Jai Ho Vijay Ho
Spiritual & PranYog Healing Centre Bhopal {MP} 462042
20 Sep 2020

जोड़ों के तकलीफ का अंत – घरेलू उपचार

जोड़ों के तकलीफ का अंत – घरेलू उपचार
योगी योगानंद {अध्यात्म और योग गुरु }
1. दो चम्मच शहद में , एक चम्मच दालचीनी मिलाकर, सुबह शाम गर्म पानी के साथ लेने से आर्थराइटिस की समस्त समस्याएं , जड़ से ठीक हो जाती है |
2 . तीन चम्मच नीबू जूस , में एक चम्मच एप्सम साल्ट एक कप गुनगुने पानी में मिलाकर सुबह शाम पीने से जोड़ों में जमा विकार तेजी से बाहर निकल जाते है |
3 . दो चम्मच लाल मिर्च पाउडर , दो चम्मच संतरे के छिलके का पाउडर , दो चम्मच अदरक का पाउडर , चार चम्मच हल्दी पाउडर सभी को मिलाकर रख ले , आधा चम्मच सुबह – शाम गर्म पानी के साथ लेने से जोड़ों की तकलीफ ठीक होती है |
4 . हल्दी , चूना , और चीनी तीनों को पीसकर पाउडर बना ले, फिर इसका मोटा लेप जोड़ों पर लगाये , बहुत जल्दी तकलीफ ठीक होगी |
5 . एक चम्मच हल्दी , एक चम्मच अदरक पाउडर लेकर उसे दो कप पानी में उबालें , जब एक कप बचे , तो ठंडा करके उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार पियें |
6. निरामय सोप से नहाने से और दर्द वाले स्थान पर दिन में दो बार लगाकर गर्म पानी से धोने से तुरंत दर्द ठीक होता हैं |
7 . पिपरमेंट को नारियल के तेल में मिलाकर जोड़ों वाले स्थान पर मसाज़ करें |
8 . साल्ट पीटर , हल्दी , नींबू पाउडर को बराबर मिलाकर उनका लेप बनाकर , 30 मिनिट तक जोड़ों पर लेप लगाकर रखें |
9 . हल्दी , मैथी और अदरक का पाउडर बनाकर इसे एक एक चम्म्च सुबह शाम गर्म पानी से ले, और इसी में अमृतधारा मिलाकर इसका लेप बनाकर प्रभावित स्थान पर लगाए |
10 . यदि आप घुटनों के दर्द से परेशान हैं बहुत ईलाज कराया आराम नहीं आया घुटनों की हड्डियां कट कट की आवाज करती हैं या हड्डियों के बीच गैप आ गया है हड्डियां आपस में रगड़ने से घिस गई है। क्या आपको घुटने बदलवाने के लिए कहा गया है। तो आप इसे एक बार जरूर आजमायें !
1: अल्सी 100ग्राम
२: त्रिकुटा 100 ग्राम
3: त्रिफला 100 ग्राम
4 : अजवाइन100 ग्राम
5: नागरमोथा 100 ग्राम
6: सहजन के बीज 100 ग्राम
7: निरगुण्डी 100 ग्राम
8: कीकड़ की फली 100 ग्राम
सभी समान मात्रा में लेकर कूट कर छान लें।
सेवन विधि : सुबह खाली पेट एक चम्मच चूर्ण गर्म जल से,रात्रि में सोने के समय एक चम्मच गर्म जल से यह प्रयोग कम से कम तीन माह तक अवश्य करें लाभ होगा।

20 Sep 2020

जोड़ों की तकलीफ का आयुर्वेद द्वारा इलाज

जोड़ों की तकलीफ का आयुर्वेद द्वारा इलाज { Ayurveda Remedies for Joints Problem } _
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योगी योगानंद { अध्यात्म और योग गुरु },
1. मैथी का पाउडर सुबह दो चम्मच गर्म पानी के साथ दो माह तक लेने से जोड़ो की तकलीफ ठीक हो जाती है और बुढ़ापे में भी घुटने नहीं दुखते |
2. सबेरे तीन चार अखरोट खाने से घुटनों की तकलीफ हमेशा को ठीक हो जाती है |
3. नारियल की गिरी दो तीन माह तक लगातार खाने से जोड़ों की कैसी भी तकलीफ ठीक हो जाती है |
4. दो माह तक बथुआ के पत्तों का 20 ग्राम रस सुबह शाम पीने से गठिया ठीक हो जाता है |
5 नागोरी असगंध और खांड समान मात्रा में लेकर पाउडर बना ले, और चार ग्राम सुबह शाम गर्म दूध से लें , बिस्तर पर पड़ा गठिया का मरीज भी उठकर चलने लगता है |
6 . एक चम्मच मैथी दाना एक गिलास पानी में उबले, आधा रह जाये तो उसमे, गुड़ और हल्दी स्वाद अनुसार मिलाएं , ऐसे एक माह तक पीने से घुटनों का असहनीय से असहनीय दर्द ठीक हो जाता है |
7. हरे आवलो का 20 ग्राम रस समान मात्रा में शहद में मिलकर सुबह दो माह तक लेने से टेढ़े मेढ़े घुटने भी सीधे हो जाते है और जोड़ों की अकड़न भी पूरी तरह ठीक हो जाती है |
8. अगर जोड़ों में गैप आ गया है और दर्द रहता है तो 6 ग्राम विजयसार की छाल की चाय बनाकर 3 माह तक पीने से पूरी तरह ठीक हो जाती है |
9. खिरेंटी { sida cardifolia } की जड़ का पेस्ट बनाकर जोड़ों पर बांधने से जोड़ो की तकलीफ ठीक हो जाती है |
10 . लेपीडियम सटाइवम के बीजों का तेल जोड़ों पर हलके हाथ से मालिस करने से जोड़ों की समस्या ठीक होती है |
11. दो दो चम्मच एलोवेरा का जूस सुबह शाम लेने से जोड़ो की तकलीफ ठीक हो जाती है |
12. करंजवा के बीजो का तेल प्रभावित अंग पर मालिस करने से जोड़ो की तकलीफ ठीक होती है
13. पीपल के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने और प्रभावित अंग पर उससे मसाज करने से लाभ मिलता है
14. युक्का (Yucca) की जड़ों का काढ़ा बनाकर पीने से जोड़ों की तकलीफ ठीक होती है
15. केस्टर आयल गर्म पानी में डालकर उससे मसाज करने से जोड़ों की तकलीफ ठीक होती है
16. चुकंदर का जूस हर दिन पीने से आर्थराइटिस के मरीज को बहुत लाभ होता है
17. एप्सम साल्ट गुनगुने पानी में डालकर उसमें २० मिनिट तक पैर डालकर बैठने से कुछ दिन में ही सूजन और दर्द ठीक हो जाता है
18. प्रतिदिन इप्सम साल्ट के पानी से नहाने से शरीर के हर प्रकार के दर्द दूर होते है
19. दर्द वाले स्थान पर कागज के टेप में मैथी के बीज चिपकाकर ३ – ४ दिन लगाने पर ही आराम मिल जाता है
20. सहजन के फूलों का पाउडर बनाकर सुबह शाम एक एक चम्मच २ माह तक लेने से बुढ़ापे में भी जोड़ दर्द नहीं करते है |
21. हरसिंगार के फूलों का पाउडर बनाकर सुबह शाम एक एक चम्मच खाने से जोड़ों की समस्या हमेशा के लिए ठीक हो जाती है |
22. ज्वारे का जूस प्रतिदिन पीने और सूती कपडे में भिगोकर जोड़ों पर कुछ देर तक सुबह शाम रखने से तकलीफ 2 माह में पूरी तरह ठीक हो जाती है |
23. आजमोद के बीजों को पीसकार प्रभावित स्थान पर लेप करें
24. एक चम्मच दालचीनी , एक चम्मच शहद के साथ सेवन करने से बहुत अच्छे परिणाम मिलते है
25.. दो कालिया लहसुन और इस लोंग सुबह खाली पेट खाने से दर्द में राहत मिलती है
26. यूकेलिप्टस का तेल प्रभावित अंग पर सुबह शाम मालिस करें
27. प्रतिदिन सुबह खाली पेट लहसुन , धनिया , जीरा , टमाटर , ककड़ी , चुकंदर , नीबू का जूस बनाकर पीने से बहुत फायदा मिलता है
28. घी के साथ गिलोय आधा आधा चममच सुबह शाम लेने से जोड़ों की तकलीफ कुछ दिन में ही दूर हो जाती है |
29 . कपालफोटि की पत्तियां , आधा चम्मच जीरा , दो काली मिर्च, एक टुकड़ा अदरक तीन गिलास पानी में उबालें, जब एक गिलास बचे तो दिन भर घूंट घूंट पीने से आर्थराइटिस ठीक होता है
30 . बबुनाह का तेल, यूकेलिप्टस का तेल , लेवेंडर तेल , पिपरमेंट , रोजमेरी सभी का तेल समान मात्रा में मिलाकर दिन में तीन बार मसाज करने से आर्थराइटिस में फायदा होता है
31 . एक चम्मच भोजपत्र , एक चम्मच कनफूल , एक टुकड़ा अदरक डालकर उबालें, आधा कप सुबह खाली पेट पीने से जोड़ों की समस्या ठीक होती है |
32 . बखनाख , शैलरी , भोगबीन, का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार पियें |
33 . बबुनाह तेल, लेवेंडर तेल और लौंग का तेल दो -दो बून्द मिलाकर दर्द वाले स्थान पर लगाने से दर्द ठीक होता है
34 . सरसों का तेल , अदरक पाउडर , मकोय का जूस एवं सीसम का तेल का पेस्ट बनाकर प्रभावित स्थान पर लगाने से कुछ समय में तेजी से सुधार होता है |
35 . कपूर में नारियल का तेल मिलाकर जोड़ों पर मसाज करें., लाभ होगा |
36 . अदरक के पाउडर में सिरका मिलाकर, पेस्ट बनाकर लेप लगाए |
37 . एक कप के जूस में एक चम्मच अजवाइन मिलाकर, दिन में एक बार पिये |
38 . हरड़ , अजवाइन , अदरक सभी का पाउडर समान मात्रा में लेकर सुबह शाम एक एक चम्मच गर्म पानी से लेने से अद्भुत लाभ मिलता है |

20 Sep 2020

जोड़ों की समस्या – जल चिकित्सा द्वारा उपचार

जोड़ों की समस्या – जल चिकित्सा द्वारा उपचार Cure joints problem through Water Therapy – Yogi Yoganand
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योगी योगानंद { अध्यात्म ,योग गुरु एवं प्राकृतिक चिकित्सक }

संसार में जितनी भी चिकित्सा पद्धतियां हैं उनमें जल चिकित्सा सबसे प्राचीन है। प्राकृतिक, आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों में इसका काफी महत्ता बताई गई है। अब तो इसे एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में भी अपनाया जा रहा है। जापान में तो जल चिकित्सा पद्धति काफी लोकप्रिय है। तथा अनेक रोगों का उपचार इससे किया जा रहा है। यह किसी औषधि से कम नहीं है।जल प्रकृति का अनुपम और अनमोल उपहार है। यदि धरती पर जल नहीं होता तो आज जीवन संभव नहीं होता। जल केवल प्यास बुझाने की वस्तु मात्र नहीं है। अपितु यह जीवनदाता है यानि इंसान की मूल जरूरत है। इसके बगैर एक सप्ताह भी जिंदा रहना मुश्किल है। हमारे शरीर में 70 प्रतिशत जल का भाग है। यही कारण है कि इसकी कमी जहां अनेक रोगों का कारण बनती है, वहीं इसकी समुचित मात्रा रोगों से निजात दिलाती है।
संसार में जितनी भी चिकित्सा पद्धतियां हैं उनमें जल चिकित्सा सबसे प्राचीन है। प्राकृतिक, आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों में इसका काफी महत्ता बताई गई है। अब तो इसे एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में भी अपनाया जा रहा है। जापान में तो जल चिकित्सा पद्धति काफी लोकप्रिय है। तथा जोड़ों की समस्या का उपचार इससे किया जा रहा है। यह किसी औषधि से कम नहीं है।

जल को आप साधारण वस्तु न समझें। क्या आप जानते हैं कि यह हमारे शरीर को किस तरह से स्वस्थ और निरोगी रखकर दीर्घायु बनाता है।

1. बच्चों के सूखा रोग में प्रतिदिन ठंडे जल से स्नान कराने से लाभ होता है।

2. जल हमारे शरीर शुद्धिकरण के लिए आवश्यक है। इसके अभाव में विजातीय तत्व शरीर से बाहर नहीं निकल पाते। पसीना और मूत्र तभी बनेगा जब आप पानी पिएंगे।
3. पानी का समुचित मात्रा में सेवन करने से खाए गए पोषक तत्वों का अवशोषण होता है।

4. मोटापे से परेशान हो तो पानी डटकर पिएं। इससे पेट भरा-भरा लगता है और शरीर को खाद्य सामग्री की जरूरत कम पड़ती है।
5. गठिया रोग में भी जल का सेवन बहुत लाभदायक है। इससे रक्त में व्याप्त अशुद्धियां बाहर निकल जाती हैं।

6. तांबे के बर्तन में रात भर रखा पानी सुबह पीने से पेट संबंधी रोगों का नाश होता है।
7. रक्त को तरल व गतिशील बनाए रखने में जल विशेष उपयोगी है।
8. पर्याप्त मात्रा में जल पीने से ही शरीर की हड्डियां और जोड़ क्रियाशील रहते हैं।

9. शरीर को जल की आवश्यकता प्राकृतिक बात है। यदि आप पानी नहीं पिएंगे तो जल की पूर्ति आपके रक्त, मांसपेशियों और विभिन्न कोशिकाओं से होती हैं। इससे अन्य शारीरिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
10. जल में प्राकृतिक रूप से रोगों से लड़ने की शक्ति होती है। जो लोग समुचित मात्रा में जल का सेवन करते हैं वे रोगाणुओं के हमले से बचे रहते हैं।
11. जल के सेवन से शरीर की नाड़ियां उत्तेजित होती हैं तथा मांसपेशियां संकुचित।
12. जल की कमी से जोड़ों को आधार प्रदान करने वाली गद्दियों (CARTILAGE)में लचीलापन समाप्त हो जाता है थथा वे सिकुड़ जाती हैं।
13. जल का सेवन नए ऊतकों के निर्माण में सहायक होता है तथा उन्हें सुरक्षात्मक कुशन प्रदान करता है।
14. शरीर में लगातार मेटाबोलिक क्रिया चलती रहती है जिसमें पानी की लगातार जरूरत होती है। इन्हीं क्रियाओं के फलस्वरूप हमें एनर्जी मिलती है। प्रातःकाल पिया गया पानी उषापान कहलाता है। इससे मनुष्य के यौवन और आयु में वृद्धि होती है।
15. जो लोग पानी कम पीते हैं उनकी
हड्डियां कमजोर होती है।
16. घूंट घूंट पानी पीने से मुंह में लार और थूक बनता है। लार पाचन क्रिया में महत्वपूर्ण योगदान देती है।

17. यदि पैरों में सूजन आ गई हो तो गर्म पानी में थोड़ा सा एप्सम साल्ट डालकर उसमें पैर डुबोकर रखें l
18. यदि कमर या पीठ दर्द सताए तो गर्म पानी की थैली से सिकाई करने से लाभ होता है।
19. एप्सम साल्ट पानी से नहाने से गठिया के दर्द में राहत मिल सकती है।हाल में हुए शोध से पता चलता है कि उच्च सांद्रता वाले नमक के घोल के सूजन के कारण फैली कोशिकाओं को राहत मिलती है और इससे किसी तरह का साइड इफेक्ट भी नहीं होता है।

20. यदि दर्द की शिकायत हो तो रात को सोते समय तथा सुबह उठने के बाद गर्म जल का सेवन करना चाहिए।
21. जोड़ों की समस्या की शिकायत हो तो सूर्य तापित जल का सेवन करना चाहिए।

20 Sep 2020

जोड़ों की समस्या का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार {प्रथम भाग- मिटटी से उपचार

जोड़ों की समस्या का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार {प्रथम भाग- मिटटी से उपचार }
–योगी योगानंद
{ अध्यात्म ,योग गुरु एवं प्राकृतिक चिकित्सक }
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प्रकृति ने हमारे उपचार की वस्तुएं हमारे आस पास ही उपलब्ध कराई हुयी है | आज हम आपको जोड़ों के उपचार की प्राकृतिक विधियां बताने जा रहे है, जो इतनी कारगर है कि जहाँ सारी चिकित्सा पद्धतियां असफल हो जाती है, वहाँ प्राकृतिक चिकित्सा शरीर को शुद्ध करके जीवन भर के लिए निरोग बना देती है, मेने प्राकृतिक चिकित्सा की पढाई के दौरान एडवर्ड जस्ट की पुस्तक ” Return to Nature “{ जो आपको भेजी जा चुकी है } तथा गाँधी जी की पुस्तक कुदरती उपचार { जो आपको भेजी जा रही है } पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | एडवर्ड जस्ट की पुस्तक को पढ़कर गाँधी जी ने चार साल पुरानी कब्ज की बीमारी पेट पर मिटटी रखकर एक दिन में ठीक कर ली, जबकि गाँधी जी, कब्ज की बीमारी के लिए चार साल से दवाये ले रहे थे |
मैंने प्राकृतिक चिकित्सा की पढाई के दौरान ही हजारों जोड़ों के मरीजों को मिटटी की पट्टी रखकर ही 10 – 15 दिन में ठीक किया है | अधिकांश मामलों, में तीन दिन में ही मरीज को दर्द से 50 प्रतिशत तक मुक्ति मिल गयी | परन्तु याद रखे इस चिकित्सा में शुरू में मरीज़ को पहले से अधिक तकलीफ हो सकती है | ऐसा शरीर से विजातीय तत्वों के निष्कासन और सुधार की प्रक्रिया शुरू होने के कारण होता है | अगर आप
जोड़ो के निम्न लिखित विकारों से पीड़ित है, और नीचे लिखे लक्षण दिखाई देते है, तो मिटटी चिकित्सा आपकी सारी समस्याओ का समाधान है |

जोड़ों के वे विकार जिनमें मिटटी चिकित्सा अत्यंत कारगर है —-

Arthritis जोड़ों में दर्द व सूजन।

Osteoarthritisऑस्टियोआर्थराइटिस-जोड़ों व कार्टिलेज का घिस जाना ।

Gout गठिया जोड़ों में गाँठ बन जाना।।

Rheumatoid Arthritis (RA)रुमेटाइड आर्थराइटिस- हड्डियां घिसना या जोड़ों में विकृति,ऑटोइम्यून बीमारी।

Bursitis बरसाइटिस – जोड़ों की जलन होना ।

Ankle pain and Tendinitis टेंडिनाइटिस- टेंडोन के घिसने से दर्द।

ऑस्टियोमाइलाइटिस Osteomyelitis- हड्डियों का संक्रमण।

कोनड्रोमालाशिया पेटेलै Chondromalacia patellae- घुटनों के भीतर स्थित कार्टिलेज का घिसना।

स्पोंडिलोसिस Spondylosis- रीढ की हड्डी में घिसावट।

Osteoporosis ओस्टिओपोरेसिस- हड्डियों का घनत्व व वजन कम होना व कमजोर होना |
इन बीमारियों में आपको नीचे लिखे लक्षण देखने को मिलेंगे |
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सुबह उठते ही ऐड़ी में दर्द, चलना मुश्किल ।

कमर, कंधे व पूरे शरीर में जकड़न।

कलाई में जकड़न।

विभिन्न जोड़ों में दर्द।

रात में सोते समय पैरों में दर्द की लहर चलना।

जीना चढते समय, भारी काम करते समय जोड़ों में कट-कट की आवाज।

हाथों को कंधों से ऊपर करने में या कमर से नीचे झुकने में दर्द,।

जोड़ों में लालिमा व सूजन आना।

हाथ पैरों के रूप में टेढापन या विकृति।

जोड़ों की गतिशीलता में कमी।

चलने में दर्द होना।

हड्डियाँ कमजोर होना, हलकी से चोट से हड्डी फ़्रैक्चर होना।

फ़्रैक्चर हड्डियों को जुड़ने व ठीक होने में अधिक समय लगना।

एक जगह पर लंबे समय बैठने या लेटने से हड्डियों में जकड़न।

उंगलियों, पैर, कोहनी, एडी और कलाई के पास गांठ बनना।

रीढ की हड्डी में दर्द व जकड़न, गर्दन में दर्द व जकड़न।

टांग, बाजू, पैर और हाथ में सुन्नता, झुनझुनी आना |

आज हम बताने जा रहे है, चमत्कारी मिटटी के अद्भुत प्रयोग | मिट्टी का अर्थ है, मिटाना , अर्थात सारे रोगों को जड़ से मिटा देना , इसलिए इसे सर्वरोगहारी भी कहते है , भागवत पुराण के अनुसार राजा पृथु ने पृथ्वी को समतल करके उससे सब प्रकार की औषधियों का दोहन किया था | मानव शरीर और पृथ्वी में अद्भुत समानता है, शरीर में 70 प्रतिशत पानी है, पृथ्वी में भी 70 प्रतिशत पानी है, इसलिए पृथ्वी को रसा भी कहते है, शरीर पञ्च तत्त्व से निर्मित है, पृथ्वी भी पञ्च तत्त्व से बनी है, इसलिए ऐसे धरा कहते है, वैज्ञानिक दृष्टि से शरीर में 24 खनिज तत्व पाए जाते है, यही सब तत्व पृथ्वी में भी समाहित है, इसलिए पृथ्वी को रत्नगर्भा कहते है, मानव शरीर , और पृथ्वी ही नहीं वल्कि ब्रम्हाण्ड भी समान पदार्थों से बना हुआ है, इसलिए वेदों में कहा गया है, “”यथा पिण्डे तथा ब्रम्हांडे | “” ब्रम्हवैवर्त पुराण के अनुसार “” सर्वाधारे सर्व बीजे सर्व शक्ति समन्विते |
सर्व काम प्रदे देवि सर्वेष्ट देहिमे धरे ||
अर्थात मिटटी सबका आधार ,सबका बीज़ ,सब प्रकार की शक्तिवाली तथा सारी इच्छाओ को पूरा करने वाली है | पृथ्वी तीन प्रकार से व्यक्ति का इलाज करती है
1. शरीर से विजातीय { विषैले } पदार्थों को बाहर निकलना |
2 . शरीर में उन पदार्थों की पूर्ति करना जिनकी कमी से कोई कमज़ोरी या रोग उत्पन्न हुआ है |
3 .शरीर में प्राण शक्ति { जीवनी शक्ति } की पूर्ति करना |
मिट्टी के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है , मानव को भोजन , पानी , ऑक्सीजन , आवास , वस्त्र सब कुछ पृथ्वी से ही हमें प्राप्त होता है, अर्थात पृथ्वी हमारी माँ है, जिससे हमने दूरी बना ली है , हम कभी मिट्टी पर नहीं लेटते , कभी नंगे पैर जमीन पर नहीं चलते और न ही उसका शरीर से स्पर्श होने देते है, आज का सभ्य कहा जाने वाला मानव , अज्ञानी ,निरा मूर्ख और अनेक बीमारियों से पीड़ित होकर अपने आप को अस्त व्यस्त और त्रस्त महसूस कर रहा है, जितना इलाज किया जा रहा है, समस्या और अधिक उतनी बढ़ती जा रही है, और मानव अपने को बिमारियों के सामने पूर्णता असहाय महसूस कर रहा है, जबकि सामान्य बुद्धि के जीव जन्तु पृथ्वी के संपर्क में रहते हुए , बिना दवा , अस्पताल और डॉक्टर्स के हमसे ज्यादा स्वस्थ, दीर्घजीवी ,सुखी और निरोग है | जिन्हे हम जानवर कहते है, वे कभी बीमार नहीं पड़ते , और अगर पड़ते है, तो पृथ्वी पर लेटकर अपनी बीमारी तुरंत ठीक कर लेते है | सबसे शक्तिशाली घोड़ा है, इसलिए उसी के नाम पर ऊर्जा को हॉर्स पावर में मापते है, |
जबकि गेंडा और हाथी सबसे ज्यादा बलशाली होते है | जिसे हम गधा कहते है, वह भी अपनी थकान और तनाव को तुरंत ठीक करने का तरीका जानता है , जब गधे को दिनभर काम कराने के बाद छोड़ते है, तो वह 3 – 4 जमीन में लोट लगाता है, जिसे गधालोट कहते है, इससे उसको थकान और तनाव से तुरन्त मुक्ति मिल जाती है | आज का सभ्य कहा जाने वाला मानव प्रकृति का स्वामी बनने की चेष्टा कर रहा है , जिस प्रकार मृग अपनी नाभि में बहुमूल्य कस्तूरी रखते हुए , उसकी खोज में इधर -उधर भटकता है, और दुःखी होकर अंत में मर जाता है, उसी तरह अपने मद में चूर मानव मिट्टी जैसी निशुल्क सर्व सुलभ , और चमत्कारिक निशुल्क औषधी के होते हुए महँगी ,दुर्लभ ,विषैली हानिकारक औषधियों के पीछे भेड़चाल चलता हुआ , नागपाश में फसता चला जा रहा है |

मिट्टी के चमत्कारिक गुण =
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1. रोगनाशक शक्ति –
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मिटटी में अद्भुत रोगनाशक शक्ति होती है, जैसा हम सब जानते है, हमारा शरीर पञ्च तत्वों से मिलकर बना है, जिसमें पृथ्वी तत्त्व सबसे ज्यादा है, इसी तत्त्व से हमारी हड्डियां , बाल, नाख़ून , त्वचा आदि का निर्माण हुआ है, इसीलिए जोड़ों में आया गेप , कार्टिलेज का ख़राब हुआ, लिगामेंट का टूटना , हड्डियां में कैल्शियम की कमी होना, जैसी बीमारियां मिटटी से तुरंत ठीक होने लगती है, | गाँधी जी कहा करते थे, मिटटी के पुतले को मिटटी से ही ठीक किया जाना चाहिए | किसी भी अंग के क्षतिग्रस्त होने पर मिटटी रूपी संजीविनी से ही फिर से निरोग किया जा सकता है |
2. त्रिदोष नाशक –
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हमारी महान परंपरा आयुर्वेद के अनुसार सभी बीमारियों का कारण त्रिदोषों का असंतुलन है , जिसमें जोड़ों की 90 प्रतिशत समस्याएं वातदोष के प्रकुपित होने के कारण होती है | मिटटी से बने मकान भयंकर आँधियों में भी नहीं गिरते , जैसे मिटटी वायु के भयंकर झंझावातों को सहन कर लेती है, उसी प्रकार मिटटी शरीर में उत्पन्न हुए सभी वायु विकारों को शांत करके शरीर को निरोग बनाती है |
3. दर्द नाशक गुण –
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मिटटी शरीर में स्थित किसी भी प्रकार के दर्द को समाप्त करके निरोग प्रदान करती है , डॉ. लिंडलहार के अनुसार “मिटटी त्वचा के रोम कूपों को खोलती है, रक्त संचार को संतुलित करती है, अंदर के दर्द और रक्त संचय को दूर करती है, और विजातीय द्रव्य को बाहर निकालती है |” डॉ. जे. एच. केलांग ने सन्धिवात जैसे जटिल रोग में मिटटी के प्रयोग की जोरदार सिफारिश की है |

4. विष अवशोषण का गुण –
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मिटटी में विषैले पदार्थों को अवशोषित करने का अनोखा गुण विद्यमान है, जोड़ों में एकत्रित हुए यूरिक एसिड और अन्य जहरीले पदार्थों को मिटटी खींच कर बाहर निकाल देती है, महात्मा गाँधी ने कहा था, — मिटटी के अंदर जहर खींच लेने की अद्भुत शक्ति है | ”’ कुछ समय पहले की बात है, मेरे विश्वविद्यालय अटल बिहारी बाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल में एक गार्ड {जिनका नाम मुझे याद नहीं } मेरे पास आये और बोला कि गुरूजी मेरी माताजी की दोनों किडनी ख़राब हो गयी है, और अभी एक डॉयलेसिस भी हो गयी है, आप कोई उपाय बताये, जिनसे मेरी माताजी जी ठीक हो जाएँ, मेरी आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है, कि में उनका लम्बे समय तक इलाज करवा सकूँ | मैंने कहा कि आप उनको कहे कि हर दिन 30 मिनिट नंगे पैर मिटटी में चलें , तब वह बोला कि गुरु जी यह तो आपने बहुत सस्ता , सर्व सुलभ निशुल्क उपचार बता दिया , मैंने हाँ में सिर हिलाया और वहां से चला गया , एक माह बाद गार्ड मेरे पास दौड़ता हुआ आया और बोला गुरु जी, चमत्कार हो गया , मेरी माँ सिर्फ मिटटी में सुबह शाम नंगे पैर चलने से पूरी तरह स्वस्थ हो गयी और अब डॉयलेसिस की जरुरत भी नहीं, और सारी रिपोर्ट्स नार्मल आ गयी है |
5. ऊष्मा अवशोषण गुण –
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मिटटी में ऊष्मा अवशोषण का गुण पाया जाता है , जिनको जोड़ों में जलन पड़ती है , वे मिटटी की पट्टी रखने से ठीक हो जाते है |
6. चुंबकीय गुण –
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पृथ्वी मेग्नेट थेरेपी का भी काम करती है, मिटटी चिकित्सा से रक्त संचार में सुधार होता है, जिससे ऑक्सीजन शरीर के हर अंग तक पहुँचता है, और विकार दूर होकर शरीर स्वस्थ होता है |

निम्न लिखित विधियों के माध्यम से आप जोड़ों की तकलीफ को पूर्णत ; ठीक कर सकते है |
1. मिटटी के बिस्तर पर सोना — मिटटी के बिस्तर पर सोने से शरीर में पञ्च तत्वों की पूर्ति हो जाती है, शरीर में प्राण ऊर्जा का प्रवाह बढ़ने से शरीर के समस्त रोग समाप्त हो जाते है |
2 . सर्वांग मिटटी लेप – किसी अच्छे स्थान की कंकड़ रहित मिटटी लेकर उसे कूटकर छानकर बारह घण्टे तक पानी में भिगोकर , मक्ख़न की तरह शरीर पर आधा इंच मोटी परत चढ़ा लें, फिर एक घंटे धूप में बैठे , फिर रगड़ रगड़ पर स्नान कर लें |
3. किसी जंगल या नदी के किनारे की चार फ़ीट नीचे की मिटटी निकाल लें, उसे कूट पीसकर छान लें, फिर दो दिन मिट्टी को धूप में सुखा कर , लेप तैयार करके प्रभावित अंग पर लगायें , एक घण्टे बाद धो लें, अगर ज्यादा तकलीफ है, तो बार बार 1 -1 घंटे के अन्तराल से यह प्रक्रिया दोहराएं |
4 . मिट्टी पर नंगे पैर चलना — सुबह- शाम जमीन पर लगभग 30 मिनिट तक नंगे पैर चलने से भूमि से शरीर को पञ्च तत्व मिलते है, शरीर को जो खनिज पदार्थ की जरुरत होती है, वह शरीर खुद ले लेता है |शरीर में प्राण ऊर्जा का संचार तेज होने लगता है, प्राण शक्ति सारी व्याधियाँ ठीक कर देती है , शरीर से विषैले पदार्थ मिट्टी खींच लेती है फलस्वरूप शरीर शुद्ध होने से स्वत ; ठीक हो जाता है |

20 Sep 2020

जोड़ों की समस्या – तेल मालिश से उपचार

जोड़ों की समस्या – तेल मालिश से उपचार
 योगी योगानंद
, जोड़ों के उपचार में विभिन्न आयुर्वेदिक तेलों का निर्माण और प्रयोग की विधियों की , आप किसी भी एक विधि का प्रयोग करके अपनी समस्या को दूर कर सकते है, सभी की अलग अलग समस्या होने से कभी कभी एक विधि से सभी को समान परिणाम प्राप्त नहीं होते , आप अपनी समस्या हमें भी लिख सकते है |
विभिन्न विधियाँ —
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1 . लहसुन की कलियों को सरसों के तेल के साथ कुचलकर गर्म किया जाए और कपूर मिलाकर जोड़ों या दर्द वाले हिस्सों पर लगाकर मालिश की जाए तो बहुत जल्दी आराम मिलता है। लहसुन के एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण पाए जाते है, जो तुरंत असर दिखते है |
2. पारिजात की 6-7 ताजी पत्तियों को अदरक के रस के साथ कुचलकर , शहद मिलाकर मालिश किया जाये तो जोड़ दर्द में काफी आराम मिलता है।
3 . आक की पत्तियों को सतहों पर सरसों के तेल को लगाकर आँच पर सेंका जाए और दर्द वाले हिस्सों पर इससे हल्की सेंकाई की जाए तो जोड़ों के दर्द में तुरंत आराम मिलता है।
4 . शरीर की मालिश के लिए नीलगिरी का तेल उपयोग में लाया जाए तो गम्भीर सूजन तथा जोड़ों में होने वाले दर्द से छुटकारा मिलता है |
5. लहसुन को सरसों के तेल में जलाकर उस तेल से जोड़ों की मालिश करे जल्दी आराम मिलेगा |
9. बर्फ को कपडे में लपेटकर जोड़ों के चारों तरफ हलके हाथों से रगड़ने से रक्त संचार ठीक होने से जोड़ों के दर्द से मुक्ति मिलती हैं |
10 . तिल के तेल से जोड़ों की मालिस करने के बाद थोड़ी देर घूप में बैठने से दर्द से राहत मिलती है |
11 . सहजन के फूलों को तिल के तेल में जलाकर मालिश करने से जल्दी दर्द दूर होता है |
12 . मैथी दाने को सरसों के तेल में जलाकर मालिश करें, जल्दी आराम मिलेगा |
13 . कच्चे आलू को पीसकर जोड़ों पर लेप लगाने से कुछ दिन में समस्या जड़ से समाप्त हो जाती है |
14 . अरंडी के तेल में खीरा के बीज और लहसुन की कालिया पीसकर मिला लें , फिर इसे तेल में इतना उबालें की दोनों जल जाएँ, फिर छानकर प्रभावित स्थान पर मालिश करे |

20 Sep 2020

जोड़ों की समस्या का घरेलु इलाज

जोड़ों की समस्या का घरेलु इलाज
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पानी में छिपा आपकी रोग मुक्ति का रहस्य – भाग एक
योगी योगानंद { आध्यात्म और योग गुरु }

1. पानी से इलाज –
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अगर आप खड़े होकर ,गट -गट करके जल्दी जल्दी पानी पीते है, तो आपको घुटनों के दर्द के साथ अनेक प्रकार की बिमारियों से ग्रसित होने की प्रबल सम्भावना है, और विश्व का कोई भी व्यक्ति आपको ठीक नहीं कर सकता, हम स्वयं अपने मित्र और शत्रु है | हमारे शरीर के भार का 70 प्रतिशत भाग जल का होता है, आपने कभी गौर किया कि जो हम पानी पीते है, वो हमारे लिए कही जहर का कार्य तो नहीं कर रहा है | अगर अभी तक बेखबर रहे है तो अब खबरदार हो जाएँ ,| दूसरे दिन मेने बताया था, कि हमारा भोजन दो प्रकार का होता है, पहला ऐसिडिक अर्थात तेजाबी और दूसरा अल्कालाइन अर्थात छारीय |
नॉवेल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक डॉ. ओट्टो वानवर्ग लिखते है, कि घुटनों की समस्या , कैंसर सहित 1000 प्रकार की बीमारियाँ ऐसिडिक भोजन से ही उत्पन्न होती है |
भूमि के प्रदुषण , वृक्षों की अंधाधुंध कटाई और फ्लोराईड के कारण अनेक शहरो का पीने का पानी ऐसिडिक हो गया है, जो कैंसर सहित अनेक बीमारियों का कारण है,
{ हम जो पानी पीते है, वो ऐसिडिक है या एल्कलाइन इसकी जाँच की बहुत सरल विधि है, और घर में ही आप कैसे एल्केलाइन वॉटर बना सकते है, इसकी कभी हम बाद में चर्चा करेंगे }
प्रकृति ने ऐसी व्यवस्था की है की अगर हम बैठकर ,घूट घूट पानी पीते है तो मुँह में उपलब्ध लार उसमे मिलकर उसे एल्कलाइन बना देती है, जिससे सभी प्रकार की बीमारियाँ स्वत; ठीक होने लगती है.| ऐसा करने से घुटनों की तकलीफ एक सप्ताह में 2 5 से 30 प्रतिशत तक कम हो जाती है |

2 . दूसरी विधि – जल को दिव्य औषधि बनाना–
जल एक जीवित वस्तु है , जिसे आप दिव्य औषधि बना सकते है | यह हमारे धार्मिक ग्रन्थों में सदियों से वर्णित है | परन्तु जापान के वैज्ञानिक मसारू इमोटो में वैज्ञानिक आधार पर इसे सही साबित कर दिया , उन्होंने पानी के सामने अच्छे अच्छे शब्द कहे पानी से सामने प्रार्थना की और देखा की पानी की क्रिस्टलीय संरचना हीरे के समान चमकदार हो गयी , और इस पानी को पीने से अनेक प्रकार की बीमारियाँ ठीक हुयी , जबकि दूसरी ओर पानी के सामने निरर्थक शब्द कहे और देखा की पानी की संरचना बहुत ख़राब हो गयी | { इसका वीडियो आपको भेजा जा रहा है } अगर आप भी पानी के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करें , और अपनी बीमारी से मुक्त करने का आग्रह करे तो इसके चमत्कारिक परिणाम आपको देखने को मिलेंगे | जब हम प्रार्थना करते है तो हमारी हथेलियों से प्रति सेकंड 36 सर्किल प्राण ऊर्जा निकलने लगती है जो सामान्य अवस्था में 4 सर्किल प्रति सेकंड निकलती है | यह ऊर्जा हमारे शरीर में प्रवेश करके शारीरिक , मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ बनाती हैं |

3 . घुटनों में लिक्विड समाप्त हो जाना –
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एक कप गुनगुने पानी में तीन चम्मच एप्पल साइडर विनेगर तथा 1 चम्मच शहद मिलकर ४० दिन तक दिन में तीन बार पीने से घुटनों में समाप्त हुआ सायनोवियल फ्लूड बनना शुरू हो जाता है |

4 . घुटनों में सूजन आना
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– भोजन में दालचीनी, जीरा, अदरक और हल्दी का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करें। गर्म तासीर वाले इन पदार्थों के सेवन से घुटनों की सूजन और दर्द कम होता है।
5 . घुटनों में गर्माहट रहना या जलन पड़ना –
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मेथी दाना, सौंठ और हल्दी बराबर मात्रा में मिला कर तवे या कढ़ाई में भून कर पीस लें। रोजाना एक चम्मच चूर्ण सुबह-शाम भोजन करने के बाद गर्म पानी के साथ लें।
6 . कार्टिलेज का टूटना या घिस जाना –
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रोज सुबह खाली पेट, तीन चम्मच देसी चना , एक चम्मच मेथी अंकुरित करके खाने से कार्टिलेज की समस्या का समाधान हो जाता है | आप
सुबह खाली पेट लहसुन की एक कली दही के साथ खाएं।
अलसी के दानों के साथ दो अखरोट की गिरी सेवन करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
7 . घुटनों में गैप आना
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गेहूँ के दाने के आकार के बराबर चूना दही या दूध में घोलकर दिन में एक बार खाएं। इससे अगर घुटनों की तकलीफ नई नई है तो 6 -7 दिन में ही घुटनों का दर्द ठीक हो जाता है, अगर ज्यादा समय से समस्या है तो इसे 90 दिन तक लेने से कैल्शियम की कमी दूर होगीऔर घुटनों में आया गैप प्राकृतिक रूप से ठीक होगा |
8 . लिगामेंट का टूट जाना – प्राण ऊर्जा से लिगमेंट का इलाज संभव है , अनेक मरीजों को तुरंत एक मिनिट में ही पूरी तरह ठीक होते देखा गया है |
9 . जोड़ों में कड़ापन आना – 50 ग्राम पालक , 50 ग्राम पार्शली पांच गाजर , एक आँवला , 10 ग्राम पुदीना , 50 ग्राम लौकी ,एक मूली , एक टमाटर को लेकर जूस बनाये , यह जोड़ों का कड़ापन ख़तम करके जोड़ो में लोचकता प्रदान करता है, और जोड़ो, से यूरिक एसिड को बाहर निकलता है |

20 Sep 2020

घुटनों की समस्या – शोधन तकनीक – चमत्कारिक परिणाम

घुटनों की समस्या – शोधन तकनीक – चमत्कारिक परिणाम
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यह प्रकृति का नियम है , कि मनुष्य की प्राणशक्ति { जीवनी शक्ति } उसे निरोग रखने के लिए किसी भी रूप में एकत्र हुए विषैले पदार्थों को बाहर निकालने की कोशिश करती रहती है |
संत विनोबा भावे के अनुसार रोग निवारण की दृष्टि से शोधन का प्रथम स्थान है , जिसे पंचकर्म ,या आधुनिक युग में प्राकृतिक चिकित्सा कहा जाता है | अम्लीय पदार्थों ,अनियमित जीवन शैली , व्यायाम का अभाव , मिलावटी भोज्य पदार्थों एवं कृषि में अंधाधुंध रासायनिक खाद और कीटनाशकों के प्रयोग के चलते शरीर में तेजी से विषैले पदार्थ एकत्रित हो जाते है, जो शरीर स्वाभाविक रूप से बाहर नहीं निकल पाता और ये जोड़ों , अस्थियों , रक्त में जमा हो जाते है, और जोड़ो की समस्या का कारण बनते है, यह हमारा दुर्भाग्य है, कि जो हम विदेशी चिकित्सा अपनाते है, उसमे शरीर के शोधन की कोई व्यवस्था नहीं है , उल्टा इनके पाए जाने वाले जहरीले केमिकल शरीर में और अधिक विषैले पदार्थ एकत्रिक करके और अधिक तकलीफ बढ़ा देते है डॉ.. रैम्जे ने लिखा है – वर्तमान चिकित्सा पद्धति अस्पस्ट , खोखली ,और असंगत कल्पनाओं का संग्रह मात्र हैं , हमारी कोई भी दवा किसी को भी लाभ नहीं पहुँचाती ,यही नहीं यह रोगों को और अधिक बदतर बना देती है , अगर सभी एलोपैथी दवाएं समुद्र में फेंक दी जाएँ, तो यह मानव जाति को सबसे ज्यादा हितकारी होगा, परन्तु समुद्री जीव जंतु जरूर मर जायेगे | हम अपने बाहरी शरीर की तो हर दिन सफाई करते है, परन्तु कभी आंतरिक सफाई पर ध्यान नहीं देते , आज में आपको ऐसी अद्भुत ,चमत्कारिक शोधन तकनीके { Cleanging Techniques } बताने जा रहा हूँ , जिनमे से किसी को भी आप अपनाकर कुछ ही दिनों में अपनी घुटनो की समस्या से छुटकारा पा सकते है |
शोधन तकनीक , योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा की प्रमुख विधि है, जिनके माध्यम से शरीर से विजातीय तत्वों को निकाल बाहर किया जाता है, इन्हें अपनाकर आप अपने घुटनों की समस्या ही नहीं, बल्कि सभी बीमारियों से निजात पा सकेंगे |
आप किसी भी तकनीक को अपना सकते है

पहली तकनीक –
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1 . नंगे पैर जमीन पर चलना —
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पृथ्वी में अद्भुत चमत्कारिक शक्ति है, इससे हमें प्राण वायु , भोजन , पानी ,आवास जैसी बुनियादी आवश्यक चीजें प्राप्त होती है, जिनके बिना जीवन संभव नहीं है, इस प्रकार ये हमारी माँ है, जिससे हमने दूरी बना ली है , आधुनिक जीवन शैली के चलते हम न तो जमीन पर बैठते है, न सोते है, और न ही संपर्क में रहते है, घरों को हमने सुन्दर सुन्दर टाइल्स से सजा कर रखा है , जिसके दुष्प्रभाव हमें बीमारियों के रूप में देखने को मिल रहे है, पृथ्वी पुरष्कार भी देती है और दण्ड भी | आपने कभी विचार किया कि हॉस्पीटल , डॉक्टर बढ़ते जा रहे है, हर दिन नयी-नयी दवाओं का अविष्कार हो रहा है, फिर भी बीमारियाँ कम होने की बजाय बढ़ती जा रही है, मतलब साफ है, हम अपनी जननी से दूर हो गए है, | प्रसिद्ध प्राकृतिक विज्ञानी एडवर्ड जस्ट जिन्होंने return to nature पुस्तक लिखीं { यह पुस्तक हिंदी में भी है, जो आपको ग्रुप में भेजी जा रही है } , जिसे पढ़कर गाँधी जी ने एक दिन मिटटी की पट्टी पेट पर रखी और उन्हें चार साल पुरानी कब्ज़ से एक बार में ही मुक्ति मिल गयी | एडवर्ड जस्ट लिखते है,कि दुनिया में 12600 प्रकार की बीमारियों की ख़ोज की जा चुकी है, जिनमे से 10,000{दस हजार }
प्रकार की बीमारियाँ पृथ्वी पर नंगे पैर चलने से ठीक हो जाती है |
आप प्रतिदिन 30 मिनिट नंगे पैर जमीन पर चले और खुद चमत्कार देखें , { मेरे तीन दिन में डायबिटीज { जिनकी शुगर कभी 500 से कम नहीं होती थीं } और 30 दिन में किडनी के मरीज { जिनकी डॉयलेसिस शुरू होने जा रही थी } ठीक होते देखे है |
पृथ्वी पर चलने से आपको तीन फायदे होगे
1 . पृथ्वी से पंच तत्व मिलेंगे , जिससे सभी प्रकार की बीमारियां ठीक होगी, क्योंकि पंच तत्त्व के असंतुलन से सभी बीमारियां होती है ||
2 . पृथ्वी पर नंगे पैर चलने से पृथ्वी सभी विषैले तत्व आपके शरीर से खींच लेगी , कोई भी सड़ी गली वस्तु पृथ्वी में गाड़ने से पृथ्वी उसे अपने जैसा अनमोल बना देती है |
3. पृथ्वी से प्राण ऊर्जा मिलती है, जो शरीर से सभी बीमारियों को समाप्त करके निरोग बनाती है |

Technique 2 –
एप्सम साल्ट { Epsom salt }-
एप्सम साल्ट {यह सेंधा नमक नहीं है ,इसे मैग्नेसियम सल्फेट के नाम से जानते है } इसको बाथ टब में गुनगुने पानी में मिलकर 20 मिनिट तक उसमे लेटकर नहाने से शरीर के विषैले पदार्थ निकल जाते है | अगर टब उपलब्ध नहीं है, तो एक बाल्टी में गुनगुना पानी भरकर उसमें एप्सम साल्ट ड़ालकर उसमे पैर डालकर बैठें ,और घुटनों पर लगातार गुनगुना पानी डालते रहें | अगर बाल्टी की भी सुविधा नहीं है, तो आप गुनगुने पानी में एप्सम साल्ट डालकर एक तोलिये को गीली करके उसे घुटनों पर रखकर जोड़ो को ठीक कर सकते है | नोट – एप्सम साल्ट आपको केमिस्ट की दुकान पर मिल जायेगा |

Technique 3
सेब साइडर सिरका (Apple Cider Vinegar) —
सेब का सिरका भी जोड़ों के दर्द से राहत देने में बहुत अच्छा असर दिखाता है। यह जोड़ों के दर्द और सूजन से राहत देता है। किसी कपड़े को सेब के सिरके में भिगोकर दर्द वाले स्थान पर लपेंटें और कुछ घंटों के लिए छोड़ दें। दिन में दो बार इस विधि को करें। दो कप सेब साइडर सिरका को गुनगुने पानी में डालकर नहाया भी जा सकता है। एक गिलास पानी में कच्चा सेब साइडर सिरका और शहद मिलाकर पीने से भी लाभ होता है।

Technique 4 —
शरीर को करे विषैले तत्वों से मुक्त
सामग्री :-
एप्सम नमक – Epsom Salts
बेंटोनाइट मिट्टी – Bentonite Clay
ACV – Apple Cider Vinegar
गर्म पानी
विधि :-
गर्म पानी में एप्सम नमक डाल दें |
जब तक पानी ठंडा हो रहा है दूसरी तरफ आप 2 चमच Bentonite clay और 1 चमच ACV मिक्स करे और इस मिश्रण की परत आपने पैरो पर लगाये और 10 मिनटों तक सूखने दें |

अब आपका नमक वाला पानी नार्मल तापमान तक आ गया होगा और अपने पैरो को इस पानी में 15 मिनटों तक भिगों कर रखें |
जब तक आप आपने पैरो को धोएंगे आपका शरीर विषैले तत्वों से मुक्त हो जाएगा |
आजकल की निष्क्रिय जीवन शैली के कारण हमारे शारीर में खून का संचालन कम होता है ख़ास कर टखनो, पांवों और टांगो के निचले हिस्से में | जिस के कारण बहुत सारे विषैले तत्व हमारे शरीर में जमा हो जाते हैं जो आगे चलकर बीमारियों की वजह बनते हैं |

Technique 5
क्लींजिंग पैड
इस समस्या का समाधान है पैरों के नीचे लगाने वाला क्लींजिंग पैड { Detoxifying pad} ये आपके शारीर में खून और लसीका के बहाव में मदद करता है , संवेदनशील बिंदुओं को उत्तेजित करता है और शरीर से विषैले तत्वों को सोख लेता है |
क्लींजिंग पैड {Detox Pad }चिपकाए जाने वाले पैड होते हैं जिन्हें आप शाम को सोने से पहले शरीर से विषैले तत्वों को निकलने के लिए पांव के नीचे लगा सकते हैं | आप ये पैड बाज़ार से भी खरीद सकते हैं मगर इनकी कीमत हमेशा कम नही होती दूसरा तरीका ये है के आप अपना फुट पैड (Foot Pad) घर में बनाये | Foot Detox
Detox पैड बनाने का तरीका:
• चिपकने वाला कपडे का पैड (Self-stick gauze pads)
लहसुन (garlic)
प्याज़ (onion)
पानी (water)
मोज़े (socks)
सबसे पहले लहसुन और प्याज़ को बारीक़ काट लें, एक केतली में थोड़ा सा पानी डालें और इसे उबाल लें, फिर लहसुन और प्याज डालें और फिर 10 मिनट के लिए और उबाल लें |
इस घोल को ठंडा होने के बाद चिपकने वाले कपडे के पैड (Self-stick gauze pads) पर डाल कर अपने पैरों के तलवों पर चिपका लें और ऊपर से मोजे पहन लें |
अगली सुबह आप प्रभाव देखेंगे, पैड आपके के शरीर के विषाक्त पदार्थों से काला हो जाएगा ।

क्लींजिंग पैड { Detox pad } के प्रभाव –
1. . विषाक्त पदार्थों का निष्कासन और शरीर की सफाई करता है, जिससे दर्द तेजी से काम होने लगता है |
2. पूरे शरीर पर रोग निवारक प्रभाव डालता है |
3. संवेदनशील बिंदुओं को उत्तेजित करता है |
4. शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है |
5. शरीर की कार्य प्रणाली को मजबूत बनाता है |
6. आप की जीवन शैली में बदलाव ला कर आप को ज्यादा उर्जा पर्दान करता है |
आप को बिमारियों से बचाता है |

Technique 6 निरामय साबुन
निरामय साबुन — आजकल बाजार में जो नहाने के साबुन उपलब्ध है, उनमे
लोरियल सल्फेट मिलाया जाता है, जो जानवरों की चर्बी से बनता है, ऐसी साबुन से नहाने पर त्वचा के रोम छिद्र इसकी चिकनाई से बंद हो जाते है, फलस्वरूप विषैले तत्त्व शरीर से बाहर नहीं निकल पाते , और जोड़ों की बीमारी का कारण बनते है, निरामय साबुन एक हर्बल जड़ी बूटियो और भस्मों से बनायीं गयी साबुन है, जिससे निम्न लिखित लाभ होते है
1. इस साबुन से नहाने से शरीर के विषैले तत्व बाहर निकल जाते है, |
2 . नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है | जिससे मानसिक लाभ होता है |
3. शरीर में प्राण ऊर्जा की बृद्धि होती है, जिससे शरीर की समस्त बिमारियों में लाभ मिलता है |
4 . शरीर के दर्द में फायदा मिलता है |
5 . त्वचा सम्बन्धी रोगों में फायदा मिलता है |
6. बालों का गिरना, डेन्ड्रफ , त्वचा का कालापन आदि में तुरंत लाभ मिलता है |

नोट – 1 शोधन विधियों को अपनाने के कुछ समय बाद आपकी पीड़ा बढ़ सकती है, ऐसा शरीर से विजातीय तत्त्व निकलने के कारण होता, इससे घबराये नहीं | यह ठीक होने का प्रथम लक्षण है |
2 . अगर आपको बताई गयी सामग्री को मिलने में कठिनाई महसूस हो तो बिना झिझक हमें लिखे, आपको सामग्री भेज दी जाएगी |

15 Sep 2020
Meditation

हड्डियों से कट-कट की आवाज आना

योगी योगानंद { अध्यात्म और योग गुरु }
अगर हड्डियों से कट-कट की आवाज आती है, यानि की चलते हैं, उठते हैं, बैठते हैं तो आपके घुटनों से, कोहनी से हड्डियों से आवाज आती है, तो क्या ये कोई बीमारी है या फिर ये सिर्फ एक वहम है, बहुत से लोगों को लगता है कि इस प्रकार की आवाज आने का मतलब है कि उनकी हड्डियाँ कमजोर हो चुकी हैं, तो आज हम आपको यही बताने वाले हैं कि आखिर सच क्या है।

यदि किसी बच्चे को या किशोर अवस्था में किसी की हड्डियों से आवाज आ रही है और उसे हड्डियों में कोई दर्द या परेशानी का अनुभव नही हो रहा है तो आप निश्चिन्त हो जायें, यह कोई समस्या नही है, न तो उसकी हड्डियाँ कमजोर है न ही उसे कैल्शियम की की कमी है, इतना जरूर है कि उसकी हड्डियों में वायु अधिक है, इससे हड्डियों के जोड़ों में एयर बबल्स बनते हैं और टूटते हैं जिससे कट-कट की आवाज आती है।

अगर इसका इलाज नही किया जाये तो बड़े होने पर समस्या हो सकती है, इसके लिए रात में आधा चम्मच मेथी दाना पानी में भिगो दें, और सुबह इन दानों को चबा चबा के खा लें और पानी पी लें, इससे एयर बबल्स की समस्या खत्म हो जाएगी।

यही समस्या अगर बढती उम्र में हो और हड्डियों में दर्द भी हो, तो इसका कारण ये है कि हड्डियों के जोड़ों में लुब्रिकेंट की कमी हो चुकी है, इसके लिए भी मेथी दाना वाला उपाय तो करना ही है साथ ही कैल्शियम की कमी को भी पूरा करना है,

उपाय  —

1  हल्दी वाला दूध का सेवन जरूर कीजिये, इसके अलावा दिन में एक बार गुड़ और भुने हुए चने का सेवन करें, इससे हड्डियों की कमजोरी दूर होगी और कट-कट की आवाज आनी बंद हो जाएगी।
2 . दो सूखे  सिंघाडे रात में पानी में डाल दें और सुबह उन्हें खा जाएँ ऐसा ४० दिन  तक करने  से घुटनों की समस्या ठीक हो जाती है |
3 . घुटनों के गैप से छुटकारा पाने के लिए आप बबूल  के चूर्ण का प्रयोग कर सकते हैं। बबूल  में भरपूर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है जो शारीरिक कमजोरी के साथ-साथ हड्डियों की कमजोरी को भी दूर करता है और घुटनों का गैप भरने में सहायता करता है। हर रोज एक गिलास दूध में एक चम्मच बबूल के चूर्ण का सेवन करें।
4 . हड्डियों को दर्द से मुक्ति दिलाने में अखरोट बहुत ही कारगर सिद्ध हुआ है। यहां हर प्रकार के हड्डियों के दर्द को लगभग पूरी तरह से ठीक कर देता है साथ ही इसका नित्य सेवन करने से हड्डियों का गैप भी भरता है और शरीर को शक्ति मिलती है।
5. सहजन के पत्ते आपके घुटनों के गैप भरने में बहुत ही उपयोगी है। दो गिलास पानी में 10 ग्राम सहजन के पत्ते को उबालें। जब पानी एक-चौथाई चौथाई बचे तो इसे छान लें और सुबह खाली पेट इसका सेवन करें।
6 . शरीर में धातुओं की कमी, अस्थि की कमजोरी, शारीरिक कमजोरी और विटामिन बी 12 की पूर्ति के लिए सफेद मूसली का प्रयोग करें। सफेद मुसली अकेले ही इन सभी कमियों की पूर्ति करता है और शरीर को स्वस्थ बनाता है।
7 . निर्गुणी के पत्ते का काढ़ा भी शरीर में कैल्शियम की कमी को दूर कर घुटनों का गैप भरने में बहुत ही लाभदायक है। 20 ग्राम निर्गुंडी के पत्ते को दो गिलास पानी में तब तक उबालें जब तक एक चौथाई ना हो जाए। इसके बाद पानी को छानकर सुबह खाली पेट इसका सेवन करें।
8. हर रोज आधा कच्चा नारियल खाने से बुढ़ापे में भी कभी आपको घुटनों के दर्द का परेशानी नही होगी।
9 . पाँच  अखरोट प्रतिदिन खाली पेट खाने से आपके घुटने में कभी कष्ट नही होगा।
10.  रोज रात को सोने से पहले एक ग्लास दूध ने हल्दी डाल कर पीने से आपको हड्डियों में दर्द की समस्या से मुक्ति मिलेगी।एक दाल के दाने के बराबर थोड़ा सा चूना (जो आप पान में लगा कर खाते है) को दही में या पानी में मिला कर पीने से आपको हड्डियों में कभी दर्द नही होगा। चूने के पानी को हमेशा सीधे बैठकर ही पिए इससे आपको जल्दी आराम होगा। यह औषधि सिर्फ 1 महीने पीने से ही शरीर की किसी भी हड्डी में दर्द हो तो वो जल्दी ठीक हो जाएगा।
11.  हड्डियों के दर्द से बचने के लिए आप अपने भोजन में 25% फल और सब्जियों को शामिल करेगे तो आपको कभी भी हड्डियों के दर्द का सामना नहीं करना पड़ेगा।
12 .  नारियल, सेब, संतरे, मौसमी, केले, नाशपति, तरबूज और खरबूजे आदि फलों का सेवन हर रोज जरुर करे।
13  गोभी, सोयाबीन, हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ खीरे, ककड़ी, गाजर, और मेथी को अवश्य शामिल करे।
14 . दूध और दूध से बनी चीजे भरपूर मात्रा में खाए और कच्चा पनीर भी भोजन में शामि।ल करे, ऐसा करने से आपके जोड़ों के दर्द में कमी आएगी।
15.  मोटा अनाज, मकई, बाजरा, चोकर वाले आटे की रोटियों का जरुर उपयोग करे। क्योंकि इनमे वो सभी तत्व होता है जो आपकी हड्डियों और जोड़ो के दर्द से मुक्ति दिलाता है।

15 Sep 2020
Meditation

 Treatment of knee problem by lapses method

Yogi Yogananda {Spirituality and Yoga Guru}

Knee treatment methods, by adopting all kinds of problems of the knee – such as gaps in the events, burning sensation, fluid loss, stiffness, severe pain, inability to walk, etc. Will be able to cure Today you have to make a paste using any one of the methods given below and keep it for 5 hours per day for at least 10 days and place it on your sore spot.

First method – Guggal, Daru Turmeric, Amritadhara, Thuhar, Ashwagandha, Garlic, Punarnava, Asparagus, Sonafal, Jonkamari, Akona, Indrayan, Anantmool, Kali Musli, Ghritkumari, Lohan, Methi, Kali Peepal, Lavender all in equal quantity Cook in a liter of mulesis and cook on a low flame, then mix eucalyptus, castor and turpentine oil in it and apply it to the affected area like turmeric every day. {This paste is available in the name of “‘Bone Health Cream” “}
Special –

1. By applying this paste 3 times by Mr. Sudhir Jain, the pain of his knees was completely cured.
2. Mr. B. S. Thakur {Engineer Suture} was suffering from swelling and severe pain in the knees for 18 years, was able to walk a little with the help of crutches, ten days were completely cured by applying this paste. Now climb the stairs on the 6-storey building without any support.

Second method –
After removing the gel of guarpatha {aloe vera) and applying turmeric in it twice a day, joint pain ends.

Method Third –

Mulethi powder, celery powder, and rock salt, all by taking a spoon, heating lukewarm, making a bundle thrice a day, are very beneficial.

Fourth method –

After making the powder of liquorice, turmeric and fenugreek, he mixed a little castor oil into a paste, and applied twice a day.

Fifth Method –

Heat all three turmeric, lime and sugar, add some water, and cool it at bedtime, and tie it with a cloth.

12 Sep 2020
Meditation

Treatment of Joints problem by Yoga

Yogi Yogananda {spirituality and yoga master, naturopath, life energy medicine specialist}
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 {1} purification technology Shatkarma {Purificatory Processes}

 Lk Kunjl Kunjal {Volitional Stomach Wash}

 2ksnk Washing-Sankha Prakshalana {Mouth To Anus Gut Wash}

 {2} {Yogasanas Posture}
 [A] lotus {Padmasana lotus}
 [B] SHALABHASAN Shalabhasana {Locust}
 [C] Shavasana Shavasana {Corpse}
 [D] Trikonasana Trikonasana {Tringle}
 [E] Vkrasn {Hero’s Pose}   
 [F] Mkrasn Makrasana {Crocodile}    
 [G] Bhujngasna Bhujangasana {Cobra Pose}
 [I ] Vrksasana Vrikshasana {} {Tree Posture}

 {3} breathing {pranayama Body-Mind Energizing breathing Practices}
 [A] Sun breaks Bhedana Surya {Right Nostrilar pranayama}
 [B] Bstrika Bhastrika {Bellows pranayama}

                                                   
 {4} bound {Bandhas Bands}                                                                                                         
 {A} Mahabnd Bandha Maha

 {5} Currency {Mudras Finger -posture}     
 {A} air exchange                                 
 {B} dead Sanjivini currency

     
 Under a qualified yoga teacher guidance, you can do yoga purification techniques, asanas, pranayama, mudras. Or wait for our video on yoga.

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