक प्रकार की बीमारियों घेर लेती है | अर्थात इसका तात्पर्य यह है कि प्राण ही सब कुछ है, | डॉक्टर को आपने कहते सुना ही होगा कि अब प्राण निकल गए , अब कुछ नहीं हो सकता है | कब्ज प्राण तत्व का सबसे बड़ा दुश्मन है , आज हम बताने जा रहे हैं आपको कब्ज दूर करने के सामान्य नियम
1
पित्त का अल्प मात्रा में बनना ही कब्ज का प्रमुख कारण है जितना अधिक परिश्रम होगा उतना अधिक पित्त का निर्माण होगा ,आंतों की सफाई में साबुन की तरह कार्य करता है अतः परिश्रम प्रतिदिन इतना होना चाहिए कि सांस तेज गति चलने लगे और पसीना आ जाए वृद्धावस्था में परिश्रम कम होने से कब्ज की शिकायत रहती है
2
दूसरा भोजन में सेंधा नमक ,मिर्च ,काली मिर्च ,अदरक, लहसुन ,पिंड खजूर जैसे आग्नेय पदार्थों को शामिल करना चाहिए ये शरीर में पित्त का निर्माण करते हैं अगर कब्ज से मुक्ति चाहते हैं तो रात्रि 11:00 बजे सोना अनिवार्य है हमारे लीवर में प्राण ऊर्जा का सर्वाधिक संचार रात्रि 11:00 बजे से लेकर रात्रि 3:00 बजे तक रहता है |लीवर हमारे पाचन तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण भाग है जो शरीर से विषैले पदार्थों को निकाल कर बाहर करता है यह तभी कार्य करता है जब हम नींद में होते हैं अगर हम रात्रि 12:00 बजे सोते हैं तो लीवर को कार्य करने के लिए 3 घंटे का समय मिलेगा अगर 2:00 बजे सोते हैं तो 1 घंटे का समय मिलेगा और यदि 3:00 बजे सोते हैं तो लीवर को कार्य करने का समय नहीं मिलता और हमारा शरीर विषैले पदार्थों से युक्त हो जाता है |
3
रात्रि में भोजन के बाद तुरंत सोना कब्ज को बढ़ावा देना है |
4 कब्ज दूर करने के लिए आवश्यक है कि पानी बैठकर घूंट घूंट ही पिए , साथ ही अगर आप कठिन परिश्रम नहीं करते तो ५- ६ घंटे बाद ही कुछ और चीज खाएं अगर
आप किसी बर्तन में दाल पकाने रखेंगे और थोड़ी थोड़ी देर में उसमे और दाल डालते रहेंगे तो दाल कभी नहीं पक पायेगी, ऐसी प्रकार पेट भी एक बर्तन है जिसमे बार बार चीजे डालने से पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं कर पाता |
5
तांबे के बर्तन में रखा पानी उषाकाल में पीने से कब्ज दूर होता है |
6
भूख जोर से लगने पर ही भोजन करना चाहिए और तृप्ति से पहले ही भोजन समाप्त कर देना चाहिए |
7
सोने से पूर्व गुनगुना पानी पीना चाहिए इससे कब्ज के साथ-साथ अनेक गंभीर बीमारियों का खतरा भी दूर हो जाता है |
8
ऋतु अनुसार साग साग सब्जियों का प्रयोग कब्ज दूर करता है |
9
घंटों तक लगातार बैठकर कार्य करने से कब्ज, बवासीर ,फिसर , भगंदर की समस्या पैदा हो जाती है | 1 घंटे बाद 5 मिनट घूमना मानसिक शक्ति को तो बढ़ाता ही है, अनेक बीमारियों को भी दूर रखता है |

कब्ज दूर करने के सामान्य नियम
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1
कब्ज को दूर करने हेतु ऋतु अनुकूल भोजन करना चाहिए। ज्यादा पानी पीना चाहिए।
2
-गरिष्ठ भोजन का एकदम त्याग करना चाहिए।
3
-पेट को किसी भी तरह से साफ रखना चाहिए। तेज से, अच्छी तरह चाबाए बिना भोजन नहीं करना चाहिए।
4
-भारी व मसालेदार भोजन नहीं करना चाहिए। भोजन नियमित व भूख लगने पर करना चाहिए।
5
-तंबाकू, भांग, गुटखा आदि धूम्रपान का सदा त्याग करें।-सदा जरुरत से थोड़ा ही भोजन लें।
6
-खाते समय हो सके तो पानी न पीयें तथा खाने के बाद लगभग आधा घंटे तक पानी न पीयें।
7
-खाने में ज्यादा हरी सब्जियों व अनाज का सेवन करें।
8
-मौसमी फल का जूस मौसम में लेना चाहिए।
9
मन को नकारात्मक विचारों से सदा दूर रखें।
10
-कब्ज में सेवन योग्य सेव, नीबू, नारंगी, अंगूर, आँवला, अमरुद, पपीता, बील, फूलगोभी, पत्तागोभी, खरबूजा, तरबूज,लौकी, करेला, बथुआ, चौलाई, मटर,चावल, गेहूँ, मूँग, चना, मसूर की दाल, बाजरा, दूध, छाछ, घी, हींग, काली मिर्च, शहर आदि हैं जो कब्ज क लिए लाभप्रदक है। इसका उचित मात्रा में सेवन किया जा सकता है।
11
प्रातः नास्ते में अंकुरित चना, अंकुरित मूँग, अंकुरित गेहूँ, फुलाया हुआ बादाम, मूंगफली, मूली, टमाटर,गाजर,  धनिया का पत्ता, हींग, काला या सेंधानमक, काली मिर्च तथा नींबू आदि मिलाकर स्वाद के साथ सेवन कर  सकते है। इससे भी कब्ज नहीं होता तथा पुराना कब्ज भी धीरे-धीरे ठीक हो जाता है।
12
मुनक्का का सेवन कब्ज के लिए अति उत्तम है। 6-8 मुनक्का को खाकर ऊपर से गर्म दूध पी लें। इससे  किसी भी तरह का कब्ज ठीक हो जाता है।लगभग सर्व रोगों का कारण मानसिक कमजोरी ही होता है।
13
इसलिए मानसिक तनाव से मुक्त रहना चाहिए |
इससे रोग भी ठीक होता है तथा हम मेधावान, बुद्धिवान, तेजवान भी बनते हैं।

कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज
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1
रात्रि में सोते समय 10-12 मुनक्के पानी में अच्छी तरह साफ करके बीज निकालने के बाद दूध में उबालकर खाएं और ऊपर से वही दूध पी ले सुबह पुराना  से पुराना कब्ज 3 दिन में ठीक हो जाता है |
2
4 ग्राम त्रिफला चूर्ण  200 ग्राम हल्के गुनगुने दूध के साथ सोते समय लेने से कब्ज दूर होता है |
3                                                                                                                        ईसबगोल की भूसी 6 घंटे पानी में भिगोकर रखे फिर उसमें दो चम्मच मिश्री मिलाकर रात में  सोते समय लेने से कब्ज ठीक हो जाती है |
4
अरंडी का तेल अवस्था के अनुसार 5 चम्मच की मात्रा एक कप गर्म दूध के साथ पीने से कब्ज दूर होता है |
5
बिगड़े हुए कब्ज में दो संतरों का  रस खाली पेट  8 दिन तक लेने से कब्ज पूरी तरह से ठीक हो जाता है |
6
हर्र को रेत में भूनकर ,बराबर मात्रा में सोना पत्ती को भी भूनकर चूर्ण बना लें और एक-एक चम्मच सुबह शाम गुनगुने पानी से लेने से 1 सप्ताह में कब्ज ठीक हो जाती है
7
बेल का गूदा 100 ग्राम, सौंफ 100 ग्राम,ईसबगोल की भूसी 100 ,ग्राम छोटी इलायची 10 ग्राम, इन चारों को पीसकर चूर्ण बना लें और इसमें 300 ग्राम देशी खांड या मिश्री का पाउडर मिलाकर 1 शीशी  में रख लें और सुबह शाम एक एक चम्मच गुनगुने जल के साथ लेने से पुरानी से पुरानी कब्ज और आंतों की सूजन {कोलाइटिस } कुछ ही दिनों में जड़ से समाप्त हो जाती है |
कब्ज का आहार से इलाज 
1.
अदरक की चटनी में सेंधा नमक मिलाकर चाटने से गैस और कब्ज की बीमारी दूर होती है |
2
सौंठ काली मिर्च और पीपल को बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बना ले, सुबह शाम एक एक चम्मच गुनगुने पानी के साथ लेने से कब्ज ठीक होती है |

धनिया और अदरक में पानी मिलाकर  मिक्सी में चला ले, इसमें काला नमक मिलाकर सुबह खाली पेट पीने से कब्ज और किडनी की समस्या ठीक होती है

पुदीने के रस में मिश्री या गुड़ मिलाकर पीने से बहुत लाभ होता है
5
सौंठ  , बड़ी इलाइची , दाल चीनी को बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बना लें और सुबह शाम एक एक चम्मच गुनगुने पानी के साथ लें
6
गरम पानी में एक नीबू का रस मिलाकर सुबह लेने से कब्ज दूर होगी
7
कब्ज में चने बराबर हींग गुनगुने पानी से लेने और नाभि पर हींग का लेप लगाने से कब्ज दूर होती है
8
सौंठ , छोटी हरड़ और अजवाइन को पानी में उबालें , और सेंधा नमक डालकर सुबह पिए , इससे पेट साफ हो जायेगा
9
भुना जीरा , भुनी हींग ,  सौंठ और सेंधा नमक का पाउडर बना लें, और सुबह शाम एक एक चम्मच गुनगुने पानी के साथ ले
10
कच्चे प्याज को काळा नमक के साथ सेवन करने से पेट की सभी समस्याओं से निजात मिलती है
कब्ज का घरेलू इलाज1
1.
जो रोगी काफी कमजोर हो या बालक हो तो आंवला पीस कर नाभि के चारों और दीवाल सी बना दो, उसी के भीतर अदरक का रस भर दो, दो घंटे रोगी को लेटा रहने दीजिये , जुलाब के  बगैर और बिना  किसी तेज ज़हरीली  दवाई के बिना ,ही महीनों पुराना सारा मल साफ हो जाता है।
2 .
भोजन में काला नमक, आधा नीबू, सिका  हुआ जीरा, हींग, और मौसम के अनुसार उपलब्ध सलाद को शामिल करने से कब्ज और पेट की दूसरी तमाम समस्याओं से स्थाई रूप से छुटकारा मिल जाता है |
3 .
अलसी के बीजों को मिक्सी में डालकर पीस लें, करीब 20 ग्राम पाउडर को पानी में डालकर मिला लीजिये और तीन-चार घंटे बाद पानी को छानकर पिये।
जब भी कब्ज़ महसूस हो, इसका सेवन कर सकते हैं।
4 .
गुनगुने पानी में एक चाय की चम्मच बराबर  बेकिंग सोडा मिलाएं और पियें ,
आप महसूस करेंगे कि इसे पीने के कुछ देर बाद ही प्रेशर बनने लगेगा और पेट साफ हो जाएगा।
5 .
सुबह एक कप गुनगुने पानी में आधा नीबू और शहद डालकर पीने से पेट जल्दी साफ होता है |
6 .
अमरूद में से बीज निकालकर उसे बारीक-बारीक काट लें।
अब इसे मिश्री  के साथ धीमी आंच पर पकाकर चटनी बना लें।
इस चटनी का सेवन करने से कब्ज़ ठीक हो जाती है।
7 .
दो चम्मच एक्सट्रा वर्जिन ऑलिव आयल रात में संतरा या मिक्स फ्रूट जूस में मिलकर पीने से पेट साफ हो जाता है |
जब तक आपकी कब्ज़ की समस्या दूर न हो जाए, इसका सेवन करते रहें।
8 .
आलू बुखारे  का एक गिलास जूस सुबह व एक गिलास रात को पिएं।
जूस पीने की जगह आप आलू बुखारे को खा भी सकते हैं। यह कब्ज़ के लिए रामबाण इलाज है  | सिर्फ एक दिन ही इसका सेवन करने से आपको कब्ज़ से राहत मिल सकती है।

01 Nov 2020

पिरामिड -अद्भुत , अद्वितीय , अविश्वसनीय परिणाम

पिरामिड शब्द ग्रीक भाषा के पायरा से बना है जिसका अर्थ होता है – ‘अग्नि’ तथा मिड का अर्थ है – ‘केन्द्र’ । इस प्रकार पिरामिड शब्द का अर्थ है – ‘केन्द्र में अग्नि वाला पात्र‘। जैसा कि हम सभी जानते है कि प्राचीन काल से ही अग्नि को ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इस प्रकार पिरामिड का सामान्य शाब्दिक अर्थ है ‘अग्निशिखा’’ अर्थात एक ऐसी अदृश्य ऊर्जा जो अग्नि के समान हमारी शारीरिक , मानसिक और आध्यात्मिक अशुद्धियों का नाश करके हमें निर्मल और पवित्र कर सकती है।

 

पिरामिड यंत्र अंतरिक्ष से आने वाली ब्रह्मांडीय किरणों को संग्रहित करके उन्हें कल्याणकारी किरणों के रूप में परिवर्तित का कार्य निरंतर करती रहती है पिरामिड यंत्र के पाँच शीर्षो से प्राण ऊर्जा सर्पाकार कुण्डिलिनी के रूप में सदैव ऊपर की ओर बहती रहती है। प्राचीन काल से ही पिरामिड का उपयोग , चिकित्सा , ग्रह शांति , पंचतत्व संतुलन ,नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा , गृहशांति, वास्तुदोष , आध्यात्मिक प्रगति , वस्तुओं के संरक्षण , शत्रु से रक्षा , सुख -शांति और समृद्धि के लिए किया जाता रहा है |  
पिरामिड में ‘कॉस्मिक विण्ड’ चलती रहती है, जो कि पिरामिड की आज तक ज्ञात एवं अज्ञात दोनों प्रकार की शक्तियों का पुंज है। ब्रह्मांड में व्याप्त सभी शक्तियों का संग्रह एवं मेल पिरामिड में होता है।जो विकारों को रोक सकती है तथा विकारों से सुरक्षित भी रख सकती है। मेनली पामर हॉल ने अपनी पुस्तक ‘द सीक्रेट टीचिंग ऑफ ऑल एजीज’ में कहा है- *ये भव्य पिरामिड विश्व के शाश्वत्‌ ज्ञान का जीवंत संयोजन हैं। इसके कोने शांति, गहनता, बुद्धिमत्ता तथा सच्चाई के प्रतीक हैं। इनके तिकोनिया भाग त्रिस्तरीय आत्मिक शक्ति के प्रतीक हैं। पिरामिडों के परिसर में ब्रह्मांड की ऊर्जा का क्षेत्र स्थित है। इस परिसर में उत्पन्न प्रवाह विशेष, इलेक्ट्रो-मेग्नेटिक प्रति ऊर्जा को उद्भवित करता है तथा ऊर्जा को वहन करता है।* इस संबंध में डॉ. फ्लेनगन लिखते हैं- *पिरामिड विशेष भौमितिक आकार के फलस्वरूप उसके पाँचों कोनों (चार बाजू के तथा एक शिखर को) में एक विशिष्ट प्रकार का सूक्ष्म किरणोत्सर्ग उत्पन्न होता है।
यह ऊर्जा पिरामिड की एक-तिहाई ऊँचाई पर स्थित ‘किंग्स चेम्बर’ नामक विस्तार में घनीभूत होती है। जिस बिन्दु पर यह ऊर्जा केन्द्रित होती है, उस बिन्दु को ‘फोकल जाइट’ कहते हैं। इस बिन्दु पर स्थित अणु इस ऊर्जा को अवशोषित करते हैं, जिसके फलस्वरूप अणु के अंतर्गत छिपे परमाणु स्पन्दित होते हैं और परमाणु की भ्रमण कक्षा में स्थित इलेक्ट्रॉन अपनी भ्रमण कक्षा (वर्तुल) को छोड़कर बाहर निकल जाते हैं।*

इसके कारण प्रचंड ऊर्जा (ऐटमिक-ऐनर्जी) उत्पन्न होती है। ऐसी प्रचंड ऊर्जा पिरामिड के पाँचों कोनों में से बाहर फैलती है इससे पिरामिड के आसपास का क्षेत्र एवं वातावरण आवेशित हो जाता है। इस प्रकार उत्पन्न ऊर्जा को मानव जाति के लाभार्थ एवं विकासार्थ प्रयोजित करने के उपायों के संबंध में आधुनिक विज्ञानी खोज कर रहे हैं। हजारों सालों से पिरामिड में सुरक्षित मृत देहों की , इजिप्ट के पिरामिडों की चमत्कारिक शक्ति का एकमात्र कारण उसकी विशिष्ट भौमितिक आकृति तथा उसकी संरचना है। मंदिर की आकृति, मस्जिद के गुम्बजों, चर्च के मीनारों की टोच, बौद्ध धर्म के पेगोडा के आकार, इसी संरचना पर आधारित हैं। इन स्थलों में बैठने से हमें जिस शांति का अनुभव होता है, उसका कारण यह है कि वहाँ कोई शक्ति विशेष प्रवाहित हो रही है। शक्ति विशेष के इस प्रवाह का कारण इन रचनाओं के ऊपरी हिस्से की विशिष्ट आकृतियाँ हैं।

भारत में पिरामिड :
 रेखा गणित का जन्म भारत में हुआ था। यदि सिंधु घाटी की सभ्यता बची रहती तो निश्चित ही हमें पिरामिडों के बारे में खोज करने की जरूरत नहीं होती। बलूचिस्तान से लेकर कश्मीर और कश्मीर से लेकर नर्मदा गोदावरी के तट भव्य मंदिरों और महलों का मध्यकाल में जो विध्वंस किया ‍गया उसके अब अवशेष भी नहीं बचे हैं। 

कैलाश पर्वत एक पिरामिडनुमा पर्वत ही है। उसे देखकर ही प्राचीनकाल में हिन्दुओं ने अपने मंदिरों, महलों आदि की स्थापना की थी। सनातन धर्म के मंदिरों की छत पर बनी त्रिकोणीय आकृति उन्हीं प्रयोगों में से एक है। जिसे वास्तुशास्त्र एवं वैज्ञानिक भाषा में पिरामिड कहते हैं।
असम में भी है पिरामिड :
असम के शिबसागर जिले के चारडियो में हैं अहोम राजाओं की विश्‍वप्रसिद्ध 39 कब्रें। इस क्षेत्र को ‘मोइडम’ कहा जाता है। बताया जाता है कि उनका आकार भी पिरामिडनुमा है और उनमें रखा है अहोम राजाओं का खजाना। अहोम राजाओं का शासन 1226 से 1828 तक रहा था। उनके शासन का अंत होने के बाद उनके खजाने को लूटने के लिए मुगलों ने कई अभियान चलाए, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए।
कहते हैं कि इस खजाने को प्राप्त करने के लिए सबसे पहले मुगलों ने प्रयास किए। सेनापति मीर जुमला ने उनकी कब्रों की खुदाई करवाना शुरू कर दिया। उसने वहां स्थित कई मोइडमों को तहस-नहस करवा दिया, लेकिन हमले के चंद दिनों बाद ही मीर की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई।

इसके बाद अंग्रेजों ने भी इस कब्र को खोदकर यहां के रहस्य को जानने का प्रयास किया लेकिन उनकी भी मौत हो गई। फिर एक बार म्यांमार के सैनिकों ने हमला कर कब्र के खजाने को लूटने का प्रयास किया लेकिन उनको खून की उल्टियां शुरू हो गईं और वे सभी मारे गए।

39 अहोम शासक इन पिरामिडों में बनी कब्रों में चिरनिद्रा में सो रहे हैं। इन राजाओं को जिसने भी जगाने की कोशिश की, उसको मौत की नींद सोना पड़ा है। इन मोइडमों के साथ रहस्यों और दौलत की ऐसी दुनिया लिपटी हुई है कि जिसकी वजह से इन कब्रों पर बार-बार आक्रमण करने के साथ इनसे छेड़खानी की गई। जिसने भी उन कब्रों पर बर्बादी की लकीर खींची, मौत ने उसे गले लगा लिया।

यदि आप प्राचीनकाल के मंदिरों या आज के दक्षिण भारतीय मंदिरों की रचना देखेंगे तो जानेंगे कि सभी कुछ-कुछ पिरामिडनुमा आकार के होते थे। दक्षिण भारत के मंदिरों के सामने अथवा चारों कोनों में पिरामिड आकृति के गोपुर इसी उद्देश्य से बनाए गए हैं कि व्यक्ति को उससे भरपूर ऊर्जा मिलती रहे। ये गोपुर एवं शिखर इस प्रकार से बनाए गए हैं ताकि मंदिर में आने-जाने वाले भक्तों के चारों ओर ब्रह्माण्डीय ऊर्जा का विशाल एवं प्राकृतिक आवरण तैयार हो जाए।
 

आप जानते ही हैं कि ऋषि-मुनियों की कुटिया भी उसी आकार की होती थी। प्राचीन मकानों की छतें भी कुछ इसी तरह की होती थीं। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों के घर पिरामिडनुमा ही पाए जाते हैं।

हालांकि जानकार लोग कहते हैं कि आज से लगभग 5,000 वर्ष पूर्व जब मिस्र में पिरामिडों का निर्माण हुआ, तब भारत में सर्वत्र विशालकाल तुंग वृक्षों वाले वन थे तथा तत्कालीन भारत की जलवायु पूर्णत: संतुलित, उत्तम तथा आरोग्यप्रद थी। इस कारण भारत में पिरामिड बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ी। इसके विपरीत मिस्र के गर्म रेगिस्तान में वृक्षावली तथा जल के अभाव की स्‍थिति में पिरामिड बनाने के अलावा कोई चारा ही नहीं था। पिरामिडों में एक और जहां पीने के जल का संरक्षण किया जाता था तो दूसरी ओर उससे बिजली भी उत्पादित ‍की जाती थी।

पिरामिडों में ही शव क्यों रखे जाते हैं ?
मिश्र के पिरमिडों में रखे शव (ममी) आज तक सुरक्षित हैं। पिरामिड में प्रकाश, जलवायु तथा ऊर्जा का प्रवाह संतुलित रूप में रहता है जिसके चलते कोई भी वस्तु पिरामिड के पास रखने मात्र से खराब नहीं होती है । यह रहस्य प्राचीन काल के लोग जानते थे। इसीलिए वे अपनी कब्रों को पिरामिडनुमा बनाते थे और उसको इतना भव्य आकार देते थे कि वह हजारों वर्ष तक कायम रहे।
इस प्रकार पिरामिड विद्या अमरता की विद्या है। प्रतिदिन कुछ समय तक पिरापिड के पास रहने से व्यक्ति की बढ़ती उम्र रुक जाती है |
पिरामिड पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि पिरामिड का भू-चुम्बकत्व एवं ब्रह्मांडीय तरंगों से विशिष्ट संबंध है। उत्तर-दक्षिण गोलार्धों को मिलाने वाली रेखा पृथ्वी की चुम्बक रेखा है। चुम्बकीय शक्तियां विद्युत-तरंगों से सीधी जुडी हुई हैं, जो यह दर्शाती हैं कि ब्रह्मांड में बिखरी मैग्नेटोस्फीयर में विद्यमान चुम्बकीय किरणों को संचित करने की अभूतपूर्व क्षमता पिरामिड में है। यही किरणें एकत्रित होकर अपना प्रभाव अंदर विद्यमान वस्तुओं या जीवधारियों पर डालती हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि प्राचीन लोग इसके महत्व को जानते थे।

यह ब्रह्मांड में व्याप्त ज्ञात व अज्ञात शक्तियों को स्वयं में समाहित कर एक ऊर्जायुक्त वातावरण तैयार करने में सक्षम है, जो जीवित या मृत, जड़ व चेतन सभी तरह की चीजों को प्रभावित करता है।

मस्तिष्क पर प्रयोग


यदि पिरामिड का प्रयोग सिर के ऊपर किया जाये तो इससे मस्तिष्क पर सकारात्क प्रभाव पड़ता है। अल्फ़ा तरंगों का प्रवाह बढ़ जाता है , उदान प्राण का संतुलन होकर नकारात्मक चिन्तन दूर होकर मन में अच्छे विचार उत्पन्न होने लगते हैं, सिर दर्द , बालों का गिरना , बालों का सफ़ेद होना , नींद न आना , अवसाद , चिड़चिड़ापन , मानसिक एकाग्रता, मेमोरी की समस्या ,तनाव, माइग्रेन, , लकवा , डिमेन्शिया , चिंता  , थकान , बुरे विचार , आँखों की समस्या , कानों की बीमारी आदि समस्याओं से छुटकारा मिलता है |विद्यार्थियों के लिये भी पिरामिड चिकित्सा अत्यन्त उपयोगी है। इससे उनकी सीखने की क्षमता, याद करने की क्षमता को काफी हद तक विकसित किया जा सकता है। यदि पिरामिड कुर्सी के नीचे पिरामिड रखकर विषय को याद करें, तो इससे उन्हें अपना विषय जल्दी याद हो सकता है ओर उनकी बुद्धि का विकास हो सकता है।

शारीरिक दर्द से मुक्ति
पिरामिड के उपयोग से शरीर के किसी भी अंग में होने वाले दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है | दर्द वाले स्थान पर पिरामिड रखने और धीरे धीरे हलके हाथ से पिरामिड से मसाज करने पर दर्द से तुरंत राहत मिलती है |

जल को आरोग्यप्रद बनाना

भारतीय संस्कृति में पानी को देवता मानकर उसकी पूजा का विधान किया गया है, हमारे वेद पानी को अमृत मानकर उससे किसी भी समस्या का निदान करने की महिमा से भरे पड़े है , हजारों वर्षों से हमारी पवित्र -पावन नदियां  हमारी सभी समस्याओं के समय हमें सम्बल प्रदान करती रही है, आज भी गंगा जल से कोरोना के इलाज की बात की जा रही है | हमारी संस्कृति की विशेषताओं को वैज्ञानिक प्रमाणों से सिद्ध करके अनेक वैज्ञानिको ने विश्व भर में प्रसिद्धि प्राप्त की है, इनमे डॉ. ओट्टो वानबर्ग , डॉ।  बेड़निरिच , डॉ. मसारू इमेटो के नाम प्रमुख है | डॉ. ओट्टो वानबर्ग ने अल्कलाइन पानी से कैंसर सहित अनेक बिमारियों पर विजय प्राप्त की |  अल्कलाइन पानी जीवन का बहुत बड़ा स्त्रोत है। साधारण पानी पीने की तुलना में जब हम अल्कलाइन पानी पीते हैं तो यह शरीर में अम्लीय पदार्थ को प्रभावहीन करके उन्हें घुलनशील बना देता है जो मूत्र और पसीने के रूप में शरीर के बाहर निकल जाता है। यही कारण है कि अल्कलाइन पानी को लाख दुखों की एक दवा माना गया है कई बीमारियों का मुख्य कारण वह अम्लीय व्यर्थ पदार्थ होते हैं जिनका शरीर से निष्कासन नहीं हो पाता और वह शरीर के मुख्य भागों में जमा हो जाते हैं और फिर धीरे धीरे अपने आस पास की कोशिकाओं में भी फैलने लगते हैं , अम्लीय व्यर्थ पदार्थ के कारण कोशिकाओं को ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित हो जाती है , फलस्वरूप जीवित शरीर में प्राण ऊर्जा के बाधित होने से शरीर के अंगों की काम करने की क्षमता कम होने से  वायरस के संक्रमण का खतरा ,कैंसर, उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप , मधुमेह, गुर्दों की बीमारियां, गठिया, अर्थराइटिस, कब्ज,हैजा,मोटापा, सर दर्द, त्वचा रोग, त्वचा की एलर्जी, दमा और अंत में मृत्यु की प्रक्रिया शुरू हो जाती है , इसलिए इस परिस्थिति को रोकने के लिए अल्कलाइन पानी पीकर अम्लीय व्यर्थ पदार्थ के जमा होने से हमें रोकथाम करनी चाहिए। सामान्यता अल्कलाइन पानी को विभिन्न बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रयोग किया जाता है। जैसे इत्यादि जिनका कारण अम्लीय व्यर्थ पदार्थ का बनना और शरीर में जमा होना है। स्वस्थ्य कोशिका क्षारीय और कैंसर कोशिका अम्लीय होती है। विश्व को भारत द्वारा भेजी जा रही दवा हड्रोक्लोरोक्वीन भी शरीर को अल्कलाइन बनाने का कार्य करती है, जिससे संक्रमण समाप्त हो जाता है |

पिरामिड को जल के पात्र के ऊपर रख देने से 8 घंटे के अन्दर ही जल अत्यधिक आरोग्यप्रद, एल्कलाइन , मीठा और स्वादयुक्त हो जाता है।
खाद्य पदार्थ जैसे की फल, सब्जियाँ, दूध, दही, मिठाई , इत्यादि के ऊपर पिरामिड रख देने से वे आरोग्यप्रद एवं अधिक स्वादयुक्त हो जाते हैं तथा उनकी गुणवत्ता में भी अत्यधिक वृद्धि हो जाती है और वे लम्बे समय तक ताजे बने रहते हैं। फलों से जहरीले केमिकल्स का असर कम हो जाता है |

मैडिटेशन ,उपासना, प्रार्थना में उपयोगिता

पिरामिड में प्राण योग चिकित्सा { वाइब्रेशन , एनर्जी , फ्रीक्वेंसी }   सीक्रेट ज्योमेट्री , क्रिस्टल हीलिंग , धातु विज्ञानं , एनर्जी मेडिसिन , ओरगॉन हीलिंग , लिथोथेरेपी,  मंत्र चिकित्सा, पिरामिड विज्ञान आदि के सहयोग लिया जाता है | यह व्यक्ति और उसके घर की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित करके उसके वातावरण को शुद्ध करता है |
पिरामिड ,से प्राण ऊर्जा , और वाइब्रेशन के माध्यम से ,मानव मस्तिष्क में तरंगें पैदा होती हैं जिन्हे साइट्रानिक वेब फ्रंट कहते हैं। इन तरंगों के अहसास को मानव मस्तिष्क के न्यूरॉन ग्रहण कर लेते हैं। हमारे मस्तिष्क की अल्फा तरंगों की आवृति इन साइट्रानिक तरंगों की आवृति जैसी होने के कारण हमारा मस्तिष्क तरंगों को पकड़ लेता है | इन तरंगों से मैडिटेशन और साधना की सिद्धि बहुत शीघ्र होती है |

अनिद्रा रोग

पिरामिड से निकलने वाली प्राण ऊर्जा शरीर के समस्त अवयवों की ऊर्जा को नियमित कर देती है , जिससे समस्त अंग ठीक तरह से कार्य करने लगते है , फलस्वरूप व्यक्ति को अनिद्रा रोग से मुक्ति मिल जाती है | अच्छी नींद लाने के लिए पिरामिड को सर के पास अथवा पलंग के नीचे रखे |

पौधों की वृद्धि

पिरामिड से चार्ज किए गए जल को पेड़ -पौधों में डालने से पैदावार बहुत अच्छी होती है, और जल्दी विकास होता है |

पेट पर प्रयोग

पेट की इन सभी समस्याओं का अचूक इलाज

एसिडिटी

क़ब्ज़

गैस की समस्या

उलटी दस्त

पेट दर्द

पेट फूलना

पेट में भारीपन

जी मचलाना

अपच

भूख कम लगना

हिचकी आना

आदि समस्याओं में पिरामिड तुरंत आराम प्रदान करता है |

धन वृद्धि

धन भी एक तरह की ऊर्जा है, जिसकी एक निश्चित फ्रीक्वेंसी होती है, यही फ्रीक्वेंसी मूलाधार चक्र और पृथ्वी तत्त्व की भी होती है | मूलाधार के असन्तुलन की वजह से बीमारी से पीड़ित ,ऊर्जा के नियम के अनुसार समान गुण वाली वस्तुयें , समान गुण वाली वस्तुओँ को आकर्षित करती है |
पिरामिड मूलाधार चक्र , पृथ्वी , बुध्ध ग्रह , की फ्रीक्वेंसी के आधार पर यह प्राण ऊर्जा को संतुलित करता है, इस वाइब्रेशन पर बहुत अद्भुत और चामत्कारिक परिणाम प्राप्त होते है |  

मासिक धर्म की समस्याओं से मुक्ति पायें

कमर दर्द

पेट दर्द

पीठ में दर्द होना

चिड़चिड़ापन

मासिक धर्म के समय सा उससे पहले चेहरे पर मुंहासों का होना

थकान

बार-बार पेशाब की इच्छा

सिर व पेडू में दर्द

कब्ज

स्तनों में तनाव

और कभी –कभी पैरों में सूजन

माहवारी न होना या देर से आरंभ होना

भारी रक्तस्राव

माहवारी से पहले तनाव /कष्ट

मूड स्विंग

वजन में तेजी से परिवर्तन होना

अत्यधिक नीँद आना , या नींद न आना

आदि समस्याओं से मुक्ति पाएं |

पिरामिड द्वारा आपके चक्रों के असंतुलन को प्राण ऊर्जा के माध्यम से ठीक किया जाया है, यह प्राण ऊर्जा आंतरिक अंगो पर एक्यूप्रेसर का कार्य करती है | हमारे शरीर में विद्यमान सात चक्र हमारी अंत स्रावी ग्रंथियाँ है, जो मासिक धर्म के समय असंतुलित हार्मोन्स का स्त्राव करती है, पिरामिड एस्ट्रोजन , प्रोजेस्ट्रॉन , थाइरॉक्सिन आदि को संतुलित करता है | जिससे मासिक धर्म की समस्यायें दूर होती है | इसके आलावा , पिरामिड समान और अपान प्राण को भी संतुलित करता है, जिससे प्रजनन अंग की समस्या तेज़ी से ठीक होती है, इसके अलावा , प्राण ऊर्जा द्वारा जल तत्त्व को संतुलित किया गया है, जिससे मासिक धर्म का सम्बन्ध है |

रेडिएशन से मुक्ति

पिरामिड से निकलने वाली दिव्य प्राण ऊर्जा की शक्ति मोबाइल , लैपटॉप , मोबाइल टॉवर , टेलीविज़न से निकलने वाली हानिकारक तरंगो को रोक लेती है, और व्यक्ति हानिकारक रेडिएशन के दुष्प्रभाव से बच जाता है, इतना ही नहीं यह किसी भी प्रकार के विकिरण से रक्षा करता है |


रोड एक्सीडेंट से मुक्ति

पृथ्वी लगातार हमें अपनी चुंबकीय शक्ति , पञ्च तत्त्व की पूर्ति से अनेक तरह तरह के तरीकों से निरोग बनाने का कार्य करती है, परन्तु कही कही इसका नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलता है , वैज्ञानिक इसे जियोपैथिक स्ट्रेस कहते है | जियोपैथिक स्ट्रेस की प्रचलित परिभाषा के अनुसार इसका मतलब होता है ऐसी पीड़ा या परेशानी जो की पृथ्वी के प्रभाव के कारण होती है | जयोपैथिक स्ट्रेस के अंतर्गत निकलने वाली उर्जायें एक सामान्य मनुष्य के उर्जा के स्तर से कई गुना ज्यादा शक्तिशाली होती है | इसीलिए अगर आप ऐसे स्ट्रेस जोन में  होते है या उसके प्रभाव में आते है तो  किसी Magnetic Grid Line या underground water system से उत्पन्न होने वाली तरंगो से प्रभावित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते है | यह पिरामिड सभी प्रकार से जियोपैथिक स्ट्रैस से व्यक्ति की रक्षा करके हर प्रकार की दुर्घटना से रक्षा करता है | इसे अपनी कार ,ट्रक , ट्रैक्टर या बस में रखने से अनेक चमत्कारिक परिणाम मिलते है | 
अज्ञात तकलीफो से मुक्ति

पृथ्वी की नकारात्मक शक्ति { जियोपैथिक स्ट्रैस } , वास्तुदोष, नकारात्मक ऊर्जा के कारण , किसी विशेष घर के लोग बहुत परेशान रहते है , इसमें नींद ना आने की समस्या, सिरदर्द, बैचेनी, बुख़ार , कैंसर  बच्चों का चिडचिडा व्यवहार, बड़ों में मनमुटाव , अच्छे खासे व्यापार का अचानक डूब जाना , घर के बीमार लोगों को दवाओं का असर न होना , बड़ों में अवसाद { डिप्रेशन } का शिकार होना , आदि मामलों में यह पिरामिड अत्यंत उपयोगी है |


जहरीले जीव जंतुओं , जलने पर तुरंत असरकारक 

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