
पिरामिड -अद्भुत , अद्वितीय , अविश्वसनीय परिणाम
पिरामिड यंत्र अंतरिक्ष से आने वाली ब्रह्मांडीय किरणों को संग्रहित करके उन्हें कल्याणकारी किरणों के रूप में परिवर्तित का कार्य निरंतर करती रहती है पिरामिड यंत्र के पाँच शीर्षो से प्राण ऊर्जा सर्पाकार कुण्डिलिनी के रूप में सदैव ऊपर की ओर बहती रहती है। प्राचीन काल से ही पिरामिड का उपयोग , चिकित्सा , ग्रह शांति , पंचतत्व संतुलन ,नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा , गृहशांति, वास्तुदोष , आध्यात्मिक प्रगति , वस्तुओं के संरक्षण , शत्रु से रक्षा , सुख -शांति और समृद्धि के लिए किया जाता रहा है |
पिरामिड में ‘कॉस्मिक विण्ड’ चलती रहती है, जो कि पिरामिड की आज तक ज्ञात एवं अज्ञात दोनों प्रकार की शक्तियों का पुंज है। ब्रह्मांड में व्याप्त सभी शक्तियों का संग्रह एवं मेल पिरामिड में होता है।जो विकारों को रोक सकती है तथा विकारों से सुरक्षित भी रख सकती है। मेनली पामर हॉल ने अपनी पुस्तक ‘द सीक्रेट टीचिंग ऑफ ऑल एजीज’ में कहा है- *ये भव्य पिरामिड विश्व के शाश्वत् ज्ञान का जीवंत संयोजन हैं। इसके कोने शांति, गहनता, बुद्धिमत्ता तथा सच्चाई के प्रतीक हैं। इनके तिकोनिया भाग त्रिस्तरीय आत्मिक शक्ति के प्रतीक हैं। पिरामिडों के परिसर में ब्रह्मांड की ऊर्जा का क्षेत्र स्थित है। इस परिसर में उत्पन्न प्रवाह विशेष, इलेक्ट्रो-मेग्नेटिक प्रति ऊर्जा को उद्भवित करता है तथा ऊर्जा को वहन करता है।* इस संबंध में डॉ. फ्लेनगन लिखते हैं- *पिरामिड विशेष भौमितिक आकार के फलस्वरूप उसके पाँचों कोनों (चार बाजू के तथा एक शिखर को) में एक विशिष्ट प्रकार का सूक्ष्म किरणोत्सर्ग उत्पन्न होता है।
यह ऊर्जा पिरामिड की एक-तिहाई ऊँचाई पर स्थित ‘किंग्स चेम्बर’ नामक विस्तार में घनीभूत होती है। जिस बिन्दु पर यह ऊर्जा केन्द्रित होती है, उस बिन्दु को ‘फोकल जाइट’ कहते हैं। इस बिन्दु पर स्थित अणु इस ऊर्जा को अवशोषित करते हैं, जिसके फलस्वरूप अणु के अंतर्गत छिपे परमाणु स्पन्दित होते हैं और परमाणु की भ्रमण कक्षा में स्थित इलेक्ट्रॉन अपनी भ्रमण कक्षा (वर्तुल) को छोड़कर बाहर निकल जाते हैं।*
इसके कारण प्रचंड ऊर्जा (ऐटमिक-ऐनर्जी) उत्पन्न होती है। ऐसी प्रचंड ऊर्जा पिरामिड के पाँचों कोनों में से बाहर फैलती है इससे पिरामिड के आसपास का क्षेत्र एवं वातावरण आवेशित हो जाता है। इस प्रकार उत्पन्न ऊर्जा को मानव जाति के लाभार्थ एवं विकासार्थ प्रयोजित करने के उपायों के संबंध में आधुनिक विज्ञानी खोज कर रहे हैं। हजारों सालों से पिरामिड में सुरक्षित मृत देहों की , इजिप्ट के पिरामिडों की चमत्कारिक शक्ति का एकमात्र कारण उसकी विशिष्ट भौमितिक आकृति तथा उसकी संरचना है। मंदिर की आकृति, मस्जिद के गुम्बजों, चर्च के मीनारों की टोच, बौद्ध धर्म के पेगोडा के आकार, इसी संरचना पर आधारित हैं। इन स्थलों में बैठने से हमें जिस शांति का अनुभव होता है, उसका कारण यह है कि वहाँ कोई शक्ति विशेष प्रवाहित हो रही है। शक्ति विशेष के इस प्रवाह का कारण इन रचनाओं के ऊपरी हिस्से की विशिष्ट आकृतियाँ हैं।
भारत में पिरामिड :
रेखा गणित का जन्म भारत में हुआ था। यदि सिंधु घाटी की सभ्यता बची रहती तो निश्चित ही हमें पिरामिडों के बारे में खोज करने की जरूरत नहीं होती। बलूचिस्तान से लेकर कश्मीर और कश्मीर से लेकर नर्मदा गोदावरी के तट भव्य मंदिरों और महलों का मध्यकाल में जो विध्वंस किया गया उसके अब अवशेष भी नहीं बचे हैं।
कैलाश पर्वत एक पिरामिडनुमा पर्वत ही है। उसे देखकर ही प्राचीनकाल में हिन्दुओं ने अपने मंदिरों, महलों आदि की स्थापना की थी। सनातन धर्म के मंदिरों की छत पर बनी त्रिकोणीय आकृति उन्हीं प्रयोगों में से एक है। जिसे वास्तुशास्त्र एवं वैज्ञानिक भाषा में पिरामिड कहते हैं।
असम में भी है पिरामिड :
असम के शिबसागर जिले के चारडियो में हैं अहोम राजाओं की विश्वप्रसिद्ध 39 कब्रें। इस क्षेत्र को ‘मोइडम’ कहा जाता है। बताया जाता है कि उनका आकार भी पिरामिडनुमा है और उनमें रखा है अहोम राजाओं का खजाना। अहोम राजाओं का शासन 1226 से 1828 तक रहा था। उनके शासन का अंत होने के बाद उनके खजाने को लूटने के लिए मुगलों ने कई अभियान चलाए, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए।
कहते हैं कि इस खजाने को प्राप्त करने के लिए सबसे पहले मुगलों ने प्रयास किए। सेनापति मीर जुमला ने उनकी कब्रों की खुदाई करवाना शुरू कर दिया। उसने वहां स्थित कई मोइडमों को तहस-नहस करवा दिया, लेकिन हमले के चंद दिनों बाद ही मीर की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई।
इसके बाद अंग्रेजों ने भी इस कब्र को खोदकर यहां के रहस्य को जानने का प्रयास किया लेकिन उनकी भी मौत हो गई। फिर एक बार म्यांमार के सैनिकों ने हमला कर कब्र के खजाने को लूटने का प्रयास किया लेकिन उनको खून की उल्टियां शुरू हो गईं और वे सभी मारे गए।
39 अहोम शासक इन पिरामिडों में बनी कब्रों में चिरनिद्रा में सो रहे हैं। इन राजाओं को जिसने भी जगाने की कोशिश की, उसको मौत की नींद सोना पड़ा है। इन मोइडमों के साथ रहस्यों और दौलत की ऐसी दुनिया लिपटी हुई है कि जिसकी वजह से इन कब्रों पर बार-बार आक्रमण करने के साथ इनसे छेड़खानी की गई। जिसने भी उन कब्रों पर बर्बादी की लकीर खींची, मौत ने उसे गले लगा लिया।
आप जानते ही हैं कि ऋषि-मुनियों की कुटिया भी उसी आकार की होती थी। प्राचीन मकानों की छतें भी कुछ इसी तरह की होती थीं। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों के घर पिरामिडनुमा ही पाए जाते हैं।
हालांकि जानकार लोग कहते हैं कि आज से लगभग 5,000 वर्ष पूर्व जब मिस्र में पिरामिडों का निर्माण हुआ, तब भारत में सर्वत्र विशालकाल तुंग वृक्षों वाले वन थे तथा तत्कालीन भारत की जलवायु पूर्णत: संतुलित, उत्तम तथा आरोग्यप्रद थी। इस कारण भारत में पिरामिड बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ी। इसके विपरीत मिस्र के गर्म रेगिस्तान में वृक्षावली तथा जल के अभाव की स्थिति में पिरामिड बनाने के अलावा कोई चारा ही नहीं था। पिरामिडों में एक और जहां पीने के जल का संरक्षण किया जाता था तो दूसरी ओर उससे बिजली भी उत्पादित की जाती थी।
पिरामिडों में ही शव क्यों रखे जाते हैं ?
मिश्र के पिरमिडों में रखे शव (ममी) आज तक सुरक्षित हैं। पिरामिड में प्रकाश, जलवायु तथा ऊर्जा का प्रवाह संतुलित रूप में रहता है जिसके चलते कोई भी वस्तु पिरामिड के पास रखने मात्र से खराब नहीं होती है । यह रहस्य प्राचीन काल के लोग जानते थे। इसीलिए वे अपनी कब्रों को पिरामिडनुमा बनाते थे और उसको इतना भव्य आकार देते थे कि वह हजारों वर्ष तक कायम रहे।
इस प्रकार पिरामिड विद्या अमरता की विद्या है। प्रतिदिन कुछ समय तक पिरापिड के पास रहने से व्यक्ति की बढ़ती उम्र रुक जाती है |
पिरामिड पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि पिरामिड का भू-चुम्बकत्व एवं ब्रह्मांडीय तरंगों से विशिष्ट संबंध है। उत्तर-दक्षिण गोलार्धों को मिलाने वाली रेखा पृथ्वी की चुम्बक रेखा है। चुम्बकीय शक्तियां विद्युत-तरंगों से सीधी जुडी हुई हैं, जो यह दर्शाती हैं कि ब्रह्मांड में बिखरी मैग्नेटोस्फीयर में विद्यमान चुम्बकीय किरणों को संचित करने की अभूतपूर्व क्षमता पिरामिड में है। यही किरणें एकत्रित होकर अपना प्रभाव अंदर विद्यमान वस्तुओं या जीवधारियों पर डालती हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि प्राचीन लोग इसके महत्व को जानते थे।
यह ब्रह्मांड में व्याप्त ज्ञात व अज्ञात शक्तियों को स्वयं में समाहित कर एक ऊर्जायुक्त वातावरण तैयार करने में सक्षम है, जो जीवित या मृत, जड़ व चेतन सभी तरह की चीजों को प्रभावित करता है।
मस्तिष्क पर प्रयोग
यदि पिरामिड का प्रयोग सिर के ऊपर किया जाये तो इससे मस्तिष्क पर सकारात्क प्रभाव पड़ता है। अल्फ़ा तरंगों का प्रवाह बढ़ जाता है , उदान प्राण का संतुलन होकर नकारात्मक चिन्तन दूर होकर मन में अच्छे विचार उत्पन्न होने लगते हैं, सिर दर्द , बालों का गिरना , बालों का सफ़ेद होना , नींद न आना , अवसाद , चिड़चिड़ापन , मानसिक एकाग्रता, मेमोरी की समस्या ,तनाव, माइग्रेन, , लकवा , डिमेन्शिया , चिंता , थकान , बुरे विचार , आँखों की समस्या , कानों की बीमारी आदि समस्याओं से छुटकारा मिलता है |विद्यार्थियों के लिये भी पिरामिड चिकित्सा अत्यन्त उपयोगी है। इससे उनकी सीखने की क्षमता, याद करने की क्षमता को काफी हद तक विकसित किया जा सकता है। यदि पिरामिड कुर्सी के नीचे पिरामिड रखकर विषय को याद करें, तो इससे उन्हें अपना विषय जल्दी याद हो सकता है ओर उनकी बुद्धि का विकास हो सकता है।
शारीरिक दर्द से मुक्ति
पिरामिड के उपयोग से शरीर के किसी भी अंग में होने वाले दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है | दर्द वाले स्थान पर पिरामिड रखने और धीरे धीरे हलके हाथ से पिरामिड से मसाज करने पर दर्द से तुरंत राहत मिलती है |
जल को आरोग्यप्रद बनाना
भारतीय संस्कृति में पानी को देवता मानकर उसकी पूजा का विधान किया गया है, हमारे वेद पानी को अमृत मानकर उससे किसी भी समस्या का निदान करने की महिमा से भरे पड़े है , हजारों वर्षों से हमारी पवित्र -पावन नदियां हमारी सभी समस्याओं के समय हमें सम्बल प्रदान करती रही है, आज भी गंगा जल से कोरोना के इलाज की बात की जा रही है | हमारी संस्कृति की विशेषताओं को वैज्ञानिक प्रमाणों से सिद्ध करके अनेक वैज्ञानिको ने विश्व भर में प्रसिद्धि प्राप्त की है, इनमे डॉ. ओट्टो वानबर्ग , डॉ। बेड़निरिच , डॉ. मसारू इमेटो के नाम प्रमुख है | डॉ. ओट्टो वानबर्ग ने अल्कलाइन पानी से कैंसर सहित अनेक बिमारियों पर विजय प्राप्त की | अल्कलाइन पानी जीवन का बहुत बड़ा स्त्रोत है। साधारण पानी पीने की तुलना में जब हम अल्कलाइन पानी पीते हैं तो यह शरीर में अम्लीय पदार्थ को प्रभावहीन करके उन्हें घुलनशील बना देता है जो मूत्र और पसीने के रूप में शरीर के बाहर निकल जाता है। यही कारण है कि अल्कलाइन पानी को लाख दुखों की एक दवा माना गया है कई बीमारियों का मुख्य कारण वह अम्लीय व्यर्थ पदार्थ होते हैं जिनका शरीर से निष्कासन नहीं हो पाता और वह शरीर के मुख्य भागों में जमा हो जाते हैं और फिर धीरे धीरे अपने आस पास की कोशिकाओं में भी फैलने लगते हैं , अम्लीय व्यर्थ पदार्थ के कारण कोशिकाओं को ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित हो जाती है , फलस्वरूप जीवित शरीर में प्राण ऊर्जा के बाधित होने से शरीर के अंगों की काम करने की क्षमता कम होने से वायरस के संक्रमण का खतरा ,कैंसर, उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप , मधुमेह, गुर्दों की बीमारियां, गठिया, अर्थराइटिस, कब्ज,हैजा,मोटापा, सर दर्द, त्वचा रोग, त्वचा की एलर्जी, दमा और अंत में मृत्यु की प्रक्रिया शुरू हो जाती है , इसलिए इस परिस्थिति को रोकने के लिए अल्कलाइन पानी पीकर अम्लीय व्यर्थ पदार्थ के जमा होने से हमें रोकथाम करनी चाहिए। सामान्यता अल्कलाइन पानी को विभिन्न बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रयोग किया जाता है। जैसे इत्यादि जिनका कारण अम्लीय व्यर्थ पदार्थ का बनना और शरीर में जमा होना है। स्वस्थ्य कोशिका क्षारीय और कैंसर कोशिका अम्लीय होती है। विश्व को भारत द्वारा भेजी जा रही दवा हड्रोक्लोरोक्वीन भी शरीर को अल्कलाइन बनाने का कार्य करती है, जिससे संक्रमण समाप्त हो जाता है |
पिरामिड को जल के पात्र के ऊपर रख देने से 8 घंटे के अन्दर ही जल अत्यधिक आरोग्यप्रद, एल्कलाइन , मीठा और स्वादयुक्त हो जाता है।
खाद्य पदार्थ जैसे की फल, सब्जियाँ, दूध, दही, मिठाई , इत्यादि के ऊपर पिरामिड रख देने से वे आरोग्यप्रद एवं अधिक स्वादयुक्त हो जाते हैं तथा उनकी गुणवत्ता में भी अत्यधिक वृद्धि हो जाती है और वे लम्बे समय तक ताजे बने रहते हैं। फलों से जहरीले केमिकल्स का असर कम हो जाता है |
मैडिटेशन ,उपासना, प्रार्थना में उपयोगिता
पिरामिड में प्राण योग चिकित्सा { वाइब्रेशन , एनर्जी , फ्रीक्वेंसी } सीक्रेट ज्योमेट्री , क्रिस्टल हीलिंग , धातु विज्ञानं , एनर्जी मेडिसिन , ओरगॉन हीलिंग , लिथोथेरेपी, मंत्र चिकित्सा, पिरामिड विज्ञान आदि के सहयोग लिया जाता है | यह व्यक्ति और उसके घर की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित करके उसके वातावरण को शुद्ध करता है |
पिरामिड ,से प्राण ऊर्जा , और वाइब्रेशन के माध्यम से ,मानव मस्तिष्क में तरंगें पैदा होती हैं जिन्हे साइट्रानिक वेब फ्रंट कहते हैं। इन तरंगों के अहसास को मानव मस्तिष्क के न्यूरॉन ग्रहण कर लेते हैं। हमारे मस्तिष्क की अल्फा तरंगों की आवृति इन साइट्रानिक तरंगों की आवृति जैसी होने के कारण हमारा मस्तिष्क तरंगों को पकड़ लेता है | इन तरंगों से मैडिटेशन और साधना की सिद्धि बहुत शीघ्र होती है |
अनिद्रा रोग
पिरामिड से निकलने वाली प्राण ऊर्जा शरीर के समस्त अवयवों की ऊर्जा को नियमित कर देती है , जिससे समस्त अंग ठीक तरह से कार्य करने लगते है , फलस्वरूप व्यक्ति को अनिद्रा रोग से मुक्ति मिल जाती है | अच्छी नींद लाने के लिए पिरामिड को सर के पास अथवा पलंग के नीचे रखे |
पौधों की वृद्धि
पिरामिड से चार्ज किए गए जल को पेड़ -पौधों में डालने से पैदावार बहुत अच्छी होती है, और जल्दी विकास होता है |
पेट पर प्रयोग
पेट की इन सभी समस्याओं का अचूक इलाज
एसिडिटी
क़ब्ज़
गैस की समस्या
उलटी दस्त
पेट दर्द
पेट फूलना
पेट में भारीपन
जी मचलाना
अपच
भूख कम लगना
हिचकी आना
आदि समस्याओं में पिरामिड तुरंत आराम प्रदान करता है |
धन वृद्धि
धन भी एक तरह की ऊर्जा है, जिसकी एक निश्चित फ्रीक्वेंसी होती है, यही फ्रीक्वेंसी मूलाधार चक्र और पृथ्वी तत्त्व की भी होती है | मूलाधार के असन्तुलन की वजह से बीमारी से पीड़ित ,ऊर्जा के नियम के अनुसार समान गुण वाली वस्तुयें , समान गुण वाली वस्तुओँ को आकर्षित करती है |
पिरामिड मूलाधार चक्र , पृथ्वी , बुध्ध ग्रह , की फ्रीक्वेंसी के आधार पर यह प्राण ऊर्जा को संतुलित करता है, इस वाइब्रेशन पर बहुत अद्भुत और चामत्कारिक परिणाम प्राप्त होते है |
मासिक धर्म की समस्याओं से मुक्ति पायें
कमर दर्द
पेट दर्द
पीठ में दर्द होना
चिड़चिड़ापन
मासिक धर्म के समय सा उससे पहले चेहरे पर मुंहासों का होना
थकान
बार-बार पेशाब की इच्छा
सिर व पेडू में दर्द
कब्ज
स्तनों में तनाव
और कभी –कभी पैरों में सूजन
माहवारी न होना या देर से आरंभ होना
भारी रक्तस्राव
माहवारी से पहले तनाव /कष्ट
मूड स्विंग
वजन में तेजी से परिवर्तन होना
अत्यधिक नीँद आना , या नींद न आना
आदि समस्याओं से मुक्ति पाएं |
पिरामिड द्वारा आपके चक्रों के असंतुलन को प्राण ऊर्जा के माध्यम से ठीक किया जाया है, यह प्राण ऊर्जा आंतरिक अंगो पर एक्यूप्रेसर का कार्य करती है | हमारे शरीर में विद्यमान सात चक्र हमारी अंत स्रावी ग्रंथियाँ है, जो मासिक धर्म के समय असंतुलित हार्मोन्स का स्त्राव करती है, पिरामिड एस्ट्रोजन , प्रोजेस्ट्रॉन , थाइरॉक्सिन आदि को संतुलित करता है | जिससे मासिक धर्म की समस्यायें दूर होती है | इसके आलावा , पिरामिड समान और अपान प्राण को भी संतुलित करता है, जिससे प्रजनन अंग की समस्या तेज़ी से ठीक होती है, इसके अलावा , प्राण ऊर्जा द्वारा जल तत्त्व को संतुलित किया गया है, जिससे मासिक धर्म का सम्बन्ध है |
रेडिएशन से मुक्ति
पिरामिड से निकलने वाली दिव्य प्राण ऊर्जा की शक्ति मोबाइल , लैपटॉप , मोबाइल टॉवर , टेलीविज़न से निकलने वाली हानिकारक तरंगो को रोक लेती है, और व्यक्ति हानिकारक रेडिएशन के दुष्प्रभाव से बच जाता है, इतना ही नहीं यह किसी भी प्रकार के विकिरण से रक्षा करता है |
रोड एक्सीडेंट से मुक्ति
पृथ्वी लगातार हमें अपनी चुंबकीय शक्ति , पञ्च तत्त्व की पूर्ति से अनेक तरह तरह के तरीकों से निरोग बनाने का कार्य करती है, परन्तु कही कही इसका नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलता है , वैज्ञानिक इसे जियोपैथिक स्ट्रेस कहते है | जियोपैथिक स्ट्रेस की प्रचलित परिभाषा के अनुसार इसका मतलब होता है ऐसी पीड़ा या परेशानी जो की पृथ्वी के प्रभाव के कारण होती है | जयोपैथिक स्ट्रेस के अंतर्गत निकलने वाली उर्जायें एक सामान्य मनुष्य के उर्जा के स्तर से कई गुना ज्यादा शक्तिशाली होती है | इसीलिए अगर आप ऐसे स्ट्रेस जोन में होते है या उसके प्रभाव में आते है तो किसी Magnetic Grid Line या underground water system से उत्पन्न होने वाली तरंगो से प्रभावित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते है | यह पिरामिड सभी प्रकार से जियोपैथिक स्ट्रैस से व्यक्ति की रक्षा करके हर प्रकार की दुर्घटना से रक्षा करता है | इसे अपनी कार ,ट्रक , ट्रैक्टर या बस में रखने से अनेक चमत्कारिक परिणाम मिलते है |
अज्ञात तकलीफो से मुक्ति
पृथ्वी की नकारात्मक शक्ति { जियोपैथिक स्ट्रैस } , वास्तुदोष, नकारात्मक ऊर्जा के कारण , किसी विशेष घर के लोग बहुत परेशान रहते है , इसमें नींद ना आने की समस्या, सिरदर्द, बैचेनी, बुख़ार , कैंसर बच्चों का चिडचिडा व्यवहार, बड़ों में मनमुटाव , अच्छे खासे व्यापार का अचानक डूब जाना , घर के बीमार लोगों को दवाओं का असर न होना , बड़ों में अवसाद { डिप्रेशन } का शिकार होना , आदि मामलों में यह पिरामिड अत्यंत उपयोगी है |
जहरीले जीव जंतुओं , जलने पर तुरंत असरकारक