
Lama Fera Healing
लामा फेरा उपचार पद्धति
लामा शब्द का तात्पर्य है महात्मा बुद्ध के अनुयाई और फेरा का आशय है घेरा | अर्थात इसका अभिप्राय शाब्दिक अर्थ हुआ “”भगवान बुद्ध की शक्तियों का घेरा “” महात्मा बुद्ध की शक्तियां उपचार के माध्यम से संचालित होती हैं और सीधे रोग या बीमारी तक पहुंचती है लामा फेरा एक बहुत ही प्रभावी उपचार तकनीक है जिसे बौद्ध धर्मावलंबी और तिब्बत के लामाओं द्वारा प्रयोग किया जाता रहा है लामा फेरा की यह प्रक्रिया शारीरिक आध्यात्मिक और मानसिक तीनों पर अपना असर दिखाती है |
यह दिव्य ऊर्जा अनावश्यक नकारात्मक विचारों को समाप्त करके शरीर में नई ऊर्जा का संचार करती है, लामा फेरा तकनीक सीखने के लिए 2 मानक स्तर जरूरी है प्रथम मेडिटेशन करने की भावना होनी चाहिए |
और दूसरी लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा करने की भावना होनी चाहिए |
लामा फेरा हीलिंग में 4500 मंत्रों को महात्मा बुद्ध ने 12 प्रतीक चिन्हों के माध्यम से उपचार की शक्ति में कई गुना वृद्धि की है ,जो इस हीलिंग शक्ति को कई गुना बढ़ा देते हैं और अनेक प्रकार से यह ऊर्जा के रूप में व्यक्ति के शारीरिक ,मानसिक एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य प्रदान करती है |
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इसके दो स्तर होते हैं पहला उपचारक
स्तर
दूसरा शिक्षण प्रशिक्षण स्तर
लामा फेरा तकनीक के लाभ
1
हर प्रकार के तनाव से मुक्ति दिलाती है
2
डर और भय से आजादी के साथ ही नकारात्मक शक्तियों को दूर सकती है |
3
एकाग्रता और स्मरण शक्ति में तेजी से वृद्धि करती है |
4
व्यक्ति की इच्छा शक्ति को बढ़ाने में अत्यंत कारगर है सभी प्रकार की बीमारियों में अंतिम क्षण के व्यक्तियों के लिए बेहतर इलाज का माध्यम है |
5
पिछले जन्मों एवं पिछले कर्मों के दुष्प्रभावों से व्यक्तियों कुछ ही दिनों में मुक्ति दिलाकर उसे सुख शांति निरोग प्रदान करती है |
6
लामा फेरा के अभ्यास से व्यक्ति के आभामंडल में बहुत तेजी से वृद्धि होने से शरीर से सकारात्मक तरंगे निकलने लगती हैं जो व्यक्ति को स्वयं एवं उसके आसपास रहने वाले व्यक्तियों को भी सुख शांति और आरोग्यता करती है |
7
व्यक्ति को शारीरिक मानसिक एवं आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं मन्त्रों के दर्शन मात्र से मानव के समस्त दुखों का विनाश होता है |
8
शरीर में सकारात्मक ऊर्जा के स्तर को बढ़ा देती है |
9
मृत्यु शैया पर पड़ा व्यक्ति, भटकती आत्मा ,आत्मा की मुक्ति, लामा फेरा हीलिंग से तुरंत हो जाती है
10
स्वास्थ्य ,संपत्ति एवं व्यापार की प्रगति में आने वाली बाधाओं को दूर करती है |
11
बीमारी की जड़ पर प्रहार करके उसे हमेशा के लिए समाप्त कर देती है |
12
व्यक्ति के आत्मविश्वास , ज्ञान ,जागरूकता एवं सकारात्मक कार्य प्रणाली में वृद्धि करती है |
13
पारिवारिक संपत्ति -विवाद ,कोर्ट कचहरी विवाद आदि में इस तकनीक से बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं |
14
काला जादू, दुर्घटना ,बुरे सपने ,बुरी नजर आदि से लामा फेरा हीलिंग रक्षा करती है |
15
आपके दुश्मनों से आपकी रक्षा करती है तो सफलता में आने वाली समस्त रुकावट को दूर करके सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है |
16
उधार एवं लोन संबंधी मामलों में यह तकनीक आपकी बहुत सहायता करती है |
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महात्मा बुद्ध ने 4500 मंत्रों को 12 प्रतीक चिन्हों में संयोजित करके लामा फेरा हीलिंग पद्धति को अत्यंत प्रभावशाली बना दिया इन चिन्हों का प्रयोग स्वयं की चिकित्सा ,मरीज की चिकित्सा ,दृष्टि चिकित्सा, स्पर्श चिकित्सा, दूरस्थ चिकित्सा, संकट, बाधा को दूर करने सफलता ,सुख ,समृद्धि, लक्ष्य प्राप्ति, व्यापार-व्यवसाय में प्रगति नौकरी की तरक्की आदि में किया जाता है |
यह प्रतीक चिन्ह निम्नलिखित हैं –
1 आलुगा
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इसका अर्थ है समान दृष्टि | अर्थात बिना किसी भेदभाव के हर प्राणी के कल्याण का भाव रखते हुए प्रार्थना करना है कि हे परमपिता परमेश्वर आपके द्वारा उत्पन्न होने वाली प्राण ऊर्जा जिसे स्वास्तिक से दर्शाया गया है चारों ओर फैल जाए और हर प्राणी का कल्याण करें |
उपयोगिता —
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1
यह नकारात्मकता को निकालकर प्राण ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित करता है |
2
इसे आज्ञा चक्र और अनाहत चक्र बनाया जाता है क्योंकि सर्वाधिक नकारात्मकता का भाव यहीं से उत्पन्न होता है सब प्रकार के भय को दूर करता है |
3
सभी चक्रों को संतुलित करता है इसे प्राण ऊर्जा का प्रमुख स्रोत माना गया है |
4
आत्मविश्वास का विकास करता है |
5
आभामंडल में बहुत तेजी से वृद्धि करता है |
आलुगा बनाने की विधि
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इसमें सर्वप्रथम उर्ध्वमुखी त्रिकोण बनाते हैं जो प्राण ऊर्जा शक्ति का प्रतीक है दूसरा निम्न मुखी त्रिकोण बनाये यह परमपिता परमात्मा, ब्रह्मांड ऊर्जा, नौ ग्रहों की शक्ति, ज्ञान एवं बुद्धि चेतना का प्रतीक है इसके बाद इसमें स्वास्तिक बनाया जाता है जो माता-पिता से प्राप्त मंगल ऊर्जा का प्रतीक है तथा इसके चारों कोनों पर बाह्यमुखी स्पाइरल बना देते हैं जो ऊर्जा को संबंधित स्थान व्यक्ति या जीव में भेजती है ताकि उसके दुखों का नाश हो सके |
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इस प्रतीक चिन्ह से जीवन की निराशा आशा में, शक विश्वास में ,दुख सुख में, असफलता सफलता में तब्दील हो जाती है |
उपयोगिता
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1
इस प्रतीक चिन्ह को बच्चों के बिस्तर के नीचे रखने से उनका डर समाप्त हो जाता है
2
जो बच्चे अंधेरे में जाने से डरते हैं उनकी समस्या जल्दी ठीक हो जाती है |
3
इसका प्रयोग मति भ्रम को दूर करने के लिए किया जाता है |
आमीन बनाने की विधि
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पहला अजूबा की तरह पहले उर्ध्व त्रिकोण बनाएं उसके बाद निम्न मुखी त्रिकोण बनाएं इसके बाद बाएं तरफ निम्न मुखी स्पाइरल बनाएं स्पाइरल उर्ध्व मुखी त्रिकोण से नीचे की ओर बाहर निकल जाए ,अर्थात हर प्रकार के विचारों एवं चिंतन से उत्पन्न होने वाले शक- संशय, मानसिक -भावनात्मक, जाने अनजाने भय, क्रोध ,नकारात्मक विचार सभी पृथ्वी में समाहित हो जाए यही मंगल कामना करते हैं | यह सिंबल आज्ञा चक्र पर अनाहत चक्र पर दोनों हथेलियों पर दोनों घुटनों ,दोनों पैर के तलवों पर बनाया जाता है |
वक्रतुंड
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यह विशुद्धि चक्र से मूलाधार चक्र तक बनाया जाता है |
उपयोगिता-
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प्रथम
नकारात्मक ऊर्जा को नाभि से बाहर निकालता है |
दूसरा
यह काला जादू ,बुरी आत्मा, अवसाद, चक्र असंतुलन , आभामंडल में अवरोध , बाधा ,नकारात्मक दृष्टिकोण को दूर करता है
वक्रतुंड बनाने की विधि
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सबसे पहले विशुद्धि चक्र पर क्रॉस { X } का चिन्ह बनाया जाता है फिर ऊपर से नीचे की ओर स्पाइरल बनाते हुए मणिपुर चक्र पर क्रॉस { X } लगाते हैं |
यह चिन्ह आज्ञा चक्र पर बनाया जाता है | इसका प्रयोग आमतौर पर किसी को संदेश भेजने के लिए किया जाता है |
उपयोगिता
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मानसिक असंतुलन, हर परिस्थिति के रोग ,तनाव ,डिप्रेशन ,पागलपन, निराशा को दूर करता है हर परिस्थिति में मानसिक संतुलन बनाए रखता है |
2
यह व्यक्ति की सूक्ष्म इंद्रियों को जागृत करता है जिससे व्यक्ति को अपने आसपास की घटनाओं का आभास होने लगता है |
3
दूरस्थ चिकित्सा में उपयोगी है |
4
आध्यात्मिक शक्तियों में वृद्धि करता है |
5
बेहतर फैसले लेने में मदद करता है जीवन में एक पथ प्रदर्शक के रूप में कार्य करता है |
6
अंतर्ज्ञान ,मानसिक क्षमता को बढ़ाता है जिससे व्यक्ति उत्तम फैसले लेने में समर्थ बनता है
त्रियंबक चिन्ह बनाने की विधि
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सबसे पहले घड़ी के विपरीत दिशा में सर्कल बनाएं अब इसके ऊपर पहले केंद्र में उल्टा त्रिकोण बनाएं , अब दायीं ओर त्रिकोण बनाएं, अब बायीं ओर त्रिकोण बनाएं इस प्रकार आपका त्रियंबक सिंबल बनकर तैयार होता है |
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1.चिकित्सा सत्र के दौरान दरवाज़े की घंटी और सभी फोन बंद रखें ।
2. सभी आवश्यक प्रतीकों के साथ लामा फेरा किट और कमरे को साफ करें ।
3. रोगी को सहज बनाने के लिए उसके साथ हल्की बातचीत करें।
4. रोगी के तैयार होने के बाद ही हीलिंग शुरू करनी चाहिए
5.मरीजों के पैरों को एक दूसरे को पार नहीं करना चाहिए। (क्रॉस नहीं होने चाहिए).
6. हीलर को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह मैरून गाउन और स्केचू माला पहने हुए है ।
🔹 भाग 2 – लामा फेरा किट को चार्ज करने की विधि इस प्रकार है
1.हीलिंग सेशन शुरू करने से पहले अपने दोनों हाथों में पूरा लामा फेरा किट रखें ।
2. हीलिंग देने वाले को अपनी तीसरी आंख से 12 चिन्ह की कल्पना करके पूरी किट को चार्ज करना चाहिए, प्रत्येक प्रतीक का नाम 3 बार दोहराना होगा ।
4. अपने आज्ञा चक्र पर किट को स्पर्श करें
अब नीचे दिए गए मंत्र को 3 बार दोहराएं :-
🔸* बुद्धम् शरणम् गच्छामि संघम् शरणम् गच्छामि
धर्मम् शरणम् गच्छामि *🔸
5.अपने हृदय चक्र पर किट को स्पर्श करें
अब नीचे दिए गए मंत्र को 3 बार दोहराएं :-
🔸* बुद्धम् शरणम् गच्छामि संघम् शरणम् गच्छामि
धर्मम् शरणम् गच्छामि *🔸
6. किट को अपने किसी भी कंधे पर स्पर्श करें और फिर तीन बार मंत्र का जाप करें
🔸* बुद्धम् शरणम् गच्छामि संघम् शरणम् गच्छामि
धर्मम् शरणम् गच्छामि *🔸
अब किट को दूसरे कंधे पर स्पर्श करें और मंत्र का तीन बार जाप करे
🔸* बुद्धम् शरणम् गच्छामि संघम् शरणम् गच्छामि
उपरोक्त प्रक्रिया चिकित्सा सत्र से पहले और बाद में दोहराई जानी है ताकि किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जा सके जो कि किट से जुड़ी हो।
7 अंतिम चरण में अपनी बोधि माला को रिसीवर के ऊपर से वापस उठा लें और अब burning छड़ी के साथ, रिसीवर के आज्ञा चक्र पर “अल्लुमा” ड्रा करें और प्रतीक का नाम 3 बार दोहराएं।
8 .रिसीवर के ह्रदय चक्र पर “अल्लुमा” ड्रा करें और प्रतीक का नाम को 3 बार दोहराएं।
9 . रिसीवर के आज्ञा चक्र , हृदय चक्र, दोनों घुटनों और तलवों के बीच में “AMEEN” ड्रा करें और कहें ” आपके सभी दर्द और भय आपके घुटनों पर एकत्र किए जाते हैं और आपके पैरों पर जा रहे हैं और तलवे से होते हुए बाहर जा रहे हैं।
10 . रिसीवर की तीसरी आँख चक्र पर “त्रयम्बक” ड्रा करें और रिसीवर को एक मानसिक संदेश भेजें कि मैं आपके शरीर से नकारात्मक ऊर्जा बाहर खींच रहा हूं और आप कुछ समय बाद ठीक हो जाएंगे और आपको नकारात्मक ऊर्जा के बाहर जाने की प्रक्रिया को महसूस करना होगा।
11 . अब विशुद्ध चक्र और रिसीवर के मूलाधार चक्र पर “VAKRATUND” बनाएं । सभी नकारात्मक ऊर्जा को ग्राहक के नाभि चक्र पर केंद्रित होते हुए देखें।
12 . अब बर्निंग स्टिक के साथ, रिसीवर के शरीर के प्रभावित हिस्से पर “NYAS” को बनाएं ओर संपूर्ण नकारात्मक ऊर्जा को आकाश में भेज दे। इस चरण को लगभग 5 मिनट तक दोहराएं।
अब स्टेप 18 की इसी प्रक्रिया को नाभि चक्र पर लगभग 3 मिनट तक दोहराएं।
13 . दाहिने पैर के तलवे और सहस्त्रार चक्र को burning stick से स्पर्श करें, वक्रतुंड प्रतीक को चक्रों को खोलने के इरादे से बनाएं, जो सभी चक्रों को खोलता और जोड़ता है और नाभि चक्र से नकारात्मक ऊर्जा को हटाता है ।
. रि14 सीवर के चरणों के पास खड़े होने पर रिसीवर के हृदय चक्र पर “आयुषी” बनाएं और भगवान बुद्ध से प्रार्थना करें कि वह ठीक हो जाएं।
15 . आपकी ओर मरीज़ की सहायता करने के लिए भगवान बुद्ध को एवं मरीज को धन्यवाद करें।